सामुदायिक और नस्लीय हिंसा से बुरी तरह त्रस्त नाइजीरिया से एक और हैरान करने वाली खबर आई है। हाल ही में वहां 13 गांवों पर हमला करके बंदूकधारियों ने महिलाओं और बच्चों समेत अनेक लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी थी। उस घटना में हमलावर कई लोगों को अगवा भी करके ले गए थे। लेकिन उस हिंसक वारदात को मुश्किल से सात ही दिन बीते होंगे कि इस नई घटना में 12 लोगों के मारे जाने का समाचार मिला है।
देर से प्राप्त समाचार के अनुसार, अफ्रीकी देश नाइजीरिया के कैटसिना प्रांत में स्थानीय मैगमजी मस्जिद में नमाज के दौरान अनेक बंदूकधारी मोटरबाइक पर पहुंचे थे। उन्होंने वहां अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी की वजह से नमाजियों में भगदड़ मच गई। वहां जमा लोगों में अफरातफरी मच गई लेकिन इस बीच 12 नमाजी गोलियों की चपेट में आ गए जिनमें मस्जिद को मुख्य इमाम भी शामिल था।
इस हत्याकांड के बाद हमलावर दुबारा लौटकर आए और उन्होंने गांव के कई लोगों का अपहरण कर लिया। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अनेक स्थानीय लोगों के हवाले से घटना का ब्योरा देते हुए अपनी रिपोर्ट दी है। कैटसिना राज्य की पुलिस ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा है कि अगवा किए गए कुछ लोगों को बाद में स्थानीय जन की मदद से मुक्त करा लिया गया है।
घटना के बाद से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है। लोग अपने घरों में दुबके रहने को मजबूर हैं। सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ नाम के लिए है। मस्जिद के मुख्य इमाम सहित कम से कम 12 लोगों की हत्या से स्थानीय इस्लामी समुदाय सकते में है। वहीं के एक निवासी अब्दुल्लाही मोहम्मद ने बताया कि आधुनिक हथियारों से लैस हमलावरों ने गांव के अनेक लोगों को इकट्ठा किया और उन्हें अपने साथ घनी झाड़ियों की तरफ ले गए।
नाइजीरिया में ऐसे सशस्त्र गुटों के अपने से दूसरे नस्लीय समूहों के गांवों पर धावा बोलकर हत्याएं करना एक आम चलन जैसा बनता जा रहा है। ये लोगों को मारकर बाकियों को अपने साथ इसलिए अगवा करते रहे हैं जिससे उन्हें बंधकों के बदले फिरौती के रूप में मोटा पैसा मिले। उधर कैटसिना राज्य पुलिस के प्रवक्ता गैंबो इसाह का कहना है कि घटना की गहन जांच की जा रही है और अपराधियों को ढूंढने की कार्रवाई की जा रही है।
नाइजीरिया के इस कैटसिना राज्य की सीमा पड़ोसी देश नाइजर से सटी हुई है। इसलिए माना जाता है कि अपराधी यहां हिंसक वारदातें करके सीमा पार भाग जाते हैं। इन अपराधी तत्वों की दादागिरी यहां तक है कि वे खुलेआम गांववालों को खेती करने और फसल काटने के लिए सुरक्षा शुल्क देने का जोर डालते हैं।
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