केरल में कामरेड पिनरई विजयन के नेतृत्व वाली मार्क्सवादी सरकार एक बार फिर से हिन्दू आस्थाओं और परंपराओं का अपमान करने पर तुली दिख रही है। सबरीमाला मंदिर में दर्शनार्थियों को लेकर जो परंपरा रही है उसे वह किसी भी तरह ध्वस्त करने पर आमादा दिख रही है। उल्लेखनीय है कि 2018 में युवितयों के मंदिर में प्रवेश को लेकर मंदिर की प्राचीन परंपराओं और श्रद्धालुओं की आस्थाओं को कुचलते हुए पिनरई सरकार ने वर्जित आयुवर्ग की महिलाओं को जबरन मंदिर में प्रवेश कराने का असफल षड्यंत्र रचा था। लेकिन एकजुट हिन्दू समाज के विरोध के आगे वह इसमें सफल नहीं हो पाई थी। अब एक बार फिर उसकी यह कोशिश है कि ‘कायदों’ की आड़ में वह इस विश्वविख्यात मंदिर के कायदों को मसल दे।
संभवत: नई साजिश के तहत केरल की हिन्दू विरोधी कामरेड सरकार ने मंदिर की व्यवस्थाओं में तैनात पुलिस बल के लिए गृह मंत्रालय, केरल सरकार की हैंडबुक या कायदा पुस्तिका में पहले बिन्दु के अंतर्गत यह लिखवाया कि ‘सभी तीर्थयात्रियों को सबरीमाला जाने की अनुमति दी जानी चाहिए’। उसने कथित रूप से ऐसा कायदा सर्वोच्च् न्यायालय के फैसले संख्या 28/9/2018 डब्ल्यूपी(सी) 373/2016 के तहत बनाया है। इसमें लिखा है, “सभी तीर्थयात्रियों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति है”। केरल सरकार की यह हैंडबुक स्पष्ट रूप से ‘युवा महिलाओं’ को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति का उल्लेख करती थी। हैंडबुक स्पष्ट रूप से कहती थी, 28.9.2018 के सर्वोच्च न्यायालय फैसले के प्रकाश में सभी को मंदिर में प्रवेश की अनुमति है। इस हैंडबुक में कई अन्य जानकारियों का भी उल्लेख था, जैसे पुलिस से कैसे व्यवहार करने की उम्मीद की जाती है, कर्तव्य बिंदुओं की विशेषताएं क्या हैं, पूजा का समय, सन्निधानम (मंदिर परिसर) में स्थान की व्यवस्था करना आदि। लेकिन इन सबसे पहले, युवतियों को प्रवेश करने देने का बिन्दु था।
हालांकि यह एक गोपनीय पत्रक था, लेकिन यह किसी तरह मीडिया के हाथों तक पहुंच गया और जनम टीवी ने इसे प्रसारित भी कर दिया। इसके प्रसारण के बाद हिन्दू समाज आक्रोश में आ गया। भाजपा अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने फौरन बयान दिया कि भाजपा और अन्य हिंदू संगठन 2018 में केरल सरकार ने जिस तरह हिन्दू आस्था को अपमानित किया था, उसे भूले नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि उन दिनों इन्हीं कामरेड पिनरई विजयन के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने हिन्दू श्रद्धालुओं के प्रतिरोध को धता बताते हुए युवा महिलाओं को मंदिर में प्रवेश कराने का षड्यंत्र रचा था और पूरी कोशिश की थी कि मंदिर की परंपराएं ध्वस्त हो जाएं। लेकिन आस्थावान हिंदू महिलाओं ने पार्टी प्रतिबद्धताओं से परे, पूरे राज्य सहित देश के विभिन्न स्थानों, यहां तक कि विदेशों में भी विरोध रैलियां आयोजित की थीं। इन विरोध रैलियों पर कई स्थानों पर माकपा के गुंडों ने हमले किए थे।
सबरीमला मंदिर में परंपरा से 10 से 50 वर्ष तक की आयु की महिलाओं को दर्शन के लिए आने की अनुमति नहीं है। लेकिन, 2018 के विशेष तीर्थयात्रा के दिनों में केरल सरकार ने पुलिस सुरक्षा के साथ कुछ युवतियों के मंदिर में जबरन प्रवेश कराने की कोशिश की। लेकिन, श्रद्धालुओं ने इसका कड़ा विरोध किया। आखिरकार विवादास्पद छवि वाली दो युवतियों को पुलिस ने 1 जनवरी, 2019 की तड़के मंदिर के पिछले प्रवेश द्वार से अंदर ले जाने में सफल हो गई थी। इसके विरोध में उतरे भाजपा नेता के. सुरेंद्रन को गिरफ्तार कर लिया गया था, हालांकि वह सभी तरह से उचित तरीके से सबरीमला मंदिर में जा रहे थे। उन्हें कई हफ्तों के लिए जेल में बंद किया गया था। इतना ही नहीं, हिन्दू श्रद्धालुओं के प्रतिरोध आंदोलन को कुचलने के लिए हजारों लोगों को झूठे आरोपों के तहत मुकदमों में फंसा दिया गया। सैकड़ों को गिरफ्तार किया गया। कई लोगों को उनकी नौकरी से निलंबित कर दिया गया था। पुलिस की हिंसक कार्रवाई में सैकड़ों श्रद्धालुओं को गंभीर चोटें आई थीं। श्रद्धालुओं को ‘सबक’ सिखाने के लिए माकपा की युवा शाखा डीवाईएफआई के अपराधी तत्वों को पुलिस की वर्दी में तैनात किया गया था।
इतना ही नहीं, राज्य की कम्युनिस्ट सरकार ने केरल के उत्तरी से दक्षिणी छोर तक ‘समानता की मांग’ करने वाली कुछ महिलाओं से “महिला दीवार” बनवाई। इस पर बताते हैं 50 करोड़ रुपये खर्च किए गए। उनकी मांग भी कि परंपराओं के विरुद्ध युवा महिलाओं को भी सबरीमला मंदिर में जाने दिया जाए। लेकिन वह साजिश भी पूरी तरह विफल रही थी।
लेकिन इसके विपरीत सबरीमला संरक्षण परिषद द्वारा आयोजित दीप प्रज्ज्वलनम् अभियान को जबरदस्त सफलता मिली थी। श्रद्धालुओं ने उत्तरी कासरगोड से दक्षिणी में कलियिक्कविला तक अटूट पंक्ति बनाई थी। लोग हाथ में दीए लेकर खड़े हुए थे। यह देखकर कम्युनिस्ट सेकुलर सरकार ने उस वक्त अपने शैतानी कदम पीछे खींच लिए थे।
हैंडबुक के माध्यम से एक बार फिर परंपराओं पर कुठाराघात की इस नई चाल पर भाजपा नेता सुरेंद्रन और हिंदू ऐक्य वेदी की अध्यक्ष श्रीमती शशिकला टीचर ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हिंदू समाज राज्य की वाममोर्चा सरकार को 2018 में रचे गए कुचक्र को दोहराने की अनुमति नहीं देगा। दबाव बढ़ता देखकर राज्य के माकपा नेता और देवासम मंत्री के.राधाकृष्णन ने मीडिया को कहा है कि हैंडबुक एक नियमित रूप से जारी होने वाली चीज है। इसके जरिए मंदिर की परंपरा में बाधा डालने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। लेकिन भाजपा के जबरदस्त दबाव के बाद, सरकार ने हैंडबुक को वापस कर लिया है।
माकपा समझ गई है कि हिंदू संगठनों का समाज पर गहरा प्रभाव है, इसलिए पार्टी ने कहा कि वह युवा महिलाओं के मंदिर प्रवेश का उल्लेख करने वाले उक्त हैंडबुक के खंड को अस्वीकार करती है।
लेकिन राज्य के हिन्दू आस्थावान और समाज सतर्क है। वह जानता है कि कम्युनिस्ट सरकार की कथनी और करनी में भेद होता है। सरकार गुपचुप कोई तरीका खोज सकती है जिससे हिन्दू समाज की परंपराओं पर चोट हो सके। इसलिए सभी हिन्दू संगठन भी सरकार के फैसलों पर गहरी नजर रखे हुए हैं।
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