मुंबई। पाञ्चजन्य की ओर से शुक्रवार को मुंबई के ताज पैलेस होटल में मुंबई संकल्प कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 26/11 हमले में बलिदान हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा विषय पर नामचीन हस्तियों के साथ संवाद हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता को पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई।
पांचजन्य के मुंबई संकल्प कार्यक्रम में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शामिल हुए। सत्र में उन्होंने कहा कि 26/11 एक ऐसा घाव है जिसे कभी भरा नहीं जा सकता , इस लांछन को हम कभी दूर नहीं कर सकते , हम ये जरूर प्रयास कर सकते हैं कोई दूसरा 26/11 न हो। मुम्बई हमला एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र था। इस हमले के माध्यम से आतंकवादी ये संदेश देना चाहते थे कि अगर आप भारत के साथ संबंध रखोगे तो हम वहां आपके आदमी सुरक्षित नहीं रहने देंगे। हमारी सेना में दम हमेशा से था लेकिन पहले की लीडरशिप कमजोर थी। अब हम दुश्मन के घर में घुसकर मारते हैं। मोदी जी की सरकार ने बता दिया है कि ये नया भारत है , किसी से डरेगा नहीं। उन्होंने कहा कि 2008 में घटना हुई 2009 में सीसीटीवी लगाने की कार्रवाई शुरू हुई फिर भी 2014 तक ये न लग सके। जब मैं मुख्यंमंत्री बना तो सबसे पहले ये काम किया। एक साल के अंदर पूरी मुंबई सीसीटीवी से लैस हो गई।
सत्र की शुरुआत पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने सुरक्षा व विदेश मामलों के जानकर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य राम माधव जी के साथ संवाद के साथ की। राम माधव ने कहा कि भारत सबसे ज्यादा आतंक झेलने वाला देश नहीं अब आतंक पर सबसे ज्यादा प्रतिकार करने वाला देश भी है। भारत अब घर में घुसकर आतंक को खत्म करने में सक्षम है। दुनिया में कोई इस्लामोफोबिया नहीं है, यह बात मैंने नहीं इंडोनेशिया ने कही है। एक समय था जब आतंकी की लाइफ लंबी चलती थी आज कश्मीर में आतंकी की लाइफ सिर्फ दो महीना ही है। पाकिस्तान ने आतंक को बढ़ावा दिया है। पाकिस्तान का यह स्टेट पॉलिसी बना। उसकी एक नीति बन गया है। इस भस्मासुर का हाथ उसे भी झेलना पड़ा। हमारे यहां राज्य व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हैं। हमारी सुरक्षा एजेंसियों के पास विशेषज्ञता है। आज हम पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकवादी को मार रहे हैं। लेकिन वे आज भी कश्मीर जैसे राज्य में घुसकर आ रहे हैं। मनी लॉड्रिंग में आज भी पाकिस्तान बड़ा देश है।
क्या आतंक से लड़ने का विश्व का संकल्प आज भी बरकरार है कि नहीं, यह बड़ा सवाल है। आतंक ने भारत में प्रवेश किया तो कैसे किया, इसे फंडिंग कौन कर रहा है? इस तरह के कई सवाल हैं। कई बार अदालतों में पुलिस का पक्ष अकेला पड़ जाता है क्योंकि आतंकवादी के पक्ष में एनजीओ खड़ा हो जाता है। यह भी एक विडंबना है। आतंक में आप लिबरल नहीं रह सकते। आज जब हम आतंक से लड़ रहे हैं तो कई देश हमारे साथ खड़े हैं। इस्लाम के नाम पर जो आतंक है, उसे अलग करना है, यह बात सऊदी अरब समझ रहा है। हमारे देश के लिए आतंक की दृष्टि से सबसे समस्याग्रस्त जम्मू-कश्मीर रहा है। आतंक से सामना करना केवल आतंकियों को मार गिराने तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। उसे पैसे देने वाले स्रोत को बंद करे। मैसेज का स्रोत बंद करो।
