क्या जनता की जरूरतों का सामान बेचने वाला ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म आस्था के सौदागरों का औजार हो सकता है? बहुराष्ट्रीय रिटेल कम्पनी पर भारत की पांथिक विविधता को नष्ट करने में मिलीभगत के आरोप परेशान करने वाले हैं। देशभर में उठी गहन जांच की मांग
आप किसी दुकानदार से कोई वस्तु खरीदते हैं और दुकानदार आपको बताता है कि उस वस्तु के मूल्य का एक हिस्सा सामाजिक कार्य करने वाले किसी गैर-सरकारी संगठन को दान दिया जाएगा तो आप क्या महसूस करेंगे? अमूमन लोग यही सोचेंगे कि सामान खरीद कर वे सामाजिक कार्य में अपना योगदान कर रहे हैं। परंतु वह पैसा अगर आपके ही घर-परिवार के सदस्यों का मानस बदलने, परिवार की मान्यताओं, आस्था, परंपरा से हटाने के लिए खर्च किया जाए तो? यही अमेजन ने किया।
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कन्वर्जन में जुटी एक अमेरिकी संस्था ‘आल इंडिया मिशन’ को अमेजन द्वारा धन मुहैया कराने की बात उजागर होने से हड़कंप मचा है। देशभर से इस मामले की गहन जांच और ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कानून बनाने की मांग उठ रही है। लेकिन मामला केवल अमेजन तक सीमित नहीं है। दूसरी कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी भारत में कन्वर्जन के इस खेल में शामिल संस्थाओं को धन मुहैया कराने में जुटी हैं। याद रखिए, ईस्ट इंडिया कंपनी भी शुरुआत में कारोबार करने आई थी, लेकिन बाद में उसने भारत के समाज, शिक्षा व्यवस्था, आस्था, परंपराओं, सभी पर असर डाला और उन्हें नष्ट-भ्रष्ट कर ईसाइयत थोपने की कोशिश की।
अमेजन की हिंदू विरोधी करतूत
- अक्तूबर 2014 में अमेजन ने हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों वाली महिलाओं की लेंगिंग को बाजार में उतारा था।
- जनवरी 2017 में अमेजन कनाडा की वेबसाइट पर तिरंगा की तस्वीर वाला डोरमेट और जूता बेचा जा रहा था।
- मई 2019 में अमेजन ने हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों वाले टॉयलेट सीट के कवर बेचने के लिए प्रस्तुत किए।
- नवंबर 2020 में अमेजन ने ‘ॐ’ छपे डोरमेट और हिंदू देवी-देवताओं के चित्र छपे इनरवियर की बिक्री की।
- अगस्त 2022 में जन्माष्टमी पर अमेजन ने राधा-कृष्ण की आपत्तिजनक तस्वीरें बिक्री के लिए डालीं।
दरअसल, सितंबर 2022 के दूसरे हफ्ते में अरुणाचल प्रदेश की एक संस्था सोशल जस्टिस फोरम ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को एक शिकायत भेजी थी। इसमें कहा गया था कि अनाथालय चलाने वाला ‘आल इंडिया मिशन’ नामक एक एनजीओ पूर्वोत्तर राज्यों में जनजातीय समुदाय के लोगों को ईसाई बनाने में जुटा है। इसे अमेजन धन मुहैया करा रही है। अमेरिकी संस्था को यह वित्तपोषण ‘अमेजन स्माइल’ नामक कार्यक्रम के जरिए हो रहा है। इस पर एनसीपीसीआर ने 16 सितंबर को पत्र भेजकर अमेजन इंडिया से स्पष्टीकरण मांगा।
एनसीपीसीआर ने नोटिस में कहा, ‘‘शिकायत में आरोप लगाया गया है कि अमेरिका और ब्रिटेन में पंजीकृत ‘आल इंडिया मिशन’ गैर-कानूनी क्रिया-कलाप में शामिल है जो भारत में अवैध रूप से बच्चों का कन्वर्जन करवा रहा है। शिकायत में यह भी कहा गया है कि उपरोक्त संस्था के पूरे भारत में 100 से अधिक अनाथालय हैं। शिकायत के अनुसार, संस्था की वेबसाइट और सोशल मीडिया पेज पर स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि उसका लक्ष्य भारत में कन्वर्जन कराना है और यह भी दावा किया गया है कि वे लोग भारत में खास तौर से पूर्वोत्तर और झारखंड में बहुत से लोगों का कन्वर्जन करा चुके हैं। शिकायत में यह आरोप भी लगाया गया है कि इस संस्था को अमेजन इंडिया से धन प्राप्त होता है। अमेजन इंडिया ने भी अपने प्लेटफॉर्म पर उल्लेख किया है कि उसके ग्राहक अमेजन स्माइल पर खरीदारी करके ‘आॅल इंडिया मिशन’ का समर्थन कर सकते हैं।’’