चीन कई बार भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश कर चुका है। जून 2020 के बाद चीन ने हाल ही में एक बार फिर से भारत की सीमा में आने की हिमाकत की, लेकिन अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दाखिल होते ही मुंह की खानी पड़ी। तवांग सेक्टर के यांगत्से में भारतीय सेना की जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स, जाट रेजिमेंट्स और सिख लाइट इन्फेंट्री के जवानों ने चीन के सैनिकों को अच्छा सबक सिखाया है। भारतीय सेना आधुनिक हथियारों से लैस रहे और शस्त्रों की कमी न पड़े, इसके लिए देश में कई स्थानों पर हथियारों का निर्माण किया जा रहा है। मध्य प्रदेश की भी इसमें अहम भूमिका है।
जबलपुर के खमरिया में आयुध निर्माणी 500 किलोग्राम के जीपी बम (जनरल पर्पज़ बम) का निर्माण कर रही है। जोकि चीन-पाकिस्तान को दूर से ही टार्गेट करने में सक्षम हैं। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले 500 किलो के ये जीपी बम वायुसेना को लगातार दिए जा रहे हैं। कह सकते हैं कि इस बम के आने से वायुसेना की ताकत दोगुनी हो गई है।
यह भारत का सबसे बड़ा बम
म्युनिशन इंडिया लिमिटेड के इस उपक्रम की खास बात यह है कि बम का पूरा डिजाइन और निर्माण जबलपुर की आयुध निर्माणी फैक्टरी के एफ-6 सेक्शन में किया गया है। यह भारत का सबसे बड़ा बम है। इसकी लंबाई 1.9 मीटर और वजन 500 किलोग्राम है। इस बम को जगुआर और सुखोई एसयू-30 एमकेआई से गिराया जा सकता है। एक बम चीन या पाकिस्तान के किसी भी एयरपोर्ट को पलभर में उड़ा सकता है। आज इन बमों की मारक क्षमता और ताकत देश के सुरक्षा बेड़े को और मजबूती प्रदान कर रही है।
भारत की सैन्य रणनीतिक ताकत में बेतहाशा वृद्धि
भारतीय एयरफोर्स से रिटायर्ड सेना विशेषज्ञ डॉ. राजेश शर्मा का कहना है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इस बम को कई हिस्सों में विकसित किया है। हर बम में 15-15 मि.मी. के 10,300 स्टील के गोले लगे हैं। विस्फोट के बाद प्रत्येक शेल 50 मीटर तक लक्ष्यभेदन करेगा। खास बात यह है कि स्टील के गोले 12 मि.मी. की स्टील प्लेट में भी घुस सकते हैं। इससे भारत की सैन्य रणनीतिक ताकत में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। जीपी बम सामरिक दृष्टि से भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह बम भारतीय सेना को न सिर्फ रण विजय कराने में सक्षम है बल्कि यह भारतीय सेना को सुरक्षा और सामर्थ्य की दिशा में एक कदम ओर आगे लेकर जाता है।
ये है जीपी बम की विशेषता
500 किग्रा के जीपी बम की मारक क्षमता का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि इसमें 21000 छर्रे होते हैं जो स्टील की बॉल जैसी होते हैं। इससे दुश्मन देश की सेना के छक्के छूट जाएंगे। हमला करने वाली जगह पर 100 मीटर के दायरे में आने वाला कोई भी दुश्मन या हथियार इसके सामने नहीं टिक सकता। विस्फोट के बाद हर गोला 50 -100 मीटर तक टारगेट करेगा। यह जगुआर और सुखोई-30 जैसे सभी अत्याधुनिक सैन्य विमानों पर अपलोड किया जा सकता है। 500 किलोग्राम वजनी बम की लंबाई 1.9 मीटर है। हरेक गोला 12 एमएम स्टील प्लेट को भेद सकेगा।
नमो बम 40 एमएम एंटी एयर क्राफ्ट बम भी तैयार
मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित इस आयुध फैक्ट्री में नमो बम 40 एमएम एंटी एयर क्राफ्ट बम भी तैयार किया गया है। जोकि पिछले दिनों स्वीडन को दिया गया है। जरूरत पड़ने पर भारत अपने लिए भी इन बमों का उपयोग करेगा। इस बम की सबसे खास बात यह है कि एल -70 गन से फायर किया जाने वाला यह वर्जन जमीन और हवा दोनों से फायर करने में सक्षम है। इसे मल्टी परपज़ यूटिलिटी वाहन पर लोड गन से भी दागा जा सकता है। एजीएल ऑटोमेटिक ग्रेनेड लॉन्चर से भी इसे ऑपरेट किया जा सकता है।
इस बम की एक्यूरेसी बेहद सटीक है इसके अलावा टाइमिंग को भी बेजोड़ माना गया। एल -70 की क्षमता 35 से 40 किमी है, इसे अपग्रेड वर्जन माना जा रहा है। मौजूदा दौर के समकक्ष बमों से माना गया है और 50 गुना ज्यादा कारगर है। कम से कम एनर्जी लेवल होने के बावजूद काम करने में पूरी तरह सक्षम है। लांचिंग के साथ प्रक्रिया शुरू और महज 15 सेकेंड़ में विस्फोट होता है।
आधुनिक विमानों को निशान पर लेने में सक्षम एल-70 गन भी तैयार
ऐसे ही इस आयुध निर्माणी खमरिया फैक्ट्री में तैयार हुई एल -70 वह गन है जो सभी मानव रहित हवाई यानों, लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टर और आधुनिक विमानों को निशाने में सक्षम है। इसके अलावा इसमें हाईटेक सेंसर लगे हैं, जो किसी भी मौसम में दुश्मन के विमान को आसानी से ट्रैक कर सकते हैं। कहा जा सकता है कि यहां तैयार हो रहे सभी बम या अन्य अस्त्र इतने विध्वंसक हैं कि बड़े से बड़े दुश्मन को तबाह किया जा सकता है।
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