जरा कल्पना करें कि कुछ लडकियां हैं, या औरतें हैं, वे अपने मजहब के लिए एक संगठन के साथ जुडती हैं और फिर उस संगठन के साथ काम करती हैं, जो वहीं की गैर मजहबी लड़कियों को निशाना बनाता है। वह एक प्रकार से ऐसी मजहबी कट्टरता के पक्ष में खड़ी थीं, जो दूसरों से जीने की मूलभूत आजादी को छीनता है।
मगर कभी ऐसा हो कि वही लोग उस कट्टरता का शिकार हो जाएं? क्या ऐसा होता है? और यदि ऐसा हो तो फिर दोषी और निर्दोष कौन होगा? ऐसी ही एक दिल को दहला देने वाली घटना एवं विचारों को मथने वाली घटना सामने आई सुदूर अफ्रीका से, जहां पर आतंकी संगठन ने अपनी ही साथियों को केवल इस आधार पर मार डाला क्योंकि उन पर डायन होने का संदेह था।
मीडिया के अनुसार बोको हरम के आतंकियों ने अपनी ही 15 सदस्यों की मंदारा हिल्स में हत्या कर दी, जो बोर्नो स्टेट के ग्वोज़ा स्थानीय सरकार के क्षेत्र में है। पंच मेट्रो ने नवंबर में घटी इस घटना के विषय में लिखा है कि उनके सूत्रों के अनुसार 10 पीड़ितों की हत्या इसलिए कर दी गयी क्योंकि उन पर डायन होने का संदेह था और पांच और पीड़ितों की हत्या इसलिए कर दी गयी क्योंकि उन्होंने सेना के समक्ष आत्मसमर्पण करने का प्रयास किया था। वहीं एक और मीडिया पोर्टल सहारा रिपोर्टर्स के अनुसार आतंकी समूह ने उन औरतों की हत्या कर दी जिन पर यह शक था कि वह डायन हो सकती हैं! मगर यह कैसे लगा कि वह डायन हो सकती हैं? डायन से क्या अर्थ है? डायन कौन औरतें हो सकती हैं और डायन होती क्या है?
यदि भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखेंगे तो हमें डायन का अर्थ भी नहीं पता है। परन्तु फिर भी डायन इन दिनों लोग बोलते हैं कि ऐसी दुष्ट आत्मा जो बच्चे खा जाती है आदि आदि!
इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। दरअसल अली न्गुल्दे नामक बोको हरम के कमांडर के बच्चों की असमय मौत के बाद कुछ औरतों पर डायन होने का आरोप लगाया गया। सहारा रिपोर्टर्स के अनुसार लगभग चालीस औरतों को ग्वोज़ा कस्बे से अपहरण किया गया और उनमें से दस लोगों को सप्ताहांत में मार डाला गया और जिन औरतों पर संदेह था, उन पर इसलिए संदेह हुआ क्योंकि जिहादी समूह के कमांडर के बच्चों की असमय मौत हो गयी थी।
हालांकि यह खबर सुनने में दुखदाई लग सकती है, परन्तु यह भी देखना बहुत ही हैरानी भरा है कि यह औरतें सबसे बड़े आतंकी संगठनों में से एक संगठन की सदस्य थीं और बोको हरम केवल वैचारिक हिंसा ही नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर कत्लेआम भी करता है।
यह भी अपने आप में प्रश्न है कि आखिर औरतें ऐसे संगठन का हिस्सा बनने के लिए तैयार कैसे हो जाती हैं, जिसका नाम ही हिंसा का पर्याय है। जो इतना दुर्दांत संगठन है कि कोई इसके खिलाफ सहज बोलने के लिए तैयार भी नहीं होता है और वर्ष 2002 में अपनी स्थापना के बाद से ही यह लाखों लोगों का खून बहा चुका है।
बीबीसी के अनुसार बोको हरम के समर्थक कुरआन की शब्दावली से प्रभावित हैं अर्थात जो अल्लाह को नहीं मानता है, वह पापी है। वैश्विक आतंकी सूची 2015 में इसे सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठनों की सूची में रखा गया था। यह वही संगठन है जिसके आतंकी तब चर्चा में अचानक से आए थे जब वह 300 से अधिक लड़कियों को उठाकर ले गए थे। वर्ष 2020 में इसके आतंकियों ने जाम्फ्रा के एक सरकारी स्कूल पर हमला करके 300 से अधिक लड़कियों का अपहरण कर लिया था और वह लोग इस कारण स्कूलों से नाराज थे कि वह इस्लामी शिक्षा नहीं दे रहा है। यहां तक कि अप्रेल 2014 में इसके आतंकी बोर्नो स्टेट के चिबूक में स्थित सेकंडरी स्कूल से 276 बच्चियों को उठाकर ले गए थे। इनमे से कई लड़कियों की खबर नहीं मिल सकी थी। यहां तक कि वर्ष 2020 में बोको हरम ने खेत में काम कर रहे 110 लोगों का गला काट दिया था और औरतों को उठा कर ले गए थे। एक अनुमान के अनुसार बोको हरम ने तीन लाख से अधिक लोगों की हत्या कर दी है।
अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर वह कौन सी मानसिकता की औरतें थीं, जिन्होनें ऐसे संगठन का हिस्सा बनना स्वीकार किया और क्या यह कहा जा सकता है कि वह भी दूसरों की गर्दन काटने वाले काम में शामिल रहीं होंगी, चाहे जैसे भी, क्योंकि वह थीं तो उसी संगठन की। तो क्या यह उनके कर्म थे जो इस परिणिति के रूप में उनके सामने आए? यह एक प्रश्न हो सकता है या पहलू हो सकता है। एक और प्रश्न उठता है कि ऐसा क्या कारण है या ऐसी कौन सी मानसिकता है जिसके चलते औरतें ऐसे संगठनों का भाग बन जाती हैं जिसके हाथ बच्चियों के खून से सने हैं?
हालांकि नवम्बर में घटी इस घटना को लेकर वहां की पुलिस ने बहुत कुछ स्पष्ट नहीं कहा था, मगर मीडिया के अनुसार यह घटना सत्य है।
लिंक: https://saharareporters.com/2022/11/15/breaking-boko-haram-kills-over-20-women-labelled-witches-borno
https://punchng.com/terrorists-kill-15-female-gang-members-allege-witchcraft/
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