राजस्थान में कांग्रेस सरकार की तुष्टीकरण नीति हिंदुओं पर भारी पड़ रही है। राज्य में मुसलमान बेलगाम और आए दिन हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहे। पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र में मुसलमानों ने पानी के लिए भील समुदाय के एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी
राजस्थान में कांग्रेस की तुष्टीकरण नीति का खामियाजा बहुसंख्य हिंदू समाज को भुगतना पड़ रहा है। सूबे में मुसलमान बेलगाम हो गए हैं। लोग एक घटना को भूल नहीं पाते कि दूसरी हो जाती है। यह क्रम लगातार चल रहा है। पिछले चार साल से हिंदू लगातार इस्लामी उन्माद की भेंट चढ़ रहे हें। हिंदुओं की मॉब लिचिंग हो रही है। छोटी-छोटी बात पर मुस्लिम युवकों की भीड़ निर्दोष लोगों की हत्या करने पर उतारू हो जाती है। अभी हालात ऐसी ही एक और घटना जोधपुर में सामने आई है।
जोधपुर में 7 नवंबर को कुछ उन्मादी मुस्लिम युवकों ने 45 वर्षीय हिंदू किसनाराम भील को बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला। पेशे से श्रमिक किसनाराम अनुसूचित जनजाति वर्ग से था। यह घटना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृहनगर सूरसागर थाना क्षेत्र की है। लेकिन भीम-मीम गठजोड़ का नारा देने वाले अर्बन नक्सल हमेशा की तरह इस मामले में भी चुप हैं, क्योंकि आरोपी मुस्लिम है और पीड़ित हिंदू समाज से है।
किसनाराम का दोष सिर्फ इतना था कि उसने सार्वजनिक ट्यूबवेल से पानी लिया था। इसके लिए मुस्लिम युवकों ने उसे लाठी-डंडों और सरियों से पीट-पीटकर मरणासन्न कर दिया। आरोपियों ने घायल किसनाराम को अस्पताल ले जाने से भी रोका। पुलिस के पहुंचने के बाद जैसे-तैसे परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
ट्यूबवेल पर मुस्लिमों का कब्जा
किसनाराम के भाई अशोक ने बताया कि भोमिया जी की घाटी, सूरज बेरा कच्ची बस्ती में सार्वजनिक ट्यूबवेल लगा हुआ है। लेकिन इस पर मुसलमानों ने कब्जा कर रखा है। वे गैर-मुस्लिम समुदाय को ट्यूबवेल से पानी नहीं भरने देते हैं। अगर कोई पानी भरने का प्रयास करता है तो उसका पाइप काट देते हैं। डर के मारे लोग रात में पानी भरते हैं। यह सब लंबे समय से चल रहा है। घटना के दिन भी किसनाराम रात 9 बजे ट्यूबवेल से पानी लेने गए थे। इसी दौरान शकील, नासिर और बब्लू आ गए और किसनाराम से उलझ गए।
किसनाराम घर लौट आए। थोड़ी देर बार तीनों करीब 8-10 अन्य लोगों को लेकर किसनाराम के घर पहुंचे और जातिसूचक गालियां देते हुए उन पर लाठी, सरिए और लोहे के पाइप से हमला कर दिया। आरोपियों ने किसनाराम को बेरहमी से मारा। इस हमले में उनका सिर फट गया और शरीर के अंगों में भी गंभीर चोटें आई। किसनाराम की पत्नी राधा देवी बीच-बचाव करने आई तो उन्मादियों ने उन पर भी हमला किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। उन्मादियों ने उनके बेटे राघव पर भी हमला किया।
बाद में जब परिजन किसनाराम और उनकी पत्नी को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने लगे तो आरोपियों ने रास्ता रोक लिया और उन्हें वहां से निकलने नहीं दिया। सूचना पर करीब आधे घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल पहुंचाया, जहां उपचार के दौरान किसनाराम की मौत हो गई। किसनाराम के दो बेटे हैं। एक 16 साल का है और दूसरा 19 साल का। किसनाराम की हत्या के बाद परिवार में अब कमाने वाला कोई नहीं है।