पूर्व सेनाध्यक्ष और केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह से अनुराग पुनेठा ने संवाद किया। जनरल वीके सिंह ने इस तरह के कार्यक्रम के लिए पांचजन्य की प्रशंसा की। स्वदेशी पर उन्होंने कहा पहले जो चीज 15 से 20 लाख की थी उसे सेना को एक करोड़ में बेचा जाता था। ब्यूरोक्रेसी के अंदर बहुत से चीजें इस तरह की हैं जो बाधा बन जाती हैं। अपने आप कोई नहीं करना चाहता उसे आर्डर की जरूरत होती है। बोफोर्स की तकनीक भी हमने खरीदी थी। पाकिस्तान के सवाल पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का काम करने का तरीका बहुत नृशंस है। पहले कोई घटना होती थी तो हम कहते थे कि निंदा करते हैं, कड़ी निंदा करते हैं और फिर घोर निंदा करते हैं। लेकिन अब हम कहते हैं कि निंदा करते हैं, लेकिन दोबारा ऐसा होता तो हम निंदा नहीं करेंगे घर में घुसकर मारेंगे। ये बदलाव भारत में आया है। विश्व लचकदार सहनशीलता की कद्र नहीं करता, विश्व देखता है कि आप कितने मजबूत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 1971 की लड़ाई विश्व इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी की आपने 13 दिन के अंदर एक देश को आजाद करा दिया। यमन, साउथ सूडान और यूक्रेन से संकट के समय भारतीयों को कैसे निकाला गया, इस पर सवाल पूछे जाने पर इसकी जानकारी भी उन्होंने दी। जनरल वीके सिंह ने बताया कि यूक्रेन का ऑपरेशन अलग तरह से था। क्योंकि कई देशों के साथ उसकी सीमा लगती है। मुख्य देश पोलैंड था, जिसके रास्ते से लोग वापस लाए गए। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना कारगर रही।
प्रसिद्ध अधिवक्ता उज्ज्वल निकम के साथ ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने बात की। चर्चा में उज्जवल निकम ने कहा कि बहुत लोगों को लगता होगा कि मैंने कसाब को फांसी पर चढ़ा दिया, लेकिन उसे बड़ी जीत नहीं मानता। मेरे सामने कसाब के माध्यम से जो चुनौती थी वह पाकिस्तान था। पाकिस्तान का असली चेहरा, उसे कौन मदद करता है, उनका इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा। आतंकी के पीछे कौन ताकत है और उसे रिकार्ड पर कैसे लाना यह मेरे लिए बड़ी चुनौती थी। मुंबई पर हमला होने के बाद केंद्र सरकार की एक राय यह भी थी कि उसे अलग अलग से ट्रायल किया जाए जिससे उसे जल्द से जल्द फांसी दी जा सके। लेकिन क्या कसाब एक फुट सोल्जर था। उसके पीछे जो शक्ति थी, जिसमें कान्सिपिरेसी साजिश बनी हुई थी वह हमारे देश में तो नहीं हुई थी। वह साजिश पाकिस्तान में हुई थी। इसे यदि इस तरह से अलग कर देते तो हम शायद दुनिया को यह नहीं दिखा सकते थे। कसाब ने कई नाटक किए। मैंने कोर्ट को बताया कि आतंकियों को कैसे ट्रेनिंग दी जाती है। मैंने अलकायदा का मैनुअल कोर्ट के समक्ष रखा। जब आतंकवादी पकड़ा जाता है तो पुलिस को कैसे भ्रमित करना, कैसे खुद की सुरक्षा करना, इस तरह की सारी बातें उसे सिखाई जाती हैं। कसाब ने पहले कहा कि वह नाबालिग है। इसके बाद उसने कहा कि मुझे गुनाह कबूल है लेकिन उसने फायरिंग नहीं की। उसके साथी ने फायरिगं की, वह तो बालीवुड की वजह से आया। इसके बाद कोर्ट ने मुझसे पूछा कि कसाब की स्वीकारोक्ति से आप सहमत हैं, मैंने उसे मना कर दिया। इसके बाद मीडिया में काफी न्यूज बनी। मैं उस समय उसकी बात से सहमत होता तो पाकिस्तान का नाम नहीं आता। हमने बाद में इसकी पुष्टि की।
