महान क्रांतिकारी कालू सिंह महर, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बजाया था विद्रोह का बिगुल
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत उत्तराखंड

महान क्रांतिकारी कालू सिंह महर, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बजाया था विद्रोह का बिगुल

भारतीय स्वाधीनता प्राप्ति आंदोलन में उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र के वर्तमान जनपद चम्पावत का अप्रतिम योगदान रहा है।

by उत्तराखंड ब्यूरो
Nov 20, 2022, 04:01 pm IST
in उत्तराखंड
कालू सिंह महर

कालू सिंह महर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारतीय स्वाधीनता प्राप्ति आंदोलन में उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र के वर्तमान जनपद चम्पावत का अप्रतिम योगदान रहा है। स्थानीय जन इतिहास के आधार पर माना जाता है कि लोहाघाट के निकटवर्ती सुई-बिसुंग इलाके के लोगों की भारतीय स्वाधीनता संग्राम में बहुत ही सक्रिय भूमिका रही थी, जिनका नेतृत्व कालू सिंह महर और उनके क्रान्तिकारी साथियों ने प्रमुखता से किया था। उत्तराखण्ड की स्थानीय भाषा उच्चारण के आधार पर कालू सिंह महर को कालू महरा और कालू मेहरा भी लिखा–कहा जाता है। उत्तराखण्ड के स्थानीय क्षेत्रों में इन्हें प्रमुखतः काल्मारज्यू के नाम से भी जानते हैं। महर अथवा महारा उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में पाया जाने वाला एक उपनाम है, कुछ लोग अपना उपनाम अंग्रेजी में मेहरा के रूप में इसकी भिन्न वर्तनी में लिखते हैं। कालू महर का जन्म बिसुंग के थुवा महर गांव में सन 1831 में हुआ था। कालू महर कुमाऊं के बिसंग पट्टी के क्षत्रिय थे, जिन्हें अब कर्णकरायत के नाम से जाना जाता है। अपनी किशोरावस्था के समय से ही कालू महर ने बिट्रिश साम्राज्य का विरोध करना प्रारम्भ कर दिया था। कालू महर ने क्रांतिवीर नाम से एक अभियान शुरू किया था, यह अभियान तत्कालीन स्वतंत्रता प्रेमी कुमाऊं वासियों के बीच बेहद लोकप्रिय हुआ था।

अंग्रेजों द्वारा सन 1815 में उत्तराखण्ड के भू-भाग को गोरखाओं से छीनकर अपने अधिकार में लेने के बाद कुमाऊं और गढ़वाल के आधे हिस्से वर्तमान जनपद पौड़ी और जनपद चमोली को मिलाकर कुमाऊं कमिश्नरी में शामिल कर लिया था। गढ़वाल के शेष हिस्से वर्तमान जनपद टिहरी व जनपद उत्तरकाशी के अधिकांश भाग को अंग्रेज सरकार ने टिहरी के राजा सुदर्शन शाह को सौंप दिया था। सन 1857 में जब देश का प्रथम स्वतंत्रता प्राप्ति संग्राम लड़ा गया तब अति दुर्गम क्षेत्र होने के कारण उत्तराखण्ड में इसका विशेष प्रभाव तो नहीं पड़ा पर काली कुमाऊं की जनता ने अपने वीर सेनानायक कालू महरा की अगुवाई में विद्रोह संघर्ष कर ब्रिटिश प्रशासन की जड़ें तक हिला दी थीं। अवध के नवाब वाजिद अली शाह की ओर से कालू महर को लिखे गए गुप्त पत्र का संदर्भ देते हुए बद्रीदत्त पाण्डे अपनी पुस्तक “कुमाऊं का इतिहास” में जिक्र करते हैं कि ‘कुमाऊं के लोग क्रान्ति में सम्मिलित होंगे तो उन्हें जितना धन मांगेंगे, दिया जायेगा और कुमाऊं प्रदेश पर कुमाऊं के लोगों का ही शासन रहेगा और मैदानी प्रदेश पर नवाब का। कालू महर ने अपने साथियों से गुप्त मंत्रणा कर यह आभास किया कि कुछ लोग नवाब के पक्ष में होंगे और कुछ ईस्ट इंडिया कम्पनी सरकार के पक्ष में और जो धनराशि मिलेगी, उसे सभी लोग आपस में बांट लेगें। उक्त मंत्रणा के अनुसार कालू महर, आनंद सिंह फ़र्त्याल तथा विशन सिंह करायत लखनऊ में नवाब से मिलने चले गए। माधो सिंह फ़र्त्याल, नर सिंह लटवाल तथा खुशहाल सिंह आदि ने कम्पनी का पक्ष लिया।’

