हमें मलकानी जी से सीखना चाहिए। मुख्य वक्ता श्री अशोक कुमार टंडन (सदस्य, प्रसार भारती बोर्ड) ने कहा कि पत्रकारों को पत्रकारिता के प्रति जवाबदेही और वस्तुनिष्ठता से कार्य करने की जरूरत है।
गत दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में ‘मीडिया एवं जवाबदेही’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें वक्ताओं ने वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय के. आर. मलकानी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की। उल्लेखनीय है कि इन दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय अपना शताब्दी समारोह मना रहा है।
इसी कड़ी में उपरोक्त संगोष्ठी आयोजित हुई। संगोष्ठी का उद्घाटन दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने कहा कि मलकानी जी चार दशक तक पत्रकारिता में रहे। वे पहले ऐसे पत्रकार थे, जिन्हें आपातकाल में सबसे पहले जेल हुई एवं सबसे बाद में रिहाई। मुख्य अतिथि श्री राजकुमार भाटिया (सदस्य कार्यकारिणी परिषद, डीयू) ने कहा कि पत्रकारिता में जिम्मेदारी और जवाबदेही के साथ-साथ वस्तुनिष्ठता बहुत जरूरी है, तभी हम एक मजूबत लोकतंत्र बना सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि डॉ. महेश चंद्र शर्मा (अध्यक्ष, अन्वेषण एवं विकास, फाउंडेशन फॉर इंटीगरल हयूमेनिज्म) ने कहा कि एक पत्रकार को कितना निष्ठावान होना चाहिए, यह हमें मलकानी जी से सीखना चाहिए। मुख्य वक्ता श्री अशोक कुमार टंडन (सदस्य, प्रसार भारती बोर्ड) ने कहा कि पत्रकारों को पत्रकारिता के प्रति जवाबदेही और वस्तुनिष्ठता से कार्य करने की जरूरत है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में श्री आलोक मेहता ने कहा कि पत्रकारिता का मुख्य गुण है कि आप निष्पक्ष भाव से तथ्यों पर गौर करते हुए पत्रकारिता करें, लेकिन किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत पूर्वाग्रह, दुराव एवं द्वेष न रखें। वहीं दूसरे वक्ता वीरेंद्र कपूर ने मलकानी जी के साथ अपने लंबे अनुभव के बारे में संस्मरण सुनाए।
वरिष्ठ पत्रकार श्री आर. बालाशंकर ने आपातकल के दौरान पत्रकारिता की चुनौतियों पर प्रकाश डाला और कहा कि आज के समय में पत्रकारिता ज्यादा व्यापक हो चुकी है। इस अवसर पर अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
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