भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के तात्या टोपे इलाके में रविवार को कन्वर्जन का बड़ा मामला सामने आया है। स्लम एरिया में गरीब परिवारों का मतांतरण कराने को लेकर बाला साहब उर्फ पीटर, अमन बाबले और दिलीप मेहर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। टीटी नगर थाना पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ धार्मिक-स्वतंत्रता अधिनियम 3/5 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
प्रार्थना करवाते हुए पंद्रह लोगों को पकड़ा गया
दरअसल, राजधानी भोपाल के शिवनगर में चोरी छुपे कन्वर्जन का खेल चल रहा था। हिंदू धर्म के लोग ईसाई मत की प्रार्थना कर रहे थे। यहां तक कि नाबालिगों तक को इस मतान्तरण का शिकार बनाया गया है। जब उक्त प्रार्थना में ईसाई बनकर बजरंग दल के कार्यकर्ता शामिल हुए। तब जाकर इस पूरे खेल का खुलासा हो सका। पंद्रह लोगों को प्रार्थना करवाते हुए हिंदू संगठनों के लोगों ने पकड़ा। जिसके बाद पुलिस ने शिकायत की गई। अब पूरे मामले पर पुलिस जांच कर रही है।
एएसपी चंद्रशेखर पांडे का इस पूरे प्रकरण को लेकर कहना है कि टीटी नगर थाना क्षेत्र में शिव नगर से शिकायत आई थी कि यहां पर कन्वर्जन किया जा रहा है। सूचना मिलते ही पुलिस तुरंत ही मौके पर पहुंच गई थी और वहां देखा गया कि लोगों की भीड़ जमा है। बताया गया कि यहां लम्बे समय से मतांतरण किया जा रहा है। अभी फिलहाल इस मामले में करीब 14-15 लोगों को जांच के दायरे में लिया गया है। सभी से पूछताछ की जा रही है ।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग पहुंचा थाने
इस मामले में मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा भी मामला संज्ञान में आते ही थाने पहुंचीं और उन्होंने दो नाबालिग बच्चियों से बात की। उनके रहने तक दोनों के माता-पिता एवं कोई भी रिश्तेदार उन्हें लेने नहीं पहुंचे। काजल उर्फ लक्ष्मी नाम की महिला अपने को जिस बालिका की बुआ बता रही थी, उसका कहना था कि उसने बालिका को बचपन से अपने यहां पाला है, लेकिन उसके पास बालिका का किसी भी प्रकार का कोई दस्तावेज नहीं मिला। उसने बालिका के पिता के रूप में जिसका नाम बताया उससे फोन पर बात करने पर उसने अपने दो बच्चों के नाम बताए, जिसमें उस बच्ची का नाम नहीं था, उसका कहना था कि उसके यही दो बच्चे हैं, जबकि अपने को बुआ बता रही महिला का कहना था कि उसके तीन बच्चे हैं।
डॉ. निवेदिता शर्मा ने बालिकाओं से बात करने के आधार पर बताया कि लक्ष्मी उर्फ काजल कैलाश नगर से बच्चों को प्रार्थना के लिए शिव नगर लाती थी जबकि यह महिला अपने दो छोटे बच्चों को घर छोड़कर आ जाती थी, जोकि बहुत छोटे हैं। जब उसके पति का नम्बर मांगा गया तो उसके पास वह भी नहीं था। वहीं, जो बाला साहब उर्फ पीटर जिसकी पत्नी पिंकी उर्फ सुलोचना को बालिकाएं मौसी कहती हैं वह उनको प्रार्थना कराना सिखाती थी। अमन भी बालिकाओं के लगातार संपर्क में था। ये सभी बालिकाओं के परिवार में उपस्थित समस्याओं का फायदा उठाकर उनको यह समझाते थे कि इनके समाधान का तरीका ईशू की प्रार्थना है। अमन ने अपने को एनजीओ वर्ल्ड विजन में एडमिन असिस्टेंट होना बताया है। इससे पूर्व वह परफेक्ट कार ड्राइविंग स्कूल में ट्रेनर के रूप में काम करता था। बालिकाओं का कहना है कि उन्हें सबसे पहले सेंट जॉन्स स्कूल गोविन्दपुरा के प्राचार्य फादर अनिल मार्टिन उनके पास के चर्च या कलिसिया में प्रार्थना कराने ले जाते थे। मामले को संज्ञान में लिया है। आगे उचित कार्रवाई की जाएगी।
बाल कल्याण समिति की बेंच लगी
बच्चों की संलिप्तता सामने आने के बाद यहां बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की बेंच लगी। जिसमें कि मीना शर्मा, बृजेश गुर्जर और डॉ. धनीराम मौजूद रहे। पूरे प्रकरण के बारे में पूछने पर सीडब्ल्यूसी सदस्य मीना शर्मा ने बताया कि कई बस्तियों के बच्चे प्रार्थना के नाम पर पिंकी द्वारा इकट्ठे किए जाते रहे, जो ईसा मसीह की प्रार्थना करते थे। हमें पांच बच्चियां मिली, जिसमें से दो नाबालिग निकलीं एवं अन्य के डॉक्युमेंट उपलब्ध नहीं हो सके। इन बच्चियों से पूछा गया कि वे कौन से धर्म की हैं तब वे अपने को मराठी बताने लगीं। कहने लगीं कि उन्हें नहीं पता कि वे किस धर्म की हैं, वे ईशू मसीह की प्रार्थना करती हैं। इजराईल में ईसा मसीह की कब्र है, उसे ध्यान करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान उनकी कोई मनोकामना पूरी नहीं कर सकते। भगवान कोई मदद नहीं करते। ईशू मदद करते हैं। इन बच्चियों में से दो की आयु उनके जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर 13 और 14 साल पाई गई, वहीं जब उनके माता-पिता सामने उपस्थित नहीं हुए और न ही उन्होंने कोई संपर्क किया। ऐसे में हमारी ओर से उनके बारे में जानकारी एकत्र किए जाने तक इन दोनों बच्चियों को अपने संरक्षण में लेकर उचित स्थान पर रखा गया है। आगे बाल कल्याण समिति जो आवश्यक होगा वह कार्रवाई करेगी।
कन्वर्जन के लिए बच्चों का किया गया ब्रेन वॉश
मनोवैज्ञानिक डॉ. राजेश शर्मा ने इस पूरे मामले को जानकर कहा कि इसमें बच्चियों का पूरी तरह से ब्रेन वॉश किया गया है, साइकोलॉजी में ब्रेनवॉशिंग को एक ऐसा प्रभाव माना जाता है, जिसमें इंसान की सहमति या सहमति के बिना भी प्रभाव डाला जा सकता है। वास्तव में ब्रेनवॉशिंग में किसी खास उद्देश्य से किसी विचार, भाव, बर्ताव को बदलने या प्रभावित करने की कोशिश की जाती है। इसमें “बस ये काम कर दो” या ”यह काम कर लो” अथवा “ये काम करो क्योंकि इससे तुम्हारा फायदा होगा।” का तरीका अपनाया जाता है। इसमें किसी के दृष्टिकोण और विश्वास प्रणाली को बदलने की कोशिश की जाती है। लम्बे समय तक इस तकनीक को अपनाने से उसका सीधा प्रभाव दिखाई देता है। जैसे कि इन बच्चियों की बातों से दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि बच्चे खाली स्लेट की तरह होते हैं, उन पर जो बार-बार अंकित किया जाए, उन्हें जो विश्वास दिलाया जाए तो वही उनके मन में आरोपित होकर स्थायी हो जाता है। छोटे बच्चों की विश्लेषणात्मक सोच नहीं होती। इसलिए जो बड़े बोलते हैं उन्हें वे सच मानते हैं। यह पूरा मामला ब्रेन वॉश का है क्योंकि उन्हें कहा जा रहा था कि भगवान कुछ नहीं करते, ईशू सब कुछ करते हैं और अब उन्होंने यही सच मान लिया है।
ढाई लाख रुपए का प्रलोभन व नौकरी का लालच देकर कराया जा रहा था कन्वर्जन
संस्कृति बचाव मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी का कहना है कि शिवनगर बस्ती में कई दिनों से कन्वर्जन का काम चल रहा था। यहां हिंदू देवी-देवताओं को अपमानित कर ढाई लाख रुपए का प्रलोभन व नौकरी का लालच देकर धर्मांतरण कराया जा रहा था। ईसाई समुदाय के फॉस्टर उमेश, बाला पीटर एवं सहयोगियों द्वारा मतांतरण करने का प्रयास किया जा रहा था।
कन्वर्जन की घटना पर कड़ी कार्रवाई होगी : वीडी शर्मा
इस मामले पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि कन्वर्जन का मामला आज भोपाल में सामने आया है। इससे पहले दमोह के अंदर भी कई प्रकार की घटनाएं हुईं। बैतूल में भी इस प्रकार की घटना का प्रयास किया गया। कोई भी जबरन कन्वर्जन जैसी गतिविधि चलाने का प्रयास करेगा तो उसे जेल जाना पड़ेगा। ऐसे लोग मध्य प्रदेश में अब नहीं बचेंगे, भोपाल में हुई कन्वर्जन की घटना पर सरकार कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेगी।
ये है कानून
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के लिए आठ मार्च 2021 को राज्य विधानसभा ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021 पारित किया गया था। इसमें प्रलोभन, लालच या कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण पर 10 साल का कारावास और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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