उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चाहते हैं कि शासन-प्रशासन में अधिकारियों का स्वभाव और रवैया पॉजिटिव हो, वे राज्य की जनता के हित में काम करें और इसमें कोई दिक्कत है तो आपस में चर्चा करें। सीएम धामी अगले तीन दिनों तक मसूरी में शासन-प्रशासन के अधिकारियों के चिंतन शिविर में उत्तराखंड के भविष्य के बारे में आपसी विचार विमर्श करने पहुंचे हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में कहा कि सकारात्मक सोच जब तक अधिकारियों में नहीं होगी जनता की भलाई नहीं हो सकती, फाइल पड़ी है न जाने क्यों आगे नहीं बढ़ पा रही है। कुछ अधिकारी जनता के साथ मिलते जुलते तक नहीं, वो इनका दर्द नहीं समझ सकते। बहुत से अधिकारी जरूरतमंद लोगों को चक्कर कटवाने में माहिर हो जाते हैं। सीएम ने कहा कि उत्तराखंड में प्रशासनिक सुधार कैसे हो, इस बारे में चिंतन बैठक में चिंतन किया जाए।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने अपने संबोधन में कहा कि कुछ अधिकारियों को बिना पूरी बात सुने, सामने वाले को “नो ” कहने की आदत बन गई है। उन्हें खुद नहीं पता कि वो निगेटिव श्रेणी में चले गए हैं। डॉ संधू ने कहा कि नियम, कानून हम बनाते हैं यदि जन हित में कोई कानून बाधक है तो उसमें सरकार सुधार कर सकती है। उन्होंने कहा कि हमारे सीएम जब पॉजिटिव हैं और वे ऐसे जीओ को बदलने में सहयोग करते हैं। पॉजिटिव रुख अपनाते हैं तो हमें भी राज्य की जनता के हित में काम करने में संकोच नहीं करना चाहिए। डॉ संधू ने कहा कि “नो” कहने से या किसी बड़े आदमी या उद्योगपति को किसी काम से मना करने से अधिकारी का ईगो बढ़ रहा है, जबकि कई बार ऐसे प्रस्ताव को मना कर देने से राज्य को नुकसान हो जाता है और ये प्रस्ताव किसी और राज्य में शिफ्ट हो जाता है।
सीएम धामी ने सभी शासन और प्रशासन के अधिकारियों के साथ अलग- अलग सत्रों में उनकी राय सुनने के लिए पहली बार तीन दिनों का समय दिया है, वैचारिक मंथन के इस शिविर में उत्तराखंड के भविष्य की योजनाओं पर भी चिंतन किया जा रहा है।
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