ये है रानी झांसी की कहानी, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ीं और बुंदेले हरबोलों के मुंह से हम सबने सुनी
May 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

ये है रानी झांसी की कहानी, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ीं और बुंदेले हरबोलों के मुंह से हम सबने सुनी

जनरल ह्यूरोज का यह कथन उनके पराक्रम का परिचय देने के लिए काफी है- 'अगर भारत की एक फीसदी महिलाएं इस लड़की की तरह आज़ादी की दीवानी हो गईं तो हम सब को यह देश छोड़कर भागना पड़ेगा।'

by WEB DESK
Nov 19, 2022, 07:00 pm IST
in भारत
रानी लक्ष्मीबाई

रानी लक्ष्मीबाई

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

विरला ही कोई ऐसा होगा जो महारानी लक्ष्मीबाई के साहस, शौर्य एवं पराक्रम कोा पढ़-सुन विस्मित-चमत्कृत न होता हो! 19 नवंबर 1835 को उनका जन्म हुआ था और  मात्र 23 वर्ष की अवस्था में अंग्रेजों से लड़ते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुईं थीं। अपने जीवन का बलिदान देकर उन्होंने देशभक्त हृदयों में क्रांति की ऐसी चिंगारी जलाई, जो अग्निशिखा बनी। जनरल ह्यूरोज का यह कथन उनके साहस एवं पराक्रम का परिचय देने के लिए काफी है- ”अगर भारत की एक फीसदी महिलाएं इस लड़की की तरह आज़ादी की दीवानी हो गईं तो हम सब को यह देश छोड़कर भागना पड़ेगा।” उन्होंने अपनी बहादुरी, व्यावहारिक सूझ-बूझ, युद्ध-कौशल, बुद्धिमत्ता भरी रणनीति से ब्रिटिश हुकूमत की चूलें हिलाकर रख दी थीं।

ज़रा कल्पना कीजिए, दोनों हाथों में तलवार, पीठ पर बच्चा, मुंह में घोड़े की लगाम; हजारों सैनिकों की सशस्त्र-सन्नद्ध पंक्तियों को चीरती हुई एक वीरांगना अंग्रेजों के चार-चार जनरलों के छक्के छुड़ाती हुई आगे बढ़ती है- क्या शौर्य और पराक्रम का इससे दिव्य एवं गौरवशाली चित्र कोई महानतम चित्रकार भी साकार कर सकता है ? जो सचमुच वीर होते हैं वे अपने रक्त से इतिहास का स्वर्णिम चित्र व भविष्य गढ़ते हैं। महारानी लक्ष्मीबाई, पद्मावती, दुर्गावती ऐसी ही दैदीप्यमान चरित्र थीं। विश्व-इतिहास में महारानी लक्ष्मीबाई जैसा चरित्र ढूँढे नहीं मिलता, यदि उन्हें विश्वासघात न मिलता तो इतिहास के पृष्ठों में उनका उल्लेख किन्हीं और ही अर्थों व संदर्भों में होता! देश की तस्वीर और तक़दीर कुछ और ही होती!