सन 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता प्राप्ति संग्राम का असर हालांकि तत्कालीन उत्तराखण्ड में उस समय उतना सशक्त रूप में नहीं था, लेकिन छुट-पुट तौर पर विद्रोह होने की आशंका बनी हुई थी> इसी वजह से कुमाऊं कमिश्नर रैमजे ने उस समय यहां मार्शल लॉ भी घोषित किया हुआ था। अगर कोई भी व्यक्ति विद्रोही बनने की चेष्टा करता या विद्रोहियों के प्रति सहानुभूति रखता था तो उसे जेलों में ठूंस दिया जाता अथवा गोली मार दी जाती थी। नैनीताल के फांसी गधेरे में बागियों को फांसी दी जाती रही थी। कालू महर व उसके विद्रोही साथियों के बारे में भारतीय इतिहासकार प्रो. शेखर पाठक लिखते हैं ‘काली कुमाऊं के कुछ प्रभावशाली लोग भारतीय स्वतन्त्रता प्राप्ति संग्राम के क्रांतिकारियों के सम्पर्क में थे। विशेष रूप से बिसुंग पट्टी के मुखिया कालू मेहरा का क्रांतिकारियों से सम्पर्क था। सितम्बर 1857 में आनन्द सिंह फर्त्याल कालू महर, बिशना करायत, माधो सिंह, नूर सिंह तथा खुशा सिंह आदि उस समय भाबर थे। तभी बरमदेव थाने पर क्रांतिकारियों ने आक्रमण किया था। 8 जनवरी सन 1858 में अंग्रेजो की इस अधिसूचना के बाद कि सप्ताह भर के भीतर समस्त कुमाऊंवासी अपने घर लौट आएं, ज्यादातर लोग वापस आ गये परन्तु कालू महर विद्रोही क्रांतिकारियों के साथ रहे। आनंद सिंह फ़र्त्याल तथा बिशना को गिरफ्तार कर फांसी दे दी गईं, कालू महर तथा अन्य लोगों पर राजद्रोह का अभियोग चलाया गया था।  कालू महर को गिरफ्तारी के पश्चात अनेक जेलों में घुमाया गया था। कुछ समय पश्चात उन्हें फांसी दे दी गई थी. हल्द्वानी, रुद्रपुर, कोटाबाग, कालाढूंगी में विद्रोही क्रांतिकारियों और ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के साथ जोरदार संघर्ष हुआ था।’

इतिहासकार राम सिंह अपनी पुस्तक राग-भाग काली कुमाऊं में जनश्रुति को आधार मानकर लिखते हैं कि बिसुंग के लोगों के स्वाभिमानी व विद्रोही तेवर को देखकर अंग्रेजों ने उनके गांवों को कई बार उजाड़ने की भरपूर प्रयास किए थे। बिसुंग के लोग अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए टनकपुर के उपर बस्तिया गांव तक जाया करते थे। अंग्रेजों की पकड़ से बचने के लिए बिसुंग के रणबांकुरे दिन में मायावती के जंगलों में रहते और रात होते ही अपने गांव लौट आते थे।