यहां गौरतलब है कि शिकायतकर्ता ने आयोग से शिकायत के बाद इसकी सूचना सोशल मीडिया पर दे दी थी जिसके बाद ‘आल इंडिया मिशन’ ने अपनी वेबसाइट भारतीय आईपी एड्रेस से खुलने वाले कंप्यूटरों के लिए बंद कर दी, जिससे उसके बारे में स्वतंत्र रूप से जानकारी जुटाना मुश्किल है।
अमेजन इंडिया ने आयोग के पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो एनसीपीसीआर ने अक्तूबर के तीसरे हफ्ते में दोबारा अमेजन इंडिया को पत्र लिखा और 16 सितंबर के पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देने पर नाराजगी जताई। एनसीपीसीआर ने अमेजन इंडिया के भारत प्रमुख अमित अग्रवाल को 1 नवंबर को आयोग के सामने पेश होने के लिए समन भेजा। साथ ही, आयोग के समक्ष पेश नहीं होने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। इसके अलावा, ‘आल इंडिया मिशन’ और उसके अनाथालयों से जुड़ी कुछ जानकारियां भी मांगीं।
नोटिस मिलने के बाद अमेजन इंडिया ने सोशल मीडिया के जरिए अपना पक्ष रखा और ऐसी किसी गतिविधि में शामिल होने से इनकार किया। आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बताया कि 1 नवंबर को अमेजन इंडिया ने यह तो माना कि अमेजन अमेरिका ने ‘आल इंडिया मिशन’ को चंदा दिया, परंतु यह भी कहा कि अमेजन इंडिया का इससे कोई संबंध नहीं है, क्योंकि दोनों दो अलग कंपनियां हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्माइल अमेजन कार्यक्रम अमेजन अमेरिका पर चला था न कि अमेजन इंडिया पर।
हालांकि अमेजन इंडिया और अमेजन अमेरिका, दोनों अमेजन की ही कंपनियां हैं। अमेजन भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न डोमेन नेम से काम करती है। अमेजन अमेरिका जुलाई 1995 से काम कर रही है, जबकि अमेजन इंडिया जून 2013 से काम कर रही है। कानूनगो ने बताया कि अमेजन इंडिया को कहा गया है कि वह अमेजन अमेरिका से विस्तृत विवरण लेकर आयोग को उपलब्ध कराए।
अमेजन द्वारा कन्वर्जन कराने वाले एनजीओ का वित्तपोषण किए जाने का खुलासा होने से भारतीयों में आक्रोश है जो सोशल मीडिया पर दिख रहा है। अब मांग उठ रही है कि ऐसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कन्वर्जन कराने वाली संस्थाओं की कड़ी जांच हो।
कन्वर्जन और चर्च बनाना ध्येय
आल इंडिया मिशन के लिंक्डइन अकाउंट पर 17 नवंबर तक जो जानकारी मिली, उसके अनुसार, यह एक साम्प्रदायिक संस्था है, जो पूर्वोत्तर भारत में ‘आध्यात्मिक जरूरतों’ को पूरा करने के लिए सेवारत है। इसका मुख्यालय अमेरिका के ओलाथे, कंसास में है। 1991 में स्थापित यह संस्था अपनी खासियत चर्च की स्थापना, सूक्ष्म आर्थिक परियोजनाएं, शिक्षा और अनाथालय संचालन को बताया है। संस्था ने संक्षिप्त विवरण में लिखा है कि ‘आॅल इंडिया मिशन’ का विजन पूर्वोत्तर भारत के ग्रामीण इलाकों के अगम्य लोगों तक पहुंच कर ‘हर साल 25,000 लोगों को मसीह की ओर ले जाना है।’ आगे लिखा है कि हमारे 40 वर्षों की सेवा (मिनिस्ट्री) में अखिल भारतीय मिशन हजारों गरीब मूल निवासियों तक पहुंचा है। हमारे 700 से अधिक पूर्णकालिक पादरियों और देवदूतों ने इन नए ईसाइयों को मसीह तक पहुंचने की राह दिखाई। साथ ही, दूर-दराज के इलाकों में 400 से अधिक चर्च बनाए हैं।