मोरोपंत और भागीरथी बाई की बेटी मणिकर्णिका मनु और छबीली बनकर बाजीराव पेशवा द्वितीय के बिठूर किले में पलती गई और वीरता उनके रोम-रोम में भरी थी। तांत्या टोपे मनु के गुरु समान ही थे। मनु की मां उन्हें बचपन में ही छोड़ चल बसीं और पिता ने मां बनकर उनका पालन-पोषण किया तथा शिवाजी जैसे वीरों की गाथाएं सुनाई। उन्हें देखकर ऐसा लगता था कि मानो वह स्वयं वीरता की अवतार हों और वह जब बचपन में शिकार खेलती, नकली युद्धव्यूह की रचना करतीं तो उनकी तलवारों के वार देखकर मराठे भी पुलकित हो जाते थे। ऐसा कहा जाता था कि वह दुर्गा का ही अवतार हैं। मनु का विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुआ। लक्ष्मीबाई के एक पुत्र भी हुआ, जो कि तीन माह में ही गुजर गया। इसी मध्य राजा गंगाधर राव का भी निधन हो गया। तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी को झांसी राज्य हड़पने का मौका मिल गया। यद्यपि रानी ने पति के जीवनकाल में ही पुत्र गोद ले लिया, जिसका नाम दामोदर राव रखा गया, लेकिन अंग्रेज शासकों ने गोद ली गई संतान को उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया। रानी को जब पेंशन लेकर झांसी छोड़ने का आदेश सुनाया गया तो उनके मुख से मानो भारत की आत्मा ही गरज उठी, उन्होंने कहा कि ‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी।’ इसके पश्चात सैनिक क्रांति हुई, महारानी झांसी ने वीरता से युद्ध का नेतृत्व किया। इसमें रानी के बहादुर साथी तांत्या टोपे, अजीजुद्दीन, अहमद शाह मौलवी, रघुनाथ सिंह, जवाहर सिंह और रामचंद्र आदि ने उनका साथ दिया।

लक्ष्मीबाई की बहुत बड़ी शक्ति उनकी सहेलियां थीं, जो योग्य सैनिक ही नहीं, सेनापति बन गई थीं, विवाह के पश्चात राजमहल की सभी सेविकाओं को रानी ने सहेली बनाया न कि दासी। उन्हें युद्ध विद्या सिखाई। इनमें से सुंदर, मुंदर, मोतीबाई, जूही आदि के नाम उल्लेखनीय हैं और साथ ही गौस खां तथा खुदाबख्श जैसे तोपचियों का नाम भी नहीं भुलाया जा सकता, जिन्होंने अंतिम सांस तक स्वतंत्रता के लिए वीर रानी का साथ दिया। 12 दिन झांसी के किले से रानी मुट्ठी भर सेना के साथ अंग्रेजों को टक्कर देती रहीं। जरनल ह्यूरोज से रानी ने भीषण संघर्ष किया। लेफ्टिनेंट वाकर भी रानी के हाथों घायल होकर भाग आया परन्तु अंत में रानी को गुप्त मार्ग से झांसी का किला छोडना पड़ा। मदद न मिलने पर रानी ने ग्वालियर के तोपखाने पर आक्रमण बोल दिया। ग्वालियर के स्वतंत्रता प्रेमी सैनिकों ने उनका साथ दिया। रानी ने अपनी दो बहादुर सखियों काशीबाई तथा मालतीबाई के साथ कुछ सैनिकों को लेकर पूर्वी दरवाजे का मोर्चा संभाल लिया। 17 जून को जनरल ह्यूरोज ने ग्वालियर पर हमला किया। अंग्रेजों की शक्तिशाली सेना भी रानी की व्यूह रचना को तोड़ नहीं पाई। पीछे से तोपखाने और सैनिक टुकड़ी के साथ जनरल स्मिथ रानी का पीछा कर रहा था। इसी संघर्ष में रानी की सैनिक सखी मुंदर अंग्रेजों का शिकार बन गईं। रानी घोड़े को दौड़ाती चली जा रही थीं, अचानक सामने नाला आ गया। अंग्रेज सैनिकों ने पीछे से रानी के सिर पर प्रहार किया और दूसरा वार उनके सीने पर किया। चेहरे का हिस्सा कटने से उनकी एक आंख निकलकर बाहर आ गई। ऐसी स्थिति में भी रानी ने दुर्गा बनकर अंग्रेज घुड़सवार को यमलोक भेज दिया, लेकिन स्वयं इस प्रहार के साथ ही घोड़े से गिर गईं। अंतिम समय में भी रानी ने रघुनाथ सिंह से कहा ‘मेरे शरीर को गोरे न छूने पाएं।’

