एशिया के सबसे बड़े फिल्म फेस्टिवल का आज समापन हो गया है। 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का समापन गोवा के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी इंडोर स्टेडियम में सितारों से सजे एक भव्य समारोह के साथ हुआ। ये अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 20 नवंबर से शुरू हुआ था। जिसे गोवा में आयोजित किया गया। पिछले नौ दिनों से चल रहे इस फिल्म महोत्सव में के दौरान कुल मिलाकर 35000 मिनटों के समय वाली 282 फिल्में दिखाई गईं। इस महोत्सव में दुनिया भर के 78 देशों की 183 अंतर्राष्ट्रीय फिल्में और 15 भारतीय भाषाओं में 97 भारतीय फिल्में दिखाई गईं। 20 से अधिक मास्टरक्लास, बातचीत सत्र और अनगिनत सेलिब्रिटी कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें से कई सत्र न केवल वास्तविक रूप में, बल्कि वर्चुअल भी सुलभ थे। इस फिल्म के समापन समारोह को भव्य बनाने के लिए आयुष्मान खुराना, आशा पारेख, मानुषी छिल्लर, ईशा गुप्ता, राणा दग्गुबती, आनंद राय, अक्षय कुमार सहित साउथ के सुपरस्टार चिरंजीवी के साथ-साथ कई बड़ी हस्तियां शामिल हुई है।
अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव भारत के समापन कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा कार्यक्रम व खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस रंगारंग और जीवंत समापन समारोह में मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि इफ्फी ने समस्त क्षेत्र के दर्शकों, चाहे वे युवा हों या बुजुर्ग, नए हों या महोत्सव के दिग्गज हों, के लिए सिनेमा की बारीकियों से भरी अद्भुत दुनिया पूरी तरह से खोल दी। ‘इफ्फी ने न सिर्फ हमारा मनोरंजन किया, बल्कि हमारा ज्ञान भी बढ़ाया। इफ्फी ने हमारे हास्य को गुदगुदाया और हमारे अनुभवों को अभिभूत कर दिया।’ ‘इफ्फी में दिखाई गई व्यापक विविधता ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की जीवंत अभिव्यक्ति है जिसने दुनिया भर के रचनात्मक विचारकों, फिल्म निर्माताओं, सिनेमा प्रेमियों और संस्कृति प्रेमी लोगों को एक मंच प्रदान किया।’
53वें इफ्फी में हुई कई नई शुरुआत
समापन कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 53वें इफ्फी का समापन कई नई शुरुआत करने के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि फ्रांस द्वारा भारत को दिया गया ‘कान्स कंट्री ऑफ़ ऑनर’ का दर्जा देने के बदले में फ्रांस का ‘कंट्री ऑफ फोकस’ के रूप में चयन करना, टेक्नोलॉजिकल पार्क जिसमें सिनेमा की दुनिया से नवीनतम नवाचारों को प्रदर्शित किया गया, 75 क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो को 53 घंटे की चुनौती, मणिपुरी सिनेमा के लिए विशेष रूप से तैयार पैकेज इनमें से कुछ हैं। पहली बार कनाडा के फिल्म स्कूलों, ओटीटी के दिग्गजों और कुंग फू पांडा के निर्देशक मार्क ओसबोर्न जैसे ऑस्कर नामांकित लोगों के साथ साझेदारी में मास्टरक्लास आयोजित की गईं।
क्षेत्रीय सिनेमा अब क्षेत्रीय नहीं रह गया है
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय सिनेमा अब क्षेत्रीय नहीं रह गया है, बल्कि यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो गया है। उन्होंने कहा, ‘इस साल कई फिल्मों जैसे कि आरआरआर, केजीएफ और अन्य ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम फहराया है। हाल ही में हमारे पास बांग्लादेश और मध्य एशियाई देशों से एक प्रतिनिधिमंडल आया था जिसमें 80 से भी अधिक युवा शामिल थे। वे केवल हिंदी फिल्मी गाने और क्षेत्रीय फिल्मी गाने सुनना चाहते थे। उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती के दौर से लेकर अक्षय कुमार और चिरंजीवी तक की फिल्मों के बारे में चर्चा की, जो विभिन्न देशों की सीमाओं को मिटा देती हैं। यदि कंटेंट दमदार है, तो यह किसी विशेष क्षेत्र या देश की सीमा तक ही सीमित नहीं रहता है।’
भारत में फिल्मांकन के एक समृद्ध इकोसिस्टम की ओर कदम
इफ्फी के भविष्य के संस्करणों का खाका खींचते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कि हमारा लक्ष्य भारत में फिल्मांकन का एक समृद्ध इकोसिस्टम विकसित करना और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप एक ऐसे फिल्म उद्योग का निर्माण करना है, जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त होगा। उन्होंने कहा, “भारत में हमेशा प्रतिभाएं मौजूद रहीं हैं। इन्हें बस बिना किसी बाधा के सामने आने के लिए एक मौके की जरूरत रही है, जहां दर्शक उनकी सफलता तय करें।”
इजरायल के साथ फिल्म निर्माण के क्षेत्र में नई साझेदारी
अनुराग ठाकुर ने कहा कि “फौदा” भारत में हिट रही है और इसके चौथे सीजन के प्रीमियर का इफ्फी में जोरदार स्वागत हुआ है। भारत और इज़राइल बहुत ही विशिष्ट संबंध साझा करते हैं। “हमारे पड़ोस में संघर्ष है। साथ ही, हमारा हजारों साल का इतिहास है, हम कई क्षेत्रों, खासकर सुरक्षा के क्षेत्र में, साथ मिलकर काम करते हैं।”
इजराइल के स्टार्टअप इकोसिस्टम की सफलता की कामना करते हुए, मंत्री ने सिनेमा और फिल्म निर्माण के क्षेत्र में इजराइल के साथ नई साझेदारी बनाने के प्रति विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “इजरायली समकक्षों के साथ सह-निर्माण और सहयोग होना चाहिए। आने वाले समय में भारत दुनिया का कंटेंट हब बनने वाला है। यह उन कहानियों, जो दुनिया को नहीं बताई जाती हैं, के लिए सहयोग करने, उन तक पहुंचने और फिल्म बनाने का सही समय है। भारत उपयुक्त स्थान है और इस्राइल सही भागीदार है।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने फौदा टीम को सम्मानित किया साथ ही 53वें इफ्फी में गोवा आने के लिए इजरायली राजदूत नओर गिलोन का धन्यवाद व्यक्त किया।
समापन कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने तेलुगू अभिनेता चिरंजीवी को इंडियन पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी। उन्होंने कहा, “चिरंजीवी का लगभग चार दशकों का शानदार करियर रहा और 150 से अधिक फिल्मों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।”
इस दौरान पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित कोनिदेला शिव शंकर वरा प्रसाद उर्फ चिरंजीवी ने इस सम्मान के लिए इफ्फी, भारत सरकार और प्रधानमंत्री को धन्यवाद देने के अलावा चिरंजीवी ने अपने माता-पिता और तेलुगु फिल्म उद्योग के प्रति भी आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मैं हमेशा अपने माता-पिता का आभारी रहूंगा जिन्होंने मुझे कोनिदेला शिव शंकर वरा प्रसाद के रूप में जन्म दिया और तेलुगु फिल्म उद्योग का भी, जिसने मुझे चिरंजीवी के रूप में पुनर्जन्म दिया। मैं इस उद्योग के प्रति आजीवन ऋणी हूं।’
गोल्डन पीकॉक
स्पेनिश फिल्म टेंगो सुएनोसेलेक्ट्रिकोस/आई हैव इलेक्ट्रिक ड्रीम्स ने गोल्डन अवार्ड जीता है। ज्यूरी के अनुसार यह एक ऐसी फिल्म है जिसमें सिनेमा के वर्तमान और भविष्य को पर्दे पर पेश किया गया है। कोस्टा रिका के फिल्म निर्माता वेलेंटीना मौरेल द्वारा निर्देशित इस फिल्म में 16 वर्षीया लड़की ईवा के वयस्क होने का अद्भुत चित्रण किया गया है।
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो केवल उम्र बढ़ने के बारे में नहीं है, बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया भी है जो इतनी गहरी है कि कभी-कभी यह संबंधित व्यक्ति को एक निश्चित तरीके से अंदर से पूरी तरह झकझोर भी सकती है।
सिल्वर पीकॉक
ईरानी लेखक और निर्देशक नादेर सैइवर को “नो एंड” के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के सिल्वर पीकॉक से सम्मानित किया गया है।
फिल्म ईरान की पीछे की ओर ले जाने वाली सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था का एक जादुई और सूक्ष्म चित्रण है। इस फिल्म में ईरान की गुप्त पुलिस की चालाकी और चालबाजी को दर्शाया गया है।
सिल्वर पीकॉक “सर्वश्रेष्ठ अभिनेता”
‘नो एंड’ के मुख्य अभिनेता वाहिद मोबासेरी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष) के सिल्वर पीकॉक से सम्मानित किया गया जिन्होंने केंद्रीय पात्र की तकलीफ देने वाली भावनाओं की जटिलता को परदे पर उतारा। वाहिद को ये पुरस्कार इसलिए दिया गया है कि “ये अभिनेता अनूठे ढंग से प्रकट अभिनय करते हैं। बहुत ही सीमित इशारों में और बिना कोई शब्द बोले वो खुद को अभिव्यक्त कर जाते हैं।
सिल्वर पीकॉक “सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री”
स्पेनिश फिल्म ‘आई हैव इलेक्ट्रिक ड्रीम्स’ में 16 वर्षीय लड़की ईवा की भूमिका निभाने वाली 19 वर्षीय पहली अभिनेत्री डेनिएला मार्न नवारो को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (महिला) चुना गया है। डेनिएला को इसलिए चुना गया है क्योंकि “बहुत सहजता, ताजगी और यकीन के साथ ये अभिनेत्री अपना काम करती हैं, अपने किरदार को जिंदा कर देती हैं जो कि भोलेपन से भरा हुआ है, जो कि किशोरावस्था की मुश्किल उम्र में बहुत आम होता है।
स्पेशल ज्यूरी पुरस्कार
इफ्फी-53 स्पेशल ज्यूरी पुरस्कार फिलीपीन्स के फिल्मकार लाव डियाज को व्हेन द वेव्स आर गॉन के लिए दिया गया है। यह फिल्म फिलीपींस के एक ऐसे अन्वेषक की कहानी है, जो एक गहरे नैतिक संकट से गुजरता है।
यह फिल्म उसके उस काले अतीत की चर्चा करती है, जो उसे लगातार परेशान करती रहती है। खासकर, उस स्थिति में जब वह गंभीर अवसाद और अपराधबोध की समस्या से उबरने की कोशिश करता है। लव डियाज़ को उनके अपनी तरह का ‘सिनेमाई पल’ विकसित करने के लिए जाना जाता है।
सर्वश्रेष्ठ पहली फीचर फिल्म
इफ्फी ने एथेंस की निर्देशक असिमिना प्रोएड्रो को फिल्म बिहाइंड द हेस्टैक्स के लिए एक निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ पहली फीचर फिल्म के पुरस्कार से सम्मानित किया।
इस फिल्म की कहानी दर्शकों को एक ऐसे व्यक्ति, उसकी पत्नी और उसकी बेटी की यात्रा में भाग लेने के लिए आमंत्रित करती है, जिन्हें पहली बार एक संकट के समय अपने कर्मों की कीमत अदा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
सिनेमा बंदी को विशेष सम्मान
निर्देशक, लेखक और सिनेमैटोग्राफर प्रवीण कंद्रेगुला को जूरी द्वारा उनकी फिल्म सिनेमा बंदी के लिए विशेष सम्मान प्राप्त हुआ है।
यह फिल्म एक गरीब और संघर्षरत ऑटो चालक की कहानी है, जिसे कहीं एक महंगा कैमरा मिल जाता है, जो उसके एक ऑटो-चालक से फिल्म निर्माता तक बनने की यात्रा पर ले जाता है।
कौन कौन रहा जूरी में शामिल
अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए जूरी की अध्यक्षता इज़राइली लेखक और फिल्म निर्देशक नदव लापिड ने की, अन्य जूरी सदस्यों में अमेरिकी निर्माता जिंको गोटोह, फ्रांसीसी फिल्म संपादक पास्कल चावांस, फ्रांसीसी वृत्तचित्र फिल्म निर्माता, फिल्म समीक्षक और पत्रकार जेवियर एंगुलो बार्टुरेन और भारतीय फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन शामिल हैं।
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