उत्तराखण्ड राज्य में प्रचलित स्थानीय जनश्रुति के आधार पर कुछ लोग कहते हैं कि जब कालू महर को अंग्रेजों ने मारने का आदेश दिया था तो वे नेपाल चले गए थे। उनके बारे में एक अन्य किंवदन्ती यह भी चली आई है कि जब कालू महर को कैद कर लिया गया था तब अल्मोड़ा के सामने की पहाड़ी पर स्थित ढौरा गांव में उन्हें छुड़ाने के लिए उनके कुछ साथियों ने अल्मोड़ा के जोशी लोगों से परामर्श लिया था और तय रणनीति के तहत ढौरा में रात में खूब मशालें जलाई गईं और बन्दूकों से हवाई फायर किये गये ताकि उस जगह पर एक बड़ी फौज होने की उपस्थिति का भ्रम हो सके। हकीकत में उनकी यह योजना कामयाब भी रही। अंग्रेजों ने सोचा कि कालू महर की सेना दलबल के साथ अल्मोड़ा की तरफ ही बढ़ रही है। उस समय अंग्रेज संख्या में कम थे सो भयभीत होकर उन्होंने कालू महर से समझौता करने का प्रस्ताव रख दिया था। काली कुमाऊं के लोग कहते हैं विद्रोह शान्त होने के बाद काल मारज्यू कालू महर कई सालों तक अपने गांव के घर पर ही रहे थे। स्थानीय किंवदन्ती के अनुसार कालू महर किसी समय अकूत सम्पति के मालिक थे उनके पास हल जोतने का फाल भी तब सोने का हुआ करता था। बाद में चोरों द्वारा उनके घर से सारा सामान चोरी कर लिए जाने से उनकी आर्थिक हालत बहुत कमजोर हो गई थी। ऐसी दशा में बिसुंग गांव के वासियों ने उनकी हर सम्भव सहायता कर उनके कष्टों को कम करने की भरपूर कोशिश भी की थी।

उत्तराखण्ड में देश स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास को जब देखा जाता हैं तो क्रान्तिकारियों के तौर पर कालू महर व उनके अन्य साथियों का नाम पहले पायदान पर आता है। उनकी शौर्यता व वीरता के किस्से आज भी जब-तब सुनाई देते हैं, परन्तु यह विडम्बना ही है कि कालू महर व उनके भारत के स्वतन्त्रता प्राप्ति संग्राम के क्रान्तिकारी साथियों को भारतीय इतिहास वह स्थान नहीं दे पाया जिसके वे असल हकदार थे। कालू महर उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में नायक के रूप में पूजनीय हैं। सन 2009 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता प्राप्ति संग्राम के इस सेनानी की प्रतिमा उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून में स्थापित की गई थी।

Topics: कालू सिंह महर का इतिहासमहान क्रांतिकारीउत्तराखंड के कालू सिंहKalu Singh Mahararticle on Kalu Singh MaharHistory of Kalu Singh Mahargreat revolutionaryuttarakhand newsKalu Singh of Uttarakhandउत्तराखंड समाचारकालू सिंह महरकालू सिंह महर पर लेख
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

आरोपी

उत्तराखंड: 125 क्विंटल विस्फोटक बरामद, हिमाचल ले जाया जा रहा था, जांच शुरू

उत्तराखंड: रामनगर रेलवे की जमीन पर बनी अवैध मजार ध्वस्त, चला बुलडोजर

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तराखंड में भारी बारिश का आसार, 124 सड़कें बंद, येलो अलर्ट जारी

प्रतीकात्मक तस्वीर

12 साल बाद आ रही है हिमालय सनातन की नंदा देवी राजजात यात्रा

प्रतीकात्मक तस्वीर

उधम सिंह नगर जिले में बनभूलपुरा की तरह पनप रही अवैध बस्तियां

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Dhaka lal chand murder case

ढाका में हिंदू व्यापारी लाल चंद की बेरहम हत्या, बांग्लादेश में 330 दिनों में 2442 सांप्रदायिक हमले

प्रदर्शनकारियों को ले जाती हुई पुलिस

ब्रिटेन में ‘पैलेस्टाइन एक्शन’ के समर्थन में विरोध प्रदर्शन, 42 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

Trump Tariff on EU And maxico

Trump Tariff: ईयू, मैक्सिको पर 30% टैरिफ: व्यापार युद्ध गहराया

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

रूसी महिला कर्नाटक की गुफा में कर रही भगवान रुद्र की आराधना, सनातन धर्म से प्रभावित

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies