पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की बदतर हालत पर आएदिन समाचार, रिपोर्ट और शोध सामने आते रहे हैं। वहां विशेषकर हिन्दू और ईसाई समुदायों की दयनीय हालत किसी से छिपी नहीं है। अब एक रिपोर्ट आई है जो खासतौर पर बताती है कि ईसाई बच्चियों को इस्लामवादी किस तरह प्रताड़ित कर रहे हैं, उन्हें अगवा करके जबरन कन्वर्ट करते हैं और निकाह करा देते हैं।
इस रिपोर्ट में जनवरी 2019 से अक्तूबर 2022 तक के आंकड़ों और घटनाओं का उल्लेख किया गया है। तथ्यों के आधार पर बताया गया है कि पाकिस्तान में इस दौरान जबरन कन्वर्जन, कम उम्र में निकाह कराने और ईसाई लड़कियों और महिलाओं को अगवा करने के 100 मामले सामने आ चुके हैं।
इतना ही नहीं, अगवा करने के अलावा रिपोर्ट में ईसाई लड़कियों को तरह—तरह से प्रताड़ित किए जाने का भी सिलसिलेवार वर्णन किया गया है। सरकार से बार—बार अपील की जाती है कि अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध कार्रवाई की जाए, लेकिन इस्लामाबाद में बैठे नेता कट्टरपंथी मुल्लाओं की जकड़ में रहते हैं और कोई कदम उठाने को तैयार नहीं होते।
कुल प्रताड़ित ईसाई लड़कियों में से 61 फीसदी लड़कियां तो 16 साल की भी नहीं थीं जब उनके साथ यह सब किया गया। 18 फीसदी लड़कियों को 16 से 18 साल की उम्र के बीच कन्वर्ट करके उनका निकाह करा दिया गया। 14 फीसदी लड़कियों 18 साल से अधिक की होकर कट्टर मौलानाओं की करतूतों का शिकार बनीं।
इस संबंध में डॉन की रिपोर्ट बताती है कि ईसाई लड़कियों की प्रताड़ना की सबसे ज्यादा घटनाएं पंजाब में दर्ज की गई हैं। वहां इस बीच 86 मामले दर्ज हुए हैं। जबकि सिंध में 11 और इस्लामाबाद में 2 के अलावा एक मामला खैबर पख्तूनख्वा सूबे में देखने में आया है।
रिपोर्ट में एक हैरान करने वाला आंकड़ा है कि कुल प्रताड़ित ईसाई लड़कियों में से 61 फीसदी लड़कियां तो 16 साल की भी नहीं थीं जब उनके साथ यह सब किया गया। 18 फीसदी लड़कियों को 16 से 18 साल की उम्र के बीच कन्वर्ट करके उनका निकाह करा दिया गया। 14 फीसदी लड़कियों 18 साल से अधिक की होकर कट्टर मौलानाओं की करतूतों का शिकार बनीं।
इन आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि सबसे ज्यादा प्रताड़ित नाबालिग लड़कियां ही हुई हैं। छोटी उम्र में ही जबरन कलमा पढ़वाकर उन्हें मुस्लिम बनाया जाता है और किसी अधेड़ के साथ ब्याह दिया जाता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में फर्जी तौर पर लड़कियों की उम्र 18 या उससे ज्यादा लिखाई जाती है। इससे अपराधी तथाकथित कानून की जद से बाहर हो जाते हैं। पुलिस सब जानती है लेकिन दबाव में कोई कार्रवाई नहीं करती।
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