दिल्ली में दिवाली की रात आग लगने की वजह से राजेश साहनी नामक व्यक्ति करीब 50 प्रतिशत जल गया था, जिसके बाद उसे एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से वह लापता हो गया। परिजनों द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को व्यक्ति की तलाश कर अदालत के समक्ष 30 नवंबर को पेश करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और अमित शर्मा की पीठ ने मामले की सुनवाई 30 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। साथ ही दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार, बाबू जगजीवन राम अस्पताल और एलएनजेपी अस्पताल से जवाब मांगा है।
दरअसल, 24 अक्टूबर को आगजनी की घटना की खबर मिलने पर माडल टाउन थाना पुलिस की पीसीआर टीम मौके पर पहुंची थी, वहां से शख्स को जहांगीरपुरी स्थित बाबू जगजीवन राम अस्पताल लेकर गई। जहां स्थिति को बहुत गंभीर बताते हुए एलएनजेपी अस्पताल में रेफर कर दिया गया था।
घटना की सूचना मिलने पर घायल राजेश साहनी की मौसेरी बहन मुक्ता सूद 26 अक्टूबर को बाबू जगजीवन राम अस्पताल गईं, जहां उन्हें बताया गया कि हालत गंभीर होने की वजह से राजेश साहनी को एलएनजेपी अस्पताल रेफर किया गया है। जब वह एलएनजेपी अस्पताल पहुंचीं तो उनसे कहा गया कि राजेश साहनी नामक किसी व्यक्ति को यहां भर्ती नहीं किया गया है।
उसके बाद मुक्ता ने अमेरिका में नौकरी कर रहे अपने भाई राजू सरदाना को घटना की जानकारी दी। राजू भारत आए और इस संबंध में कोर्ट में याचिका दायर करके न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने पुलिस पर ड्यूटी नहीं निभाने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा है कि पुलिस मामले को छिपाने का काम कर रही है। सब इंस्पेक्टर से कई बार संपर्क किया, लेकिन उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
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