मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वंचित व दबे-कुचले व्यक्ति बाबा साहेब के कारण नई प्रेरणा व प्रकाश प्राप्त करते हैं। जब भी दुनिया में स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुता की बात होती है तो बाबा साहेब का नाम गौरव व गरिमा के साथ लिया जाता है। दबे-कुचले और वंचित लोगों की न्याय की लड़ाई में वे प्रेरणा का कार्य करते हैं। तमाम बंधनों के बावजूद देश-दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा व डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने के बाद भी उन्होंने जीवन को दबे-कुचलों व वंचित तबके के उत्थान के लिए समर्पित किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। सीएम ने कहा कि यह गौरव की बात है कि बाबा साहेब का जन्म भारत में हुआ। समाज व राष्ट्र के प्रति उनकी कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए देश में कई कार्यक्रम चल रहे हैं। पीएम मोदी ने डॉ. आंबेडकर के पंच तीर्थों को विकसित कराया। डॉ. आंबेडकर का जन्म स्थल महू (मध्य प्रदेश), दिल्ली में जहां उन्होंने सार्वजनिक जीवन को बढ़ाया, वहां स्मारक तैयार हो गया। लंदन के जिस भवन में रहकर उन्होंने उच्च शिक्षा अर्जित की, उसे भारत सरकार ने वंचित तबके के बच्चों के लिए छात्रावास व स्मारक के रूप में बदलने का कार्य किया। इसके लिए विशेष छात्रवृत्ति जारी की। नागपुर की जिस धऱती पर बाबा साहेब ने दीक्षा ली थी और अंतिम यात्रा मुंबई में जहां हुई, वहां भी भव्य स्मारक का कार्य हुआ।
सीएम ने कहा कि बिना भेदभाव के शासन की योजनाओं को गरीबों तक पहुंचाया गया। 45 लाख गरीबों को पीएम व मुख्यमंत्री आवास, स्वच्छ भारत योजना के तहत 2.61 करोड़ गरीबों को शौचालय, 1.63 करोड़ परिवारों को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन, कोरोना काल में 15 करोड़ लोगों को यूपी व 80 करोड़ गरीबों को देश में फ्री राशन दिया। यह संवेदना डॉ. आंबेडकर की देन है, लोकप्रिय सरकार को संवेदनशील होना होगा। कोरोना में जब पूरी दुनिया ध्वस्त थी, तब यह कार्य हो रहा था।
सीएम ने कहा कि यूपी सरकार डॉ. आंबेडकर के भव्य सांस्कृतिक केंद्र व स्मारक का निर्माण करने जा रही है। हमारी सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों डॉ. आंबेडकर के चित्र को लगवाया। थाऊ, मुसहर, कोल, वनटांगिया समेत कई वंचित तबके के लिए शासन की योजनाएं दूर की कौड़ी थीं पर केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार उन तक सभी योजनाओं को पहुंचा रही है। बाबा साहेब ने आजादी के बाद संविधान सौंपते समय उद्घोष किया था कि संविधान की मूल आत्मा स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुता में है। इन मूल्यों के लिए हम सभी तन्मयता के साथ लगे हैं।
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