झारखंड में सियासी उठापटक शांत होने का नाम ही नहीं ले रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खुद कई जांचों का सामना करना पड़ रहा है। एक बार फिर से 1000 करोड़ रु से अधिक के अवैध खनन लीज मामले में हेमंत सोरेन को 17 नवंबर यानी आज पूछताछ के लिए बुलाया गया है। यह दूसरी बार है जब मुख्यमंत्री को ईडी ने बुलाया है। इससे पहले हेमंत सोरेन को 3 नवंबर को हाजिर होना था लेकिन उस दिन वे हाजिर नहीं हुए। उसके बाद ईडी ने 17 नवंबर को हाजिर होने के लिए दोबारा समन भेजा। हालांकि मुख्यमंत्री 17 के बजाय 16 नवंबर को हाजिर होने चाहते थे लेकिन ईडी ने उनकी मांग खारिज कर दी और तय तिथि को ही आने की बात कही। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री से होने वाली पूछताछ में ईडी के संयुक्त निदेशक कपिलराज भी शामिल हो सकते हैं
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री से पूछताछ के लिए ईडी ने 200 से अधिक प्रश्न तैयार कर रखे हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बरहेट विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा से भी ईडी ने पूछताछ की थी। इस दौरान भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं । इसके साथ ही पंकज मिश्रा के घर से हेमंत सोरेन के हस्ताक्षरित चेक और चेक बुक मिली थी। इसके साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल ने भी पूछ्ताछ में हेमंत की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
ईडी के समक्ष पेश होने से पहले सोरेन के आवास पर 16 नवंबर को सत्ता पक्ष के सभी विधायकों की बैठक हुई। इस में यह भी तय हुआ कि मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ती है तो नए मुख्यमंत्री का चेहरा हेमंत सोरेन ही तय करेंगे। बताया जा रहा है कि सोरेन रोड शो करते हुए ईडी कार्यालय पहुंचेंगे इसके साथ ही पूछताछ समाप्त होने तक सत्ता पक्ष के सभी विधायक मुख्यमंत्री आवास पर डटे रहेंगे।
इसी को देखते हुए ईडी कार्यालय के आसपास सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही फायर ब्रिगेड और अश्रु गैस का भी दस्ता तैनात किया जा रहा है। इतना ही नहीं, ईडी की पूछताछ को देखते हुए भाजपा कार्यालय और राज भवन की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है।
रांची एसएसपी किशोर कौशल ने कहा है कि शहर में कई जगहों पर धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है। शहर के लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो इसके लिए पूरे जिले भर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।
रांची के मोरहाबादी में हेमंत सोरेन के समर्थकों द्वारा जन आक्रोश रैली निकाली गई है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जिस तरह से भीड़ के माध्यम से केंद्रीय जांच एजेंसी के कार्यों को प्रभावित करने की योजना बनाई जा रही है, वह आने वाले समय के लिए अच्छे संकेत नहीं कहे जा सकते हैं।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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