रानी के विश्वासपात्र अंगरक्षकों ने दुश्मन को उलझाए रखा और शेष सैनिक रानी का शव बाबा गंगादास की कुटिया में ले गए, जहां बाबा ने रानी के मुख में गंगाजल डाला और हर-हर महादेव तथा गीता के श्लोक बोले, यह सुनते हुए रानी ने अपने प्राण त्याग दिए। बाबा ने अपनी कुटिया में ही लक्ष्मीबाई की चिता बनाकर उन्हें मुखाग्नि दी। रघुनाथ सिंह शत्रु को उलझाने के लिए रात भर बंदूक चलाते रहे और अंत में वीरगति को प्राप्त हुए। उनके साथ ही काशीबाई भी समर्पित हो गई। यह है रानी झांसी की कहानी, जो मरदानी बनकर खूब लड़ी और बुंदेले हरबोलों के मुंह से जिसकी कहानी हम सबने सुनी।

Topics: की कहानीबुंदेले हरबोलोंStory of Rani Lakshmibaiरानी लक्ष्मीबाईMoropant and Bhagirathi Bairani laxmi baiManikarnika Manuमोरोपंत और भागीरथी बाईChhabiliमणिकर्णिका मनुBajirao Peshwa IIछबीलीGeneral Heroesबाजीराव पेशवा द्वितीयRani Jhansiजनरल ह्यूरोजBundele Harboloरानी झांसी
Share10TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

DDA Rani Lakshmibai

रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा को लेकर DDA की भूमि पर मुस्लिमों का इनकार? राष्ट्रीय नायिका से ऐसी क्या असहिष्णुता?

शिविर में भोजन करते बच्चे

संस्कारों के लिए शिविर

बुंदेलखंड और उसकी होली: झांसी की रानी से जुड़ा इतिहास

आज का इतिहास : अंग्रेजों से भीषण युद्ध के बाद रानी लक्ष्मीबाई ने छोड़ी थी झांसी

प्रतीकात्मक चित्र

विस्तृत नभ का हर कोना, है अपना होना

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

JP Nadda pithoragarh

पहले प्रधानमंत्री, फिर रक्षा मंत्री और अब जेपी नड्डा ने भी की सीमा पर जवानों से मुलाकात, पहुंचे आदि कैलाश

Tihri Dam King Kirti shah

टिहरी बांध की झील में उभरा राजा कीर्ति शाह का खंडहर महल: एक ऐतिहासिक धरोहर की कहानी

Balochistan blast

बलूचिस्तान में तगड़ा ब्लास्ट, दो की मौत 11 घायल, आतंक को पालने वाला पाकिस्तान, खुद को पीड़ित कह रहा

आतंकियों के जनाजे में शामिल हुए पाकिस्तानी फौज के अफसर

नए भारत की दमदार धमक

Noman Elahi Pakistan Spy Operation Sindoor

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पकड़े गए पाकिस्तानी जासूसों का क्या है आपसी लिंक? नोमान इलाही को मिला भारतीय अकाउंट से पैसा

Elain Dixon Adopted Sanatan Dharma did Ghar wapsi Rajasthan

घर वापसी: ईसाई मत त्याग अपनाया सनातन धर्म, इलैन डिक्सन बनीं वैष्णवी पंत

प्रो. आलोक राय, कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय

पत्रकारिता में जवाबदेही का होना बहुत आवश्‍यक : प्रो. आलोक राय

राष्ट्र प्रेम सर्वोपरि, हर परिस्थिति में राष्ट्र के साथ खड़े रहें : डॉ. सुलेखा डंगवाल

अंतरराष्ट्रीय नशा तस्कर गिरोह का भंडाफोड़, पांच साल में मंगाई 200 किलो की हेरोइन, पाकिस्तान कनेक्शन आया सामने

प्रतीकात्मक चित्र

हरियाणा: झज्जर में दाे दिन में 174 बांग्लादेशी घुसपैठिये पकड़े

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies