शिवराज सरकार एमपी हाई कोर्ट के उस अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करने जा रही है, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट को सूचित किए बिना विवाह करने वाले दो समुदाय के जोड़ों पर कार्रवाई नहीं करने की बात कही गई है। दरअसल हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि अपनी मर्जी से शादी करने वाले वयस्कों के खिलाफ मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के तहत कार्रवाई नहीं करे।
न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल और न्यायमूर्ति पीसी गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि धारा 10 मतांतरण करने वालों के लिए अनिवार्य करता है कि वह इस संबंध में पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करें। उन्होंने कहा कि हमारे विचार से यह इस अदालत के पूर्व के फैसलों के आलोक में असंवैधानिक है। हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को कहा कि अदालत के अगले आदेश तक बिना सूचना दिए अपनी मर्जी से शादी करने वाले वयस्कों के खिलाफ मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के तहत कार्रवाई नहीं करे।
महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट के इस अंतरिम आदेश को चुनौती देने के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जा रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही हम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। बता दें कि मध्यप्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू है, जो प्रलोभन, धमकी एवं बलपूर्वक विवाह और अन्य कपटपूर्ण तरीके से मतांतरण पर रोक लगाता है।
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