उत्तराखंड में ईसाई और मुस्लिम कन्वर्जन के षड्यंत्रों को रोकने के लिए सरकार ने अपनी मंशा स्पष्ट करते हुए, विधानसभा में कन्वर्जन विधेयक पेश कर दिया, इस पर अब सदन में बहस होगी और इसे पास होने के बाद राजभवन के जरिए राष्ट्रपति को भेजा जाएगा।
उत्तराखंड के संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल ने इसे सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि राज्य की देव संस्कृति को बचाने के लिए ये विधेयक जरूरी है।
उत्तराखंड में हिंदू लड़कियों को मुस्लिम लडको द्वारा नाम बदल कर फंसाने और उनका मतांतरण कराने की घटनाएं सामने आती रही है। पहाड़ी क्षेत्रों में पौड़ी, टिहरी, चमोली, चंपावत,बागेश्वर, नैनीताल जिले में ऐसे मामला दर्ज हुए है।
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय के बाद उत्तराखंड में मतांतरण मतांतरण की खबरे आईबी के जरिए पहुंची है जिसके बाद से उत्तराखंड सरकार जागी है और केबिनेट में कन्वर्जन विधेयक लाए जाने को मंजूरी दी गई थी।
उत्तराखंड में जनजातियों मे खास कर थारू बुक्सा, वंचित समाज राय सिखो में ईसाई मिशनरियां कन्वर्जन करवा रही है, राज्य की करीब 35 फीसदी आबादी इस समुदाय की ईसाईयत अपना चुकी है।
जानकारी के मुताबिक सरकार ने जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर दस साल की कड़ी सजा, जुर्माने का प्रस्ताव रखा है और इन्हे आरक्षण से वंचित किए जाने की भी बात कही गई है। स्वेच्छा के यदि कोई मतांतरण करना चाहता है तो इसके लिए एक माह पहले डीएम को इसकी सूचना देनी होगी।
विहिप से जुड़े अधिवक्ता वैभव कांडपाल कहते है कन्वर्जन कानून की राज्य को जरूरत है सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है। देहरादून के एडवोकेट राजीव शर्मा कहते है कानून के साथ साथ सशक्त भू कानून की भी जरूरत है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि देवभूमि की अपनी संस्कृति है जिसे कुछ संगठन नष्ट करने के प्रयास में है इन्हे रोकना जरूरी है।
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