उत्तराखंड में अगले कुछ सालो में जनसंख्या असंतुलन सबसे बड़ी समस्या बनने जा रही है,उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने भी इस समस्या को गंभीरता से समझ लिया है और वो अब सशक्त भू कानून लाने की तैयारी कर रही है,उल्लेखनीय है कि पड़ोसी राज्य हिमाचल में पिछले पच्चास सालो में मुस्लिम आबादी दो प्रतिशत के ही आसपास है जबकि उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी सोलह प्रतिशत तक होजाने का अनुमान है।
उत्तराखंड के चार मैदानी जिलों में हरिद्वार में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी हो गई है यहां कुल आबादी का करीब 34 प्रतिशत हिस्सा मुस्लिम है, इसी तरह उधम सिंह नगर जिले में भी 32 फीसदी,नैनीताल जिले और देहरादून जिले में तीस तीस प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, और अब पौड़ी जिले में भी मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ने लगी है।
उल्लेखनीय है कि 2001 में राज्य में मुस्लिम आबादी11.9 प्रतिशत थी 2011 में 13.9 प्रतिशत थी और अब 2022 में इसके 16 प्रतिशत तक होजाने का अनुमान है। उत्तराखंड भारत में असम के बाद सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ती मुस्लिम आबादी वाला राज्य हो गया है। केरल और बंगाल में मुस्लिम आबादी वृद्धि दर देवभूमि उत्तराखंड से कम है।
बात करे हिमाचल जिसकी भगौलिक सरंचना उत्तराखंड से मेल खाती है, सांस्कृतिक दृष्टि से हिमाचल को भी देव भूमि कहा जाता था है और उत्तराखंड को भी देव भूमि का दर्जा प्राप्त है। 25 जनवरी 1971 को हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था तब यहां मुस्लिम आबादी कुल राज्य की आबादी का दो प्रतिशत से कुछ कम थी और आज भी ये आबादी प्रतिशत 2.1प्रतिशत ही है और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह हिमाचल का भू कानून है ।इस कानून की वजह से राज्य से बाहर्वका कोई भी व्यक्ति यहां जमीन नही खरीद सकता अलबत्ता उसे लीज पर ले सकता है। इस कानून की वजह से हिमाचल में अभी तक हिंदू आबादी वाले राज्य के रूप में संरक्षित है। खास बात ये भी है कि इस पहाड़ी राज्य में आज तक कोई मुस्लिम विधायक नही बन पाया और यहां के पहाड़ों का देव स्वरूप कायम रहा है।
2001में हिमाचल में मुस्लिम आबादी 119512 दस साल बाद यानि 2011में 149881और अब 2022 में इसके 163820 हो जाने का अनुमान है।
हिमाचल की तुलना में उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी ने भू कानून नही होने की वजह से पांव पसार लिए है। आबादी के यदि आंकड़े देखें तो आजादी के वक्त 1947 में यूपी के पहाड़ी जिलों में उत्तराखंड में मात्र 1.5 प्रतिशत मुस्लिम थे, ये वो लोग थे जो कि गढ़वाली कुमाऊनी बोली बोला करते थे। जब 2000 में उत्तराखंड राज्य बना तो 2001की जनगणना में मुस्लिम आबादी 11.9 प्रतिशत थी 2011 में ये बढ़ कर13.9 प्रतिशत हुई और 2022 में इसके 16 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है, यानि हर दस साल में दो प्रतिशत मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर दर्ज हो रही है। असम में हर दस साल में 3.3 प्रतिशत मुस्लिम आबादी बढ़ रही है, जबकि केरल में 1.9 और बंगाल में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि दर है।
एक चिंताचंक आंकड़ा और भी सामने आ रहा है वो ये कि 2011 में राज्य की कुल मुस्लिम आबादी 1406825 थी जोकि 2022 में 1631917 से भी आगे चले जाने का अनुमान है। उत्तराखंड राज्य की आबादी 2011 में 10086292 थी जोकि इस साल 11700099 को पार करेगी। ऐसे में गौर करें करीब 17 लाख की आबादी बढ़ने में मुस्लिम आबादी 225092 की वृद्धि सामने आ रही है। ये वो आबादी है जोकि उत्तराखंड के जनसंख्या रजिस्टर में दर्ज होगी,अभी यहां लाखो की संख्या में बाहरी राज्यो से आए मुस्लिम लोग किराए पर रह रहे है और धीरे धीरे वे भी यहां स्थाई निवासी हो जाने है क्योंकि यहां उनके बसने में हिमाचल की तरह कोई रोक टोक नही है।
मुस्लिम आबादी में यूपी बिहार के लोग तो है ही जानकारी के मुताबिक बड़ी संख्या में बंगलादेश और म्यांमार से आए रोहिंग्या भी बसते जा रहे है। एक जानकारी के मुताबिक कभी उत्तरकाशी में मुस्लिम वोटर संख्या 150 के आसपास हुआ करती थी और ये अब 5000 से भी ज्यादा हो गई है।
देहरादून के विकास नगर में 6000 मुस्लिम वोटर हुआ करते थे जो अब 32हजार हो गए है। हरिद्वार जिले में कुंभ क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो चारो तरफ मुस्लिम आबादी नजर आती है। उधम सिंह नगर जिले में यूपी से लगते सीमा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी ने डेरा डाल दिया है, देहरादून में सेलाकुई ,विकासनगर ,सहसपुर क्षेत्र जो यूपी के सहारनपुर जिले से लगता है, मुस्लिम बाहुल्य हो चुका है,यहां तक की धर्म नगरी ऋषिकेश जहां कभी कोई मुस्लिम नही रहता था अब शहर के चारो तरफ यहीं समुदाय रह रहा है। नैनीताल जिले ,रामनगर , हल्द्वानी शहर में मुस्लिम आबादी ने नदियों किनारे सरकारी वन और रेलवे की जमीनों पर कब्जे कर घर बसा लिए है।नैनीताल शहर में ही मुस्लिम आबादी ने करीब दसगुना की वृद्धि ले ली है।पौड़ी जिलेवका कोटद्वार, यूपी के नजीबाबाद से लगा हुआ क्षेत्र है यहां भी मुस्लिम आबादी बढ़ती जा रही है।
सामाजिक विषयो में रुचि रखने वाले अनूप नौटियाल कहते है कि उत्तराखंड सरकार खुद इस बात का अध्ययन या सर्वे करवाए कि कहां कहां वोटर संख्या, पिछले पन्द्रह सालो में बढ़ी है, किस की बढ़ी है और इसके पीछे कारण क्या है? तो खुद ब खुद तस्वीर साफ हो जाएगी।
एडवोकेट वैभव कांडपाल कहते है कि उत्तराखंड को सशक्त भू कानून के साथ साथ जनसंख्या नियंत्रण नीति भी बनानी होगी।
उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित भू कानून विशेषज्ञ समिति के सदस्य अजेंद्र अजय के मुताबिक देव भूमि का स्वरूप बचाए रखने के लिए ,जनसंख्या असंतुलन बनाए रखने के लिए हिमाचल प्रदेश की तरह सख्त भू कानून की जरूरत है अन्यथा ये उत्तराखंड राज्य सीमा वर्ती राज्य होने की वजह से आंतरिक सुरक्षा जैसी समस्याओं से घिरता ही जायेगा।
राजनीति के जानकर विनय कोहली बताते है उत्तराखंड में अब बारह से पन्द्रह विधान सभा सीट ऐसी है जहां बीजेपी कभी चुनाव नही जीत पाएगी, जिनमे हरिद्वार जिले की ज्वालापुर,उधम सिंह नगर की जसपुर, नैनीताल की हल्द्वानी सीट भी शामिल है।धीरे धीरे मुस्लिम वोटर्स बढ़ रहे है जो कभी भी बीजेपी को वोट नहीं देते है।
यानि जनसंख्या असंतुलन से सबसे ज्यादा उत्तराखंड की राजनीति प्रभावित होने वाली है।
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