लव जिहादी आफताब ने हिंदू बेटी श्रद्धा के शरीर 35 टुकड़े किए। इस बर्बर हत्याकांड ने सेकुलरों को भी यह मानने के लिए विवश किया कि देश में लव जिहाद चल रहा है। विहिप ने मांग की है कि लव जिहाद के विरुद्ध एक केंद्रीय कानून बने
इस समय पूरे भारत के लोग आफताब अमीन पूनावाला को लेकर गुस्से में हैं। वही आफताब, जिसने श्रद्धा नामक एक हिंदू युवती की हत्या कर उसके शव के 35 टुकड़े कर दिए थे। विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल कहते हैं, ‘‘आफताब लव जिहादी है।’’ इसके साथ ही वे केंद्र सरकार से यह भी मांग करते हैं कि लव जिहाद को रोकने के लिए एक कठोर केंद्रीय बने।
फिलहाल आफताब दिल्ली पुलिस के कब्जे में है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे आफताब की हैवानियत की परतें खुलती जा रही हैं। पुलिस पूरी ताकत से ऐसे प्रमाण इकट्ठे करने में जुटी है, जो आफताब को कड़ी सजा दिला सकें। वहीं आफताब बचने के लिए पुलिस से भी झूठ बोल रहा है। इस स्थिति को देखते हुए पुलिस उससे पूछताछ करने के लिए आधुनिक तरीकों का सहारा ले रही है।
बता दें कि आफताब ने 2019 में मुम्बई में श्रद्धा नामक एक हिंदू युवती को पहले अपने प्रेमजाल में फंसाया। जब श्रद्धा ने इस रिश्ते को वैवाहिक बंधन में बांधने की जिद की तो आफताब के शैतानी दिमाग ने वह किया, जिसे सुनकर हर इंसान कांप जाए। उसने एक षड्यंत्र के तहत दिल्ली आने का निर्णय लिया।
यहां आफताब ने 18 मई, 2022 को गला दबाकर श्रद्धा की हत्या कर दी। इसके बाद उसके शव को 35 टुकड़ों में काटकर फ्रिज में रख दिया। फिर उन टुकड़ों को उसने लगभग 20 दिन में अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया। क्या कोई इंसान ऐसा कर सकता! उत्तर है नहीं। इसलिए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने आफताब को राक्षस करार देते हुए कहा, ‘‘उसे इतनी कड़ी सजा मिले कि और कोई ऐसी हैवानियत न कर सके।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हिंदू समाज की बहू-बेटियां सुरक्षित रहें, इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार लव जिहाद के मामलों को गंभीरता से ले रही है। ऐसे ही अन्य राज्य सरकारों को भी लव जिहादियों से कड़ाई से निपटना चाहिए।’’
लव जिहादियों के हाथों मारी गई कुछ हिंदू लड़कियांं
तिथि -स्थान- लड़की का नाम- लव जिहादी
25 अगस्त, 2022 भोपाल, कशिश परमार, अख्तर अली
23 अगस्त, 2022 दुमका, अंकिता सिंह, शाहरुख खान
23 मई, 2022 किच्छा, नेहा, अबरार
18 मई, 2022 दिल्ली, श्रद्धा ,आफताब
1 मई, 2022 नैनीताल, अंजलि आर्या, यामीन अहमद
22 मार्च, 2022 अजमेर, स्वाति, अरशद
1 दिसम्बर, 2021 रोहतक, तनिष्का शर्मा, मोहम्मद साहिल
1 अक्तूबर, 2021 गुना, कृति जैन, वसीम
10 सितंबर, 2021 बिजनौर, बबली रानी, शहजाद
18 अगस्त, 2021 कोटा, अंतिमा, रिजवान
25 अगस्त, 2021 नैनीताल, दीक्षा, मिश्रा इमरान
1 जुलाई, 2021 छतरपुर, नीलम अहिरवार, मोहम्मद तालिब
1 जुलाई, 2021 झांसी, एकता, तालिब
24 अप्रैल, 2021 रुड़की, निधि पासवान, हैदर अली
19 फरवरी, 2021 दिल्ली, नीतू, लायक खान
4 फरवरी, 2021 मोहाली, वर्षा चौहान, वारिस
21 सितंबर, 2020 सोनभद्र, प्रिया सोनी, एजाज अहमद
1 सितंबर, 2020 बांदा, नेहा, आसिफ
26 जून, 2020 रोहतक, शिवानी, आरिफ खान
17 जून, 2020 गाजियाबाद, नैना कौर, शेर खान
1 जून, 2020 मलाड, सोनम शुक्ला, मोहम्मद अंसारी
28 मार्च, 2020 मेरठ, प्रिया, शमशाद
1 नवंबर, 2020 बरेली, निशा, लुकमान
10 अक्तूबर, 2019 लखनऊ, सीमा, सोनी नदीम
12 जुलाई, 2019 दिल्ली, खुशी परिहार, अशरफ
5 जून, 2019 मेरठ, एकता देशवाल, साकिब
15 अक्तूबर, 2018 मुम्बई, मानसी दीक्षित, मुज्जमिल
1 अक्तूबर, 2018 बल्लभगढ़, निकिता तोमर, तौहीफ एवं रेहान
1 नवंबर, 2017 जमशेदपुर, चयनिका, रफीक
5 जुलाई, 2017 प्रयागराज, हिना, तलरेजा अदनान
श्रद्धा की हत्या के विरोध में रोहिणी (दिल्ली)
में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल महिलाएं
संस्कार ही संभालेंगे
एक षड्यंत्र के अंतर्गत कुछ मुस्लिम लड़के नाम बदल कर, तिलक लगाकर, कलावा बांधकर हिंदू लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फंसा रहे हैं। जब एक बार कोई लड़की इनके चक्कर में पड़ जाती है तो उसकी ऐसी दुर्गति की जाती है कि वह कहीं की नहीं रहती। वह रोज अत्याचारों का सामना करती है, लेकिन अपने माता-पिता के पास लौटने की हिम्मत नहीं कर पाती। श्रद्धा के साथ यही हुआ। वह आफताब की मार खाती रही, लेकिन अपने पिता के पास नहीं लौटी और अंत में उसकी जान चली गई। हिंदू समाज को इनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। अपने बच्चों के साथ बैठें और उन्हें संस्कार दें। बच्चों को अपने धर्म के बारे में, अपने परिवार के बारे में बताएं। उन्हें अपनी जड़ से दूर न होने दें। मत भूलिए, हमारे संस्कार ही हमें संभालेंगे।
षड्यंत्र ही षड्यंत्र
हिंदू लड़कियों को फंसाने के लिए मुसलमान लड़कों को कई तरह की मदद दी जाती है। कभी उन्हें पैसों से मदद की जाती है, तो कभी बड़ी-बड़ी गाड़ियां देकर उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। इतना ही नहीं, जब इन लोगों को पुलिस पकड़ती है या फिर कानूनी सहायता की आवश्यकता पड़ती है तो कई वकील मुफ्त में इनके मामले लड़ते हैं। कुछ तत्व ऐसे युवकों को बताते हैं कि लड़कियां सिर्फ भोग की वस्तुएं हैं। और जब उनका काम खत्म हो जाता है तो उन्हें मार दिया जाता है। पाकुड़ जिले में इस तरह की कई घटनाएं हुई हैं। वहां जानबूझकर जनसंख्या बढ़ाई जा रही है और गैरकानूनी तरीके से लोगों को बसाया जा रहा है।
आफताब की करतूत ऐसी है कि इससे वे सेकुलर भी हैरान हैं, जो यह मानते ही नहीं कि लव जिहाद जैसी कोई बात है। कुछ वर्ष पहले जब ‘पाञ्चजन्य’ ने लव जिहाद की घटनाओं को प्रमुखता से छापना शुरू किया, तो सेकुलर पत्रकार कहा करते थे, ‘‘यह सिर्फ एक मजहब को निशाने पर रखना है।’’ यही नहीं, सेकुलर नेता तो लव जिहाद संज्ञा सुनते ही बिदक जाते थे। पाठकों को ध्यान होगा कि अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए संसद में हो रही बहस के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्ब्ल ने कहा था, ‘‘हमें पता है आप लोग (भाजपा वाले) कभी लव जिहाद के नाम पर तो कभी और किसी नाम पर मुसलमानों को परेशान करते हैं।’’ लेकिन इस बार सेकुलर बिरादरी, भले दबी जुबान से ही, यह स्वीकार कर रही है कि आफताब लव जिहादी है। बता दें कि इन दिनों दिल्ली में नगर निगम के चुनाव के लिए प्रचार अभियान चल रहा है। विभिन्न पार्टियों के नेता और कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं। इस दौरान दिल्ली के लोग इन लोगों से लव जिहाद के बारे में पूछ रहे हैं। जनभावना को देखकर इन्हें मानना पड़ रहा है कि आफताब लव जिहादी है और उसे सजा मिलनी चाहिए।
