चीन का एक और अंतरराष्ट्रीय झूठ बेनकाब हुआ है। उसने जिस तरह मालदीव और आस्ट्रेलिया के अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी (सिडका) में शामिल होने का दावा किया था कि उसे इन दोनों की देशों ने झूठ बताया है। मालदीव ने आधिकारिक बयान जारी करके कहा है कि हमने ‘चीन-हिंद महासागर फोरम ऑन डेवलपमेंट कोऑपरेशन’ में भाग नहीं लिया।
उल्लेखनीय है कि मालदीव के विदेश मंत्रालय ने विशेष रूप से इसी बारे में वक्तव्य जारी किया है, क्योंकि बीजिंग ने बयान जारी किया था कि मालदीव “चीन-हिंद महासागर फोरम ऑन डेवलपमेंट कोऑपरेशन” में भाग लिया था। चीन ने इस फोरम का आयोजन 21 नवंबर को किया था। इसी मामले को स्पष्ट करते हुए और अपनी स्थिति को अधिकृत रूप से सबके सामने लाने के लिए मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कल यह बयान जारी किया है।
बयान में कहा गया है कि ‘मंत्रालय स्पष्ट करना चाहता है कि मालदीव सरकार ने इस फोरम में भाग नहीं लिया है। इतना ही नहीं, 15 नवंबर, 2022 को मालदीव में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास को अपने भाग नहीं लेने के इस निर्णय से अवगत करा दिया था’।
अपने बयान में मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मालदीव से किसी निजी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूहों की भागीदारी होना मालदीव सरकार का आधिकारिक प्रतिनिधित्व नहीं कहा जा सकता है। बयान में आगे कहा गया है कि मालदीव गणराज्य के संविधान के अनुच्छेद 115 (जे) के तहत, केवल पदेन राष्ट्रपति ही देश की विदेश नीति को तय, संचालित तथा उसका मुआयना कर सकते हैं। राष्ट्रपति ही दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ राजनीतिक रिश्तों को संचालित कर सकते हैं। चीन में हुई उस खास बैठक के लिए मालदीव सरकार की ओर से कोई अधिकृत प्रतिनिधिमंडल नहीं गया था।
चीन ने जिस उच्च स्तरीय चीन-हिंद महासागर क्षेत्र फोरम को आयोजित किया था, उसमें चीन के कहे के मुताबिक, भारत के अतिरिक्त इस क्षेत्र के 19 देश सम्मिलित हुए थे। कार्यक्रम की मेजबानी चीन अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी ने की थी। इस एजेंसी की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी। उसमें लिखा था कि सम्मेलन में ‘इंडोनेशिया, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, अफगानिस्तान, ईरान, ओमान, तंजानिया, मॉरीशस, ज्बूती और सेशेल्स सहित 19 देशों के उच्चस्तरीय प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था।
जिन की एजेंसी ने जिन देशों का नाम लिया था उनमें से कई तो चीन के कर्जे तले दबे हैं। इन देशों में पाकिस्तान, श्रीलंका तथा मालदीव पर सबसे अधिक कर्जा है। फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार, पाकिस्तान पर चीन का 77.3 अरब डॉलर का कर्जा चढ़ा हुआ है। चीन अपनी ‘बेल्ट एंड रोड’ परियोजना के साथ इनमें से अनेक देशों तक अपनी पहुंच बना रहा है। 2022 के एक आंकड़े के अनुसार, कम आय वाले अनेक देशों पर चीन का दिया 37 प्रतिशत कर्ज बकाया है।
उल्लेखनीय है कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने चीन की कथित शह पर भारत-मालदीव संबंधों को नुकसान पहुंचाने की पूरी कोशिश की है। लेकिन इसके बावजूद, दोनों देशों के रिश्ते आज भी आगे बढ़ रहे हैं। एक रिपोर्ट कहती है कि इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के वहां के राष्ट्रपति बनने के बाद तो भारत तथा मालदीव के बीच रिश्तों में और भी प्रगति हुई है।
चीन के झूठ की पोल ऑस्ट्रेलिया ने भी खोलकर रख दी है। भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ’फेरेल ने ट्वीट में लिखा है कि ‘मीडिया में आईं रिपोर्ट से उलट, ऑस्ट्रेलिया की सरकार के किसी भी अधिकारी ने विकास सहयोग पर कुनमिंग चीन-हिंद महासागर फोरम में भाग नहीं लिया।’
मालदीव के बाद, ऑस्ट्रेलिया के इस वक्तव्य से चीन की अंतरराष्ट्रीय किरकिरी हुई है। ऑस्ट्रेलिया ने स्पष्ट कर दिया कि उसी 21 नवंबर को हुए कुनमिंग, चीन में आयोजित किए गए “चीन-हिंद महासागर फोरम ऑन डेवलपमेंट कोऑपरेशन” में उसकी तरफ से किसी ने हिस्सा नहीं लिया। बताया जाता है कि बीजिंग की ओर से ऑस्ट्रेलिया को इस सम्मेलन में आने का न्योता दिया गया था। लेकिन क्वाड समूह (ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत तथा अमेरिका) के सदस्य ऑस्ट्रेलिया ने चीन की अगुआई वाले उस फोरम की बैठक में भाग न लेने का निर्णय किया।
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