भील समुदाय का यह परिवार 6 वर्ष पहले भारत आया था। लेकिन आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार को शिक्षा, नौकरी आदि से जुड़े अधिकार प्राप्त नहीं थे। जोधपुर संभाग में रहने वाले भील समाज के अधिकांश लोगों के रिश्तेदार पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हैं। सिंध से आएदिन समाज की नाबालिग बच्चियों के अपहरण, जबरन कन्वर्जन और उनसे निकाह की खबरें आती रहती हैं
सरकारी तंत्र सुस्त
किसनाराम की मौत के बाद दलित समाज में आक्रोश है। वनवासी समाज के लोगों ने पीड़ित परिवार को मुआवजा, सरकारी नौकरी और पत्नी को पेंशन देने की मांगें की और शव का पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया। इसके बाद पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और सभी मांगे पूरी कराने के आश्वासन के बाद पोस्टमार्टम हुआ।
अशोक बताते हैं,‘‘सरकारी अधिकारियों ने केवल आश्वासन दिया है। अभी तक परिवार को किसी भी तरह की सहायता नहीं मिली है। न ही, सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। हमारा पूरा परिवार अब भी डर के साये में जी रहा है।’’ यही घटना किसी मुस्लिम के साथ होती तो सरकार हाथों-हाथ आर्थिक सहायता और नौकरी लेकर उसके घर पहुंच जाती। सूरसागर थाना अधिकारी डॉ. गौतम डोटासरा के अनुसार मामले की जांच की जा रही है। अभी तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
दलित समाज के नेता अनिल तेजी का कहना है कि पानी के लिए किसनाराम की निर्ममता से हत्या की गई। कुछ लोग समाज में ‘मीम और भीम- भाई भाई’ का नारा लगाते हैं। लेकिन आज वे नदारद हैं। उनमें से कोई धरने में शामिल नहीं हुआ।
निशाने पर भील समाज
इससे पूर्व बाड़मेर जिले में भी भील समाज के एक युवक की मॉब लिचिंग हुई थी। जिले के मेकरनवाला गांव में चार साल पहले मुस्लिम लड़की से कथित प्रेम प्रसंग के चलते भिण्डे का पार निवासी खेताराम भील की मुसलमानों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस मामले में पुलिस ने करीब एक दर्जन लोगों को आरोपी बनाया था। उस समय भी सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की आशंका के चलते पुलिस को गांव में अस्थायी चौकी बनानी पड़ी थी। इसी साल मई में जिहादियों ने जोधपुर में उत्पात मचाया था।
जिहादियों ने पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी के अलावा लोगों पर एसिड फेंका, राह चलते लोगों से मारपीट की और महिलाओं से छेड़खानी भी की थी। उन्मादियों ने निजी और सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया था। बता दें कि पाकिस्तान में उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यक भारत आए थे। इनमें से कई परिवार जोधपुर और आसपास के जिलों में बस गए।
पाकिस्तान से पलायन कर आने वाले अधिकांश हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता नहीं मिली है। इस कारण वे बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। इनमें अधिकांश अनुसूचित जनजाति समुदाय से हैं। पिछले दिनों जोधपर के देचू थाना क्षेत्र में पट्टे पर खेती करने वाले एक ही परिवार के 11 हिंदू शरणार्थी मृत पाए गए थे।
भील समुदाय का यह परिवार 6 वर्ष पहले भारत आया था। लेकिन आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार को शिक्षा, नौकरी आदि से जुड़े अधिकार प्राप्त नहीं थे। जोधपुर संभाग में रहने वाले भील समाज के अधिकांश लोगों के रिश्तेदार पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हैं। सिंध से आएदिन समाज की नाबालिग बच्चियों के अपहरण, जबरन कन्वर्जन और उनसे निकाह की खबरें आती रहती हैं।
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