राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि लोकतंत्र में संसद की संप्रभुता पवित्र है। संसद को विधिवत प्रक्रिया अपनाकर संविधान के किसी भी प्रावधान में नई बातें जोड़ने, उनमें बदलाव करने या संविधान के किसी भी प्रावधान को रद्द करके संशोधन करने का बिना शर्त अधिकार प्राप्त है।
उप राष्ट्रपति और उच्च सदन के सभापति का दायित्व संभालने के बाद आज संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन धनखड़ ने पहली बार राज्यसभा के सत्र की अध्यक्षता की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा उनके स्वागत में दिए गए भाषणों के बाद धनखड़ ने उच्च सदन में अपने पहले ही संबोधन में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन संबंधी 99 वें संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ सात वर्ष तक संसद में चर्चा न होना खेदजनक है।
राज्यसभा सभापति ने उम्मीद जताई कि जनादेश का प्रतिनिधित्व करने वाले संसद के दोनों सदन मिलकर इसका रास्ता निकालेंगे।
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