प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को स्वतंत्रता सेनानी और दार्शनिक श्री अरबिंदो को उनकी 150वीं जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जीवन ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की अवधारणा का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में कंबन कलई संगम, पुडुचेरी में मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती समारोह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने श्री अरबिंदो के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कई बड़े आयोजन एक साथ होते हैं तो अक्सर उनके पीछे ‘योग-शक्ति’ यानी एक सामूहिक और एकजुट करने वाली शक्ति होती है। प्रधानमंत्री ने कई महान हस्तियों को याद किया जिन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया बल्कि राष्ट्र की आत्मा को भी नया जीवन दिया। उनमें से, तीन व्यक्तित्व, श्री अरबिंदो, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी के जीवन में एक ही समय में कई महान घटनाएं हुईं। इन घटनाओं ने न केवल इन हस्तियों के जीवन को बदला बल्कि राष्ट्रीय जीवन में भी दूरगामी परिवर्तन लाए। प्रधानमंत्री ने बताया कि 1893 में श्री अरबिंदो भारत लौट आए और उसी वर्ष स्वामी विवेकानंद विश्व धर्म संसद में अपना प्रतिष्ठित भाषण देने के लिए अमेरिका गए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गांधी जी उसी वर्ष दक्षिण अफ्रीका गए, जिसने महात्मा गांधी में उनके परिवर्तन की शुरुआत को चिह्नित किया। उन्होंने वर्तमान समय में घटनाओं के समान संगम का उल्लेख किया जब देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष मना रहा है और अमृत काल की अपनी यात्रा शुरू कर रहा है क्योंकि हम श्री अरबिंदो की 150वीं वर्षगांठ और नेताजी सुभाष की 125वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब प्रेरणा और कार्य मिलते हैं, तो असंभव प्रतीत होने वाला लक्ष्य भी अनिवार्य रूप से पूरा हो जाता है। आज अमृत काल में देश की सफलताएं और सबका प्रयास का संकल्प इसका प्रमाण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री अरबिंदो का जीवन ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का प्रतिबिंब है क्योंकि उनका जन्म बंगाल में हुआ था और वे गुजराती, बंगाली, मराठी, हिंदी और संस्कृत सहित कई भाषाओं को जानते थे। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन गुजरात और पुडुचेरी में बिताया और जहां भी गए उन्होंने अपनी गहरी छाप छोड़ी। अरबिंदो ऐसे व्यक्तित्व थे जिनके जीवन में आधुनिक शोध भी था, राजनैतिक प्रतिरोध भी था और ब्रह्म बोध भी था। श्री अरबिंदो की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम अपनी परंपराओं और संस्कृति के बारे में जागरूक होते हैं और उनके माध्यम से जीना शुरू करते हैं, यह वह क्षण होता है जब हमारी विविधता हमारे जीवन का एक स्वाभाविक उत्सव बन जाती है। उन्होंने कहा, “यह आजादी का अमृत काल के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा का स्रोत है। एक भारत श्रेष्ठ भारत को समझाने के लिए इससे बेहतर कोई तरीका नहीं है।”
प्रधानमंत्री ने काशी तमिल संगमम में भाग लेने के अवसर को याद किया और कहा कि यह अद्भुत घटना इस बात का एक बड़ा उदाहरण है कि भारत अपनी संस्कृति और परंपराओं के माध्यम से देश को एक साथ कैसे बांधता है। काशी तमिल संगमम ने दिखाया कि आज का युवा भाषा और पहनावे के आधार पर भेद करने वाली राजनीति को पीछे छोड़कर एक भारत श्रेष्ठ भारत की राजनीति को अपना रहा है। उन्होंने कहा कि आज आजादी का अमृत महोत्सव और अमृत काल में हमें काशी तमिल संगम की भावना का विस्तार करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री अरबिंदो एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिनके जीवन में आधुनिक वैज्ञानिक सोच, राजनीतिक विद्रोह और साथ ही परमात्मा की भावना भी थी। प्रधानमंत्री ने बंगाल विभाजन के दौरान अपने ‘कोई समझौता नहीं’ के नारे को याद किया। उनकी वैचारिक स्पष्टता, सांस्कृतिक शक्ति और देशभक्ति ने उन्हें उस समय के स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक आदर्श बना दिया। मोदी ने श्री अरबिंदो के ऋषि-समान पहलुओं पर भी ध्यान दिया, जो गहरे दार्शनिक और आध्यात्मिक मुद्दों पर विचार करते थे। उन्होंने उपनिषदों में समाज सेवा का तत्व जोड़ा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम बिना किसी हीन भावना के विकसित भारत की अपनी यात्रा में सभी विचारों को अपना रहे हैं। हम ‘इंडिया फर्स्ट’ के मंत्र के साथ काम कर रहे हैं और अपनी विरासत को पूरी दुनिया के सामने गर्व के साथ रख रहे हैं।
उन्होंने कहा, “भारत में अमर बीज है जो विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में थोड़ा दब सकता है थोड़ा मुरझा सकता है लेकिन वह मर नहीं सकता। क्योंकि भारत मानव सभ्यता का सबसे परिष्कृत विचार है मानवता का सबसे स्वाभाविक स्वर है। दुनिया में आज भीषण चुनौतियां हैं इन चुनौतियों के समाधान में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है।”
उल्लेखनीय है कि श्री अरबिंदो का जन्म 15 अगस्त, 1872 को हुआ था। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में असाधारण योगदान दिया।
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