एआईएम को चंदा देती है अमेजन
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बच्चों का कन्वर्जन कराने वाले अमेरिकी एनजीओ आल इंडिया मिशन को अमेजन से दान मिलने की शिकायत पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अमेजन इंडिया को समन भेजा। अमेजन इंडिया ने अपना पल्ला झाड़ते हुए पूरा दारोमदार अमेजन अमेरिका पर मढ़ दिया। इस संबंध में एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो से पाञ्चजन्य की बातचीत के प्रमुख अंश-
- अमेजन के विरुद्ध राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की कार्रवाई का मामला क्या है?
आयोग को सोशल जस्टिस फोरम अरुणाचल प्रदेश से एक शिकायत प्राप्त हुई थी। शिकायत में यह कहा गया था कि अमेजन द्वारा एक कार्यक्रम चलाया जाता है, जिसका नाम ‘अमेजन स्माइल’ है। इसके अंतर्गत समान खरीदने पर खरीद की राशि का एक हिस्सा एनजीओ को दान के लिए लिया जाता है। अमेजन स्माइल के तहत ग्राहक अपने हिसाब से दान के लिए एनजीओ का चयन कर लेता है। इन एनजीओ में से एक आॅल इंडिया मिशन (एआईएम) भी है। यह संस्था भारत में कन्वर्जन की गतिविधियों में संलग्न हैं।
एनजीओ ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि वह भारत में हर वर्ष 25 हजार कन्वर्जन करता है। इसके लिए वह बच्चों को अनाथालय में रखता है। साक्ष्य के तौर पर शिकायत में एनजीओ की वेबसाइट के स्क्रीनशॉट भी लगाए गए थे। आयोग ने शिकायत की पुष्टि के लिए वेबसाइट देखने का प्रयास किया तो पता चला कि शिकायत की जानकारी सोशल जस्टिस फोरम अरुणाचल प्रदेश द्वारा सोशल मीडिया पर डाल दी गई थी, इसलिए एनजीओ ने अपनी वेबसाइट बंद कर दी। वेबसाइट बंद होने के कारण आयोग को बच्चों के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी। आयोग की चिंता यह है कि बच्चों का किसी भी प्रकार से दुरुपयोग न हो और जिस भी संस्था में बच्चे रखे जा रहे हैं, वह किशोर न्याय अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत हो। किंतु बहुत प्रयास के बाद भी आयोग को अपने डाटाबेस में आल इंडिया मिशन का कोई भी बालगृह नहीं मिला। इसके साथ ही वेबसाइट बंद होने के कारण हमें यह जानकारी भी नहीं मिल पा रही है कि एआईएम किस राज्य में बालगृह संचालित कर रहा है। किसी राज्य विशेष की जानकारी न होने पर हम किसी राज्य सरकार से भी जानकारी प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।
- अमेजन इंडिया को समन जारी करने का क्या कारण है?
इस मामले में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने अमेजन इंडिया को सितंबर में पत्र लिखा था। किंतु हमें अमेजन इंडिया की ओर से कोई जानकारी दी गई। इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने अक्तूबर में अमेजन इंडिया को समन जारी कर 1 नवंबर को आयोग के समक्ष प्रस्तुत होने का निर्देश दिया। इसके बाद अमेजन इंडिया के अधिकारियों ने यह बताया कि अमेजन इंडिया का अमेजन स्माइल कार्यक्रम से कोई लेना देना नहीं है। यह कार्यक्रम अमेजन अमेरिका के द्वारा चलाया जाता है। चूंकि दोनों एक ही संस्थान के अंग हैं, इसलिए आयोग ने अमेजन इंडिया से इस संबंध में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा। इस पर अमेजन इंडिया ने जानकारी उपलब्ध कराने के लिए 10 दिनों का समय मांगा।
- अमेजन इंडिया ने क्या जवाब दिया?