प्रख्यात फिल्म निर्देशक डॉ चंद्रप्रकाश द्वेदी के साथ पांचजन्य के संपादक हिंतेश शंकर ने संवाद किया। डॉ चंद्रप्रकाश द्वेदी ने चर्चा के दौरान कहा कि आक्रमण का भारत का इतिहास बहुत पुराना रहा है। क्या अलेक्जेंडर मेसीडोनिया से भारत आता है। क्या यह पहला आक्रमण है। इसके बाद 712 या 715, जिसको हम पहला इस्लामिक आक्रमण कह सकते हैं। एक सत्रह साल का युवक आता है, उस समय सिंध में दाहिर राजा। उसके बाद 1191-92 और उसके बाद निरंतर। पहले से बाहर आक्रांता आए थे, दुर्भाग्य यह है कि अब अंदर से भी हमारे अपने आक्रांता चुनौती देते हैं। मेसीडोनिया से सिकंदर आया और तीन साल के भीतर मेसीडोनियन साम्राज्य के कोई निशान नहीं रहे। तीन वर्ष के भीतर भारत से ग्रीक साम्राज्य की नींव उखड़ गई। वह क्या दर्शन था, क्या विचार था, जिसने भारत को सुरक्षित रखा। यदि राष्ट्र की और समाज की व्यवस्था अच्छी है तो इन आक्रांताओं से लड़ पाएंगे। जब ये आक्रांता आए तो इनको मदद अंदर से मिली। कौटिल्य के अर्थसास्त्र में एक अध्याय है कंटकशोधन। समाज में कौन सा कांटा है उसे ढूंढना यह पूरी बड़ी व्यवस्था है। उन्होंने राज्य के खर्च पर चोरों को नियुक्त किया था चोरी के लिए, ताकि वे चोरों की योजना जान सके। पंथों में क्या हो रहा है और उसकी सूचना राजा तक पहुंचना, इसकी भी व्यवस्था थी। हर तरह की व्यवस्था कौटिल्य ने की थी। घुसपैठ पर कौटिल्य ने लिखा है कि इन्हें हर तरह से यहां से निकालना जरूरी है। यदि किसी कारणवश उन्हें रहने दिया गया तो इन्हें मुफ्त में सेवाएं नहीं दी जानी चाहिए। सिनेमा पर उन्होंने कहा कि मैं इसमे एक राष्ट्रवादी के तौर पर रहता हूं। एक प्रकरण हाल ही में आया कि जब एक अभिनेत्री ने हाय गलवान लिखा। उस समय अक्षय कुमार ने उस अभिनेत्री को नसीहत दी। इस पर अक्षय कुमार को ही लोगों ने सोशल मीडिया पर घेर लिया। मुझे याद है कि चाणक्य जब आया था तो एक अखबार ने लिखा था सैफरन फॉर ब्रेकफास्ट। मैं आज उन अखबारों और संपादकों को देखता हूं तो महसूस करता हूं कि उन सबको राष्ट्रीय हित में सोचना पड़ रहा है। उसका कारण है हिंदू समाज और उसके कारण बना हिंदू नेतृत्व। जब मैं हिंदू कहता हूं तो मैं मुसलमानों को इससे अलग नहीं करता।
26/11 के समय एसीपी रमेश महाले, इंस्पेक्टर संजय गोविलकर और ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया जी भी पांचजन्य के मुंबई संकल्प कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया। उन्होंने उस समय की स्थिति, क्या और किस तरह की कार्रवाई हुई, इस पर विस्तार से चर्चा की। चश्मदीद फोटो जर्नलिस्ट वसंत प्रभु, मीना जाधव और योगिता बांगड़ ने भी मंच साझा किया।
महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी के संबोधन के साथ सत्र पूर्ण हुआ। उन्होंने 26/11 के हुतात्माओं को, जिन्होंने अपना बलिदान दिया उनको नमन किया। मुंबई संकल्प जैसे आयोजन के लिए पांचजन्य की सराहना की। हम ये संकल्प लेते हैं ये काम केवल सरकार का नहीं है, ये कार्यक्रम याद दिलाने के लिए है ये संकल्प केवल मुंबई का नहीं, मुंबई के माध्यम से पूरे देश का संकल्प है।
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