देवभूमि हिमाचल प्रदेश के कुछ जिलों में वन गुज्जरों के बीच तब्लीगी जमात की घुसपैठ होने लगी है। जम्मू-कश्मीर से लगे इन जिलों की पहाड़ियों के जंगलों में बसे गुज्जरों के बीच जाकर कट्टरपंथी देवबंदी पिछले कुछ सालों से गुपचुप तरीकों से अपना एजेंडा चला रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश की एक बड़ी सीमा जम्मू-कश्मीर से लगती है, कश्मीरी गुज्जरों के रिश्ते नाते यहां हिमाचल प्रदेश के गुज्जरों से जुड़े हुए हैं और ये समुदाय ज्यादातर हिमाचल के जंगलों में रहते है। इनका पुश्तैनी काम मवेशी चराने का होता था, किंतु इनकी नई पीढ़ी अब अन्य काम भी करने लगी है। राज्य की हिमाचल सरकार ने पूर्व से ही इन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया हुआ है।
आमतौर पर गुज्जर मुस्लिम, स्थानीय हिंदू परिवारों के साथ मिलजुल कर रहा करते थे, परंतु कुछ सालों से इनके व्यवहार में बदलाव देखा गया है और इसके पीछे बड़ी वजह इस समुदाय के बीच देवबंदी तब्लीगी जमात के मौलवियों का आना-जाना बताया जा रहा है।
हिमांचल के सात जिलों कांगड़ा, मंडी, जोगेंद्रनगर, नूरपुर, तीसा, चंबा, पालमपुर में जब से देवबंद के तब्लीगी जमात सक्रिय हुई है तब से बाजारों में मुस्लिम गुज्जर महिलाए बुर्के में दिखाई देने लगी हैं। पुरुष खास तौर पर अपनी परंपरागत वेशभूषा में रहते थे, परंतु अब इनके पहनावे में बदलाव आ गया है। ऊंचे पैजामे और सिर पर गोल जालीदार टोपी इनका पहनावा बन गया है। जबकि ये लोग सिर पर पगड़ी पहना करते थे।
विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश मंत्री डॉ सुनील जैसवाल बताते हैं कि राज्य में चौदह प्रखंड ऐसे हैं, जहां गुज्जर मुस्लिमों के व्यवहार में बदलाव देखा जा रहा है इनमें चंबा, तीसा, सलोली, साहू, नूरपुर, बनीखेत, बैजनाथ, भवारना, बरोट, चातड़ा, इंदौरा, ज्वाली, फतेहपुर, वल्ह ऐसे इलाके हैं, जहां तब्लीगी जमाते होने लगी हैं, कहीं-कहीं देवबंद तो कहीं बरेलवी मौलवी यहां आकर इस्लाम के प्रचार में लगे हुए देखे गए हैं।
हिंदू जागरण मंच के सचिव कमल गौतम कहते हैं कि देवबंद से आने वाले मुस्लिम मजहब प्रचारकों द्वारा वन गुज्जरों के बीच जाकर उन्हें उन्मादी भाषणों से उत्तेजित किया जा रहा है। गौतम कहते हैं कि इंदौरा तहसील में गुज्जर मुस्लिमों द्वारा सरकारी भूमि पर कब्जे किए गए सरकार ने बेदखली के नोटिस भी दिया, जबकि ये समुदाय पहले इस तरह की हरकत नहीं करता था। बरेलवी मजहब प्रचारकों ने मजारें बनाकर वन भूमि पर कब्जा करना शुरू किया है।
हिंदू एकता मंच के संयोजक कुलदीप शर्मा कहते हैं कि वन गुज्जरों के व्यवहार में बदलाव 2010 से देखा जा रहा है जब कांगड़ा के सुरदावान क्षेत्र में वन गुज्जरों ने एक गाय की हत्या की थी, जिसके बाद स्थानीय लोगों को आश्चर्य भी हुआ था। आमतौर पर यहां के गुज्जर ऐसी हरकत नहीं किया करते थे, इसी क्षेत्र में एक टूटे शिवलिंग के अवशेष भी मिले थे। तभी से ऐसा लगने लगा था कि हिमाचल के वन गुज्जरों को कोई भड़का रहा है ये और कोई नहीं बाहर से आए से देवबंदी लोग हैं। अब तो ऐसी खबरें हैं कि स्थानीय वन गुज्जरों के बीच ये देवबंदी मुस्लिम मजहब प्रचारक घुलमुल कर रह रहे हैं और अपना एजेंडा चला रहे हैं और इनके संपर्क के जरिए वे कश्मीर तक पहुंच रहे हैं। जानकारी के मुताबिक वन गुज्जर स्थानीय हिंदू गांव वालों से घास के मैदान में पशु चराने को लेकर अब मारपीट भी करने लगे हैं, जबकि पहले ऐसा नहीं था।
उल्लेखनीय है कि बंजर भूमि जिस पर घास उगती है उस पर वन विभाग का अधिकार है, जबकि गुज्जर इसे अपना अधिकार क्षेत्र बताते हैं। जबकि 1952 की एक अधिसूचना से केंद्र सरकार ने सभी बंजर भूमि का स्वामित्व वन विभाग को दे दिया था। इसी बात को लेकर अब रोज कुछ शोर शराबा होने लगा है। राज्य में मुस्लिम आबादी 2011 में 2.18 फीसदी थी और हिंदू आबादी 95.17 प्रतिशत थी। हिमाचल में मुस्लिमों में गुज्जरों की आबादी 1.39 प्रतिशत थी, लेकिन बाद के पांच सालों में जब कांग्रेस का शासन था तब ये आबादी और भी तेजी से बढ़ी। इसी दौरान यहां मस्जिदों की संख्या 393 से बढ़कर 520 तक जा पहुंची।
एक और आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है कि 2001 में मुस्लिम आबादी 119512 थी जोकि 2011 में बढ़कर 149881 तक जा पहुंची और अब ये आबादी दो लाख के करीब पहुंच चुकी है। राज्य में हिंदू आबादी 11 से 12 फीसदी तक बढ़ रही है, जबकि मुस्लिम यहां 20 फीसदी से हिसाब से बढ़ रहे हैं। विहिप, हिंदू जागरण मंच ने राज्य की जयराम ठाकुर सरकार को अपनी सर्वे रिपोर्ट दी है और सरकार को सचेत किया है कि वो खासतौर पर जम्मू- कश्मीर से लगे जिलों में तब्लीगी जमात के द्वारा वन गुज्जरों में मजहब प्रचार के प्रति चिंता जरूर करें।
मतांतरण कानून लाई हिमाचल सरकार
हिमाचल की जयराम ठाकुर सरकार ने चुनाव से पहले विधानसभा में मतांतरण संशोधन बिल विधेयक पारित किया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बताते हैं कि ऐसा सख्त कानून देश में किसी भी राज्य में नहीं है। लव जिहाद हो या मतांतरण, ऐसी घटनाओं पर सरकार ने अब सख्त सजा का प्रावधान किया है। सीएम ठाकुर ने विधानसभा में अपने संबोधन में कहा कि हमे आज की चिंता तो है ही अगले बीस पच्चीस साल की चिंता भी है। नहीं तो हमारी पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।
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