पत्रकार अनिता चौधरी लव जिहाद को एक अलग नजरिए से देखती हैं। उनका कहना है कि हिंदू समाज को अपनी बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के साथ ही यह भी ध्यान में रखना होगा कि वे क्या पहनती हैं, किससे मिलती हैं? अनिता कहती हैं, ‘‘मनुष्य कपड़ा इसलिए पहनता है कि धूप, हवा, सर्दी आदि से उसके शरीर की रक्षा हो सके, लेकिन आजकल महानगरों में जिस तरह के कपड़ों का चलन शुरू हुआ है, वह न तो शरीर को धूप से बचाता है और न ही सर्दी से।
आप अपने घर के अंदर कुछ भी पहनें, कुछ भी खाएं, कुछ भी करें, उससे किसी का कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन यदि आप घर से बाहर निकल रहे हैं, तो इतना ध्यान रखना ही होगा कि वैसे ही कपड़े पहनें, जिसकी सभ्य व्यक्ति से अपेक्षा की जाती है।’’ अनिता के कहने का अर्थ यह है कि हिंदू समाज अपनी बेटियों को इतनी भी छूट न दे कि वे कुछ गलत निर्णय लेने लगें। वहीं लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता इंदिरा मोहन कहती हैं, ‘‘बच्चियों को पढ़ाई-लिखाई और अन्य कार्यों में छूट मिलनी ही चाहिए, ताकि उनका उचित विकास हो, वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें, लेकिन इसके साथ ही माता-पिता को यह भी ध्यान रखना होगा कि कहीं उनकी बच्ची छूट का दुरुपयोग कर ‘मन की मालकिन’ तो नहीं बन रही है। जो बच्ची ‘मन की मालकिन’ बन जाती है उस पर माता-पिता का कोई नियंत्रण नहीं रह जाता।
इस कारण इन बच्चियों को यह नहीं पता होता कि घर से बाहर जाने पर किससे मिलना चाहिए और किससे नहीं मिलना चाहिए। ऐसी बच्चियों को यह भी नहीं पता होता कि उसके साथ कौन छल कर रहा है और कौन उसका हितैषी है। इस कारण हमारी कुछ बच्चियां परम्पराओं को तोड़कर स्वयं अपने बारे में अपना निर्णय ले लेती हैं। बाद में उनका जीवन किसी नरक से कम नहीं होता या फिर उसकी जान चली जाती है।’’
श्रद्धा की हत्या से संत समाज भी क्रोध में है। ‘दिल्ली संत महामंडल’ के महामंत्री महंत नवल किशोरदास जी महाराज कहते हैं, ‘‘अपनी बच्चियों को लव जिहादियों से बचाने के लिए हिंदुओं को संस्कार का सहारा लेना पड़ेगा। उन्हें बताना होगा कि हमारी संस्कृति क्या है, धर्म क्या है। बच्चों के साथ बैठना होगा, उन्हें बताना होगा कि किसी भी अनजान व्यक्ति से कोई मतलब न रखें।’’ ‘सावरकर विचार मंच’ के संस्थापक रामनिवास शास्त्री का कहना है कि हिंदू अपने धर्म और संस्कृति के प्रति सजग नहीं हैं। इस कारण लव जिहाद जैसी समस्याएं विकराल रूप लेती जा रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘छह वर्ष के एक मुसलमान बच्चे को भी पता है कि इस्लाम क्या है, लेकिन 60 वर्ष के हिंदू को नहीं पता कि हिंदुत्व क्या है।’’ वहीं श्री सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा दिल्ली के अध्यक्ष भूषणलाल पाराशर कहते हैं,‘‘लव जिहादी हिंदुओं की सहिष्णुता का गलत फायदा उठा रहे हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘लव जिहाद को तभी रोका जा सकेगा, जब हर हिंदू इसके विरोध में उतरेगा।’’
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