पाकिस्तान के विरुद्ध सख्त रवैया अपनाते हुए अमेरिका ने वहां की छह कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। इसके पीछे इन कंपनियों का असुरक्षित परमाणु कार्यक्रम के उपकरणों की आपूर्ति करना बताया जा रहा है।
पाकिस्तान की जिन छह कंपनियों पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया है उनके अलावा 24 कंपनियों के निर्यात को भी प्रतिबंधित किया है। इन 24 कंपनियों पर आरोप लगाया है कि ये रूस के सैन्य और रक्षा कारोबार को मदद पहुंचा रही थीं।
पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम के लिए उपकरणों की आपूर्ति करने वाली छह कंपनियों पर अमेरिका की सख्ती इसलिए देखने में आई है कि इनसे उसे अपनी सुरक्षा पर खतरा महसूस हो रहा था। अमेरिका का कहना है कि ये कंपनियां पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को तकनीक देकर उसकी सुरक्षा को खतरा पैदा कर रही थीं।
जिन पाकिस्तानी कंपनियों पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया है उनके नाम हैं डायनेमिक इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन, एनरक्विप प्राइवेट लिमिटेड, एनएआर टेक्नोलॉजीस जनरल ट्रेडिंग एलएलसी, ट्रोजन, रेनबो सोल्यूशंस तथा यूनिवर्सल ड्रिलिंग इंजीनियर्स। प्रतिबंध लगने के बाद इन कंपनियों को अमेरिकी उपकरण आसानी से नहीं मिल पाएंगे
जिन पाकिस्तानी कंपनियों पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया है उनके नाम हैं डायनेमिक इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन, एनरक्विप प्राइवेट लिमिटेड, एनएआर टेक्नोलॉजीस जनरल ट्रेडिंग एलएलसी, ट्रोजन, रेनबो सोल्यूशंस तथा यूनिवर्सल ड्रिलिंग इंजीनियर्स। प्रतिबंध लगने के बाद इन कंपनियों को अमेरिकी उपकरण आसानी से नहीं मिल पाएंगे और इन्हें खरीदने के लिए इन्हें बहुत मुश्किलें उठानी पड़ेंगी।
सब जानते हैं कि पाकिस्तान की परमाणु तस्करी की आदत है। वहां के परमाणु वैज्ञानिक ए.क्यू. खान पर तब कीचड़ उठली थी जब उन्होंने उत्तर कोरिया तथा लीबिया को गुपचुप परमाणु तकनीक बेची थी। इस खतरनाक प्रकरण के उजागर होने के बाद पाकिस्तान के परमाणु बम के जनक कहे जाने वाले प्रो. ए.क्यू. खान को उनके ही घर में नजरबंद करके अपमानित किया गया था। बताया गया था कि पाकिस्तान ने उत्तर कोरिया को अपनी परमाणु तकनीक दी थी तो उससे मिसाइल तकनीक खरीदी थी। पाकिस्तान का मकसद भी छुपा हुआ नहीं था, वह उनका इस्तेमाल भारत के विरुद्ध करना चाहता था।
प्रतिबंधित कंपनियों में से एनआर टेक्नोलॉजीस जरनल ट्रेडिंग एलएलसी तथा ट्रोजन को उनके कामों तथा गतिविधियों को पाकिस्तान तथा यूएई को फायदा पहुंचाने वाली मानी गया है। अमेरिका द्वारा यह चीज उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को नुकसान पहुंचाने वाली मानी गई है।
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