संयुक्त राष्ट्र ने उइगरों के दमने के विरुद्ध न सिर्फ चीन को लताड़ लगाई है बल्कि यातना केन्द्रों में कैद उइगर बंदियों को फौरन रिहा करने को कहा है। इतना ही नहीं, बीजिंग को दो टूक शब्दों में कहा गया है कि उइगरों को उनके दमन को देखते हुए मुआवजे दिया जाए।
192 देशों के साझा अंतरराष्ट्रीय मंच संयुक्त राष्ट्र ने कम्युनिस्ट चीन पर अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिमों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए उक्त हिदायत दी है। उल्लेखनीय है कि चीन के सिंक्यांग प्रांत में करीब 1 करोड़ उगइर रहते हैं। इनमें से कथित हजारों उइगर विभिन्न यातना केन्द्रों में चीनी दमन का शिकार बनाए जा रहे हैं। इस समुदाय की संख्या सीमित करने के लिए कथित नसबंदी की जा रही है।
पता चला है कि इस संदर्भ में ही संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने चीन से सिंक्यांग इलाके में कैदखानों में बंद उइगरों को शीघ्र रिहा करने की मांग की है। इस मांग के साथ समिति ने सिफारिश की है कि उइगर पीड़ितों को चीन उचित मुआवजा दे। बता दें कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है। इसके विरुद्ध गत अगस्त माह ने में संयुक्त राष्ट्र की तत्कालीन मानवाधिकार प्रमुख ने अपनी रिपोर्ट में सुधारों की सिफारिश की थी। वे सिंक्यांग के दौरे पर भी गई थीं जहां के दयनीय हालात को उन्होंने अपनी आंखों से देखा था।
उनकी वह चीन यात्रा अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में छाई रही थी। तबसे चीन पर लगातार दबाव बना हुआ है कि वह उइगरों का दमन बंद करे। लेकिन कम्युनिस्ट चीन ने हमेशा ही ऐसे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की उक्त रिपोर्ट में उइगर और अन्य मुसलमानों के साथ बीजिंग का रवैया मानवता के विरुद्ध अपराध घोषित किया जा सकता है।
दुनियाभर के मानवाधिकार समूहों ने मुस्लिम नस्लीय अल्पसंख्यक उइगरों के विरुद्ध चीन के दुर्व्यवहार को लेकर आवाज उठाई है। लेकिन जैसा पहले बताया, चीन सिंक्यांग में किसी भी तरह के मानवाधिकार के उल्लंघन से इनकार करता आया है। संयुक्त राष्ट्र की समिति के इस ताजे कदम पर जिनेवा में राजनयिक मिशन के चीनी प्रवक्ता ल्यु युयिन का कहना है कि बीजिंग संयुक्त राष्ट्र की उक्त समिति के इस वक्तव्य का पुरजोर तरीके से विरोध करता है।
चीन के प्रवक्ता का कहना है कि पश्चिमी देशों तथा चीन विरोधी अलगाववादी ताकतों ने गलत सूचनाएं गढ़ी हुई हैं। इन्हीं के आधार पर चीन को मानवाधिकार उल्लंघन के नाम पर बदनाम करने की कोशिश की जाती रही है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की 18 सदस्यों वाली ये समिति नस्लीय भेदभाव को लेकर 1965 के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रावधानों की पालना पर नियमित रूप नजर रखती है। इस सम्मेलन के सदस्यों में चीन सहित करीब 180 देश सम्मिलित हैं।
इसी समिति ने अपने वक्तव्य में यह भी कहा है कि “सिंक्यांग में मानवाधिकारों की हालत में सुधार न होने” ने हमें ऐसी सिफारिशें करने के लिए मजबूर किया है। समिति के उक्त पत्रक में चीन को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद का प्रतिकार करने और (सिंक्यांग) में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को नियंत्रित करने वाले अपने कानूनी ढांचे की पूरी समीक्षा करने” के लिए भी कहा गया है। ऐसा करके ही चीन 1965 के सम्मेलन के प्रावधानों की अनुपालना सुनिश्चित कर सकेगा।
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