हमें अमेजन इंडिया से जो जवाब मिला है, उसकी जांच की जा रही है। अमेजन इंडिया ने यह स्वीकार किया है कि वह एआईएम को पैसे देता है। लेकिन एआईएम का जो पता बताया गया है, वह अमेरिका का है। फिलहाल आयोग इस बात पर कार्य कर रहा है कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाए जिससे आयोग को पुख्ता जानकारी मिल सके।
- इस मामले में आयोग की प्रमुख चिन्ता क्या है?
आयोग की चिंता यह है कि हमे इस बात की जानकारी नहीं है कि कन्वर्जन के उद्देश्य से बच्चों को कहां और किस हाल में रखा जा रहा है। जानकारी के अभाव में हम बच्चों को बरामद करने और राहत देने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं। हमारा पूरा प्रयास इसी ओर है कि हमें अमेजन से बच्चों की पुख्ता जानकारी मिले। विदेश मंत्रालय की मदद लेने पर भी विचार किया जा रहा है। जैसा कि हम हमेशा कहते आए हैं, बच्चों का गलत तरीके से कन्वर्जन पूर्णत: गैर-कानूनी है। देश में आयोग बाल अधिकारों का सर्वोच्च संरक्षक है। ऐसे में यह हमारा कार्य भी और हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि ऐसे कृत्य को रोका जाए और बच्चों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया जाए।
कड़े कानून की आवश्यकता
श्रुतिकर अभिजीत
हीलिंग क्रूसेड का खतरा न तो नया है और न ही विदेशी मिशनरियों द्वारा पर्यटक वीजा मानदंडों का उल्लंघन करने एवं पुरानी बीमारियों के चमत्कारिक उपचार के छद्म बहाने से भोले-भाले हिंदुओं को कन्वर्जन कार्यक्रमों में शामिल करना सामान्य मुद्दा है। भारतीय ओवरग्राउंड मिशनरी एजेंटों द्वारा सहायता प्राप्त, इन विदेशी प्रचारकों का भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कन्वर्जन में स्वतंत्र सहभाग लेने का लंबा इतिहास रहा है। इसी वजह से इस क्षेत्र के कुछ राज्य अब ईसाई बहुसंख्यक बन गए हैं और स्वदेशी आस्था प्रणाली तथा परंपराओं को पूरी तरह से मिटा दिया गया है।
इससे पहले कि कन्वर्जन जनसांख्यिकीय मर्यादा को बाधित कर दे, कुछ और प्रासंगिक प्रश्नों को केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकार द्वारा संबोधित करने की आवश्यकता है। फिलहाल, हम केवल लक्षणों का इलाज कर रहे हैं। ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) 1954 और फॉरेनर्स एक्ट 1946 इन लक्षणों के इलाज के लिए कुछ संभावित समाधान हैं। परंतु राज्य और पूरे देश से अवैध कन्वर्जन की बुराई को खत्म करने के लिए एक अधिक कड़ा, कुशल और उद्देश्यपूर्ण कानून लागू करने की आवश्यकता है।
दोनों कानून यदि विचाराधीन बीमारी का तत्काल समाधान नहीं हो सकते हैं, तो भी निश्चित रूप से यह कन्वर्जन की चुनौतियों से अवगत एक इच्छुक सरकार और एक कुशल पुलिस बल के लिए एक उचित उपकरण हैं। कम से कम कन्वर्जन की गति को रोकने और कन्वर्जन माफिया को उनके अंतरराष्ट्रीय संचालकों से मिलने वाले रणनीतिक समर्थन को तोड़ने के लिए इनका अवश्य इस्तेमाल किया जा सकता है।
(लेखक द इन्स्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट रिसर्च एंड रीजोल्यूशन, आईसीआरआर, गुवाहाटी के कार्यकारी निदेशक हैं।)
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