आकाश सक्सेना ने 2017 में आजम खान के ‘किले’ को ध्वस्त करने का प्रण लिया था। और आखिरकार 8 दिसम्बर को रामपुर उपचुनाव के नतीजों की घोषणा के साथ उन्होंने अपना प्रण सच कर दिखाया
भाजपा ने पहली बार रामपुर विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है। इस बड़ी जीत पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता को बधाई दी। रामपुर विधानसभा क्षेत्र को कभी आजम खान का राजनीतिक गढ़ माना जाता था। यहां से इस बार भाजपा के उम्मीदवार रहे आकाश सक्सेना ने 2017 में आजम खान के ‘किले’ को ध्वस्त करने का प्रण लिया था। और आखिरकार 8 दिसम्बर को रामपुर उपचुनाव के नतीजों की घोषणा के साथ उन्होंने अपने प्रण को सच कर दिखाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी सपा के आसिम रजा को 33,702 मतों से पराजित किया।
सपा नेता आजम खान ने सपा शासन काल में अपने मंत्री पद का दुरुपयोग किया और कई अनियमितताएं करके जौहर विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। आजम खान के इन सभी कारनामों को आकाश सक्सेना ने बाकायदा उजागर किया। आकाश ने सार्वजनिक रूप से बताया कि आजम खान और उनकी बीवी ने जालसाजी करके अपने पुत्र अब्दुल्ला आजम खान के दो जन्म प्रमाणपत्र बनवाए थे। पूर्व नगर विकास मंत्री आजम खान, उनके पुत्र और उनकी पत्नी के विरुद्ध जनपद रामपुर के थाना गंज में जालसाजी के आरोप में एफ.आई.आर. दर्ज कराई गई। दोनों जन्म प्रमाणपत्रों का अलग-अलग जगह पर उपयोग करके अनैतिक लाभ लिया गया। शिकायत पर शासन ने जांच के आदेश दिए थे। प्रारम्भिक जांच में आरोप के प्रथमदृष्टया सच प्रतीत होने पर तीनों लोगों के खिलाफ आई.पी.सी. की धारा 420, 467 एवं 468 के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया गया था।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 से 2017 तक आजम खान सपा सरकार में नगर विकास मंत्री थे। सपा के शासनकाल में ही आजम खान की पत्नी प्रोफेसर तंजीम फातमा, समाजवादी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुई थीं। 2017 के विधानसभा चुनाव में आजम खान और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम खान ने रामपुर जनपद की अलग-अलग विधानसभा सीटों से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और निर्वाचित हुए। आरोप है कि जौहर विश्वविद्यालय में अनैतिक लाभ देने के लिए अब्दुल्ला आजम खान के दो जन्म प्रमाणपत्र बनवाए गए थे। एक जन्म प्रमाण पत्र 28 जून, 2012 को नगरपालिका परिषद रामपुर से बनवाया गया था। इसमें जन्म स्थान रामपुर दर्शाया गया था, जबकि दूसरा जन्म प्रमाणपत्र 21 जनवरी, 2015 को नगर निगम लखनऊ से बनवाया गया था। पहला जन्म प्रमाण पत्र, जो रामपुर नगरपालिका परिषद से जारी किया गया था, उसी के आधार पर विधायक अब्दुल्ला आजम खान ने अपना पासपोर्ट बनवाया था। इस मामले में अब्दुल्ला, आजम खान और तंजीम फातमा को जेल जाना पड़ा था। फिलहाल तीनों जमानत पर बाहर हैं।
जौहर विश्वविद्यालय में भूमि घोटाला
आकाश सक्सेना जब जौहर विश्वविद्यालय की तह में गए तो एक के बाद एक अनियमितताएं सामने आती चली गईं। जौहर विश्वविद्यालय आजम खान की महत्वाकांक्षी परियोजना है। यह विश्वविद्यालय मौलाना मोहमद अली जौहर ट्रस्ट द्वारा संचालित है। मौलाना मोहमद अली जौहर ट्रस्ट का पंजीकरण बी-34, दारुल शफा, लखनऊ के पते पर कराया गया। आजम खान ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष रहेंगे। आजम खान की पत्नी डॉ. तंजीन फातमा ट्रस्ट की सचिव हैं, तो आजम की बहन निखत अफलाक ट्रस्ट की कोषाध्यक्ष हैं।
ट्रस्ट के अन्य सदस्यों में आजम खान के दोनों बेटों का नाम लिखा है। ट्रस्ट के सदस्यों का समाज सेवा से कोई खास सरोकार नहीं रहा है। आकाश सक्सेना ने आजम खान के घोटालों को उजागर करने का प्रण किया हुआ था। उनकी शिकायत का शासन ने संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए। जांच हुई तो पाया गया कि जौहर विश्वविद्यालय को बनवाते समय आजम खान ने अपने यहां काम करने वाले वंचित समाज के तीन लोगों के नाम पर इसी समाज के लोगों के दस भूखंडों की रजिस्ट्री करवा ली थी। यह तो नियम के अनुरूप था मगर वंचित समाज के इन तीनों लोगों ने भूखंड रजिस्ट्री कराने के तुरंत बाद इन दस भूखंडों की रजिस्ट्री जौहर विश्वविद्यालय के नाम कर दी। जबकि नियम यह है कि अगर कोई सामान्य जाति का व्यक्ति वंचित समाज की भूमि खरीदता है तो उसे जिलाधिकारी की अनुमति लेनी होती है।
शत्रु सम्पत्ति विवाद
34.19 एकड़ भूमि, जो राजस्व अभिलेखों में शत्रु सम्पत्ति के तौर पर दर्ज थी, वह भी चकरोड से लगी हुई भूमि थी और सार्वजनिक उपयोग के लिए इस्तेमाल होती थी। इस भूमि को चारदीवारी बना कर विश्वविद्यालय में मिला लिया गया। इस वजह से आवगमन बाधित हो गया। ऐसी सम्पत्ति, जिनके मालिक पाकिस्तान चले गए और उनका कोई भी वारिस हिन्दुस्थान में नहीं था, उसे शत्रु सम्पत्ति (कस्टोडियन भूमि) माना गया है। इस शत्रु सम्पत्ति की भूमि पर कब्जा कर लेने की वजह से आम जनता को मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए काफी घूम कर जाना पड़ता है। जनपद में सरकारी संपत्तियों से सम्बंधित जो भी विवाद होता है उसमें वाद जिलाधिकारी की तरफ से ही योजित किया जाता है, इसलिए जिलाधिकारी रामपुर ने इस सम्बन्ध में राजस्व परिषद् में वाद दायर किया।
सिंचाई विभाग के बजट का दुरुपयोग
सिंचाई विभाग के कई करोड़ रुपये की राशि को जनपद को बाढ़ से बचाने के लिए अवमुक्त किया गया था, मगर मंत्री के पद पर रहते हुए आजम खान ने सिंचाई विभाग के बजट को जौहर विश्वविद्यालय के लिए खर्च करवा दिया। जौहर विश्वविद्यालय के निकट कोसी नदी है, इसी नदी को आधार बनाकर सिंचाई विभाग के बजट का दुरुपयोग किया गया। वहीं रामपुर में पर्यटन विभाग के बजट का दुरुपयोग करके जौहर विश्वविद्यालय के भीतर ही एक झील का निर्माण कराया गया। यह झील जौहर विश्वविद्यालय के परिसर में है और जनसामान्य के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। इस सम्बंध में आकाश सक्सेना ने शिकायत की, जिसके बाद यह मामला उजागर हुआ।
नियम विरुद्ध बनाया उर्दू गेट
पूर्व मंत्री आजम खान ने रामपुर में इस उर्दू गेट को गलत तरीके से बनवाया था। उस समय नियम के विरुद्ध इस गेट की ऊंचाई को काफी कम कर दिया गया था ताकि उस रास्ते से कोई भी भारी वाहन जौहर विश्वविद्यालय की तरफ न जाने पाए। इस उर्दू गेट के बन जाने से उस मुख्य मार्ग पर भारी वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद हो गया था। उर्दू गेट की ऊंचाई कम करने की असल वजह कुछ और ही बताई जाती है। इस मामले के शिकायतकर्ता आकाश सक्सेना कहते हैं, ‘ऊंचाई इसलिए कम की गई थी ताकि जब भी कभी बवाल हो तो पुलिस और पीएसी के भारी वाहन जौहर विश्वविद्यालय में न जा पाएं।’ गेट की ऊंचाई कम होने से भारी वाहनों को काफी लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा था जिसकी वजह से जाम लग रहा था। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद इस उर्दू गेट की शिकायत की गई थी। इसकी जांच कराई गयी। जांच कराने में दो वर्ष का समय लगा। जांच में इस गेट को पूरी तरह नियम विरुद्ध पाया गया। उसके बाद जिला प्रशासन ने इसे ध्वस्त करवा दिया था।
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