बाली में आयोजित जी-20 शिखरवार्ता के समापन पर जारी संयुक्त वक्तव्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस चर्चित कथन को प्रमुख स्थान दिया गया है कि “वर्तमान युग युद्ध का नहीं है”।
विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के संगठन जी-20 के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि विभिन्न संघर्षों के समाधान के लिए कूटनीति और विचार-विमर्श महत्वपूर्ण है। “वर्तमान युग किसी भी परिस्थिति में युद्ध का नहीं होना चाहिए।”
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन की समरकंद में आयोजित शिखर वार्ता के अवसर पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि वर्तमान युग युद्ध का नहीं है।
यूक्रेन युद्ध की छाया में संपन्न हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत में केन्द्रीय भूमिका निभाई। युद्ध के संबंध में विभिन्न देशों के अलग-अलग रुख के बीच तालमेल बिठाने में भारत ने प्रमुख भूमिका निभाई जिसकी झलक संयुक्त वक्तव्य में मिलती है।
संयुक्त वक्तव्य में यूक्रेन युद्ध के लिए रूस की आम-तौर पर निंदा नहीं की गई है। हालांकि इसके साथ यह कहा गया है कि अधिकतर देश यूक्रेन युद्ध की कड़ी निंदा करते हैं। वक्तव्य में साथ ही यह भी जोड़ा गया है कि युद्ध के संबंध में हालात के आकलन और रूस के खिलाफ प्रतिबंधों के संबंध में अलग तरह की राय भी है।
संयुक्त वक्तव्य का यह वाक्य चीन और भारत जैसे देशों की राय को प्रगट करता है जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में विभिन्न अवसरों पर रूस की निंदा किए जाने से खुद को अलग रखा है।
जी-20 देशों ने कहा कि यह मंच सुरक्षा संबंधी मुद्दों के समाधान का नहीं है लेकिन हम यह महसूस करते हैं कि युद्ध से विश्व अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर पड़ता है।
संयुक्त वक्तव्य में कोरोना महामारी के कारण विश्व अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले विपरीत असर का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यूक्रेन युद्ध के कारण स्थिति अधिक बिगड़ी है। शिखर वार्ता में यूक्रेन युद्ध पर चर्चा हुई तथा विभिन्न देशों ने अपने रुख पर जोर दिया।
संयुक्त वक्तव्य में संयुक्त राष्ट्र महासभा में स्वीकृत उस प्रस्ताव का जिक्र किया गया जिसमें यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस की कड़ी निंदा की गई थी तथा यूक्रेन के सीमा क्षेत्र से रूसी सेनाओं की बिना शर्त वापसी पर जोर दिया गया था। यह प्रस्ताव पांच के मुकाबले 141 मतों से पारित हुआ था। भारत सहित 35 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया था।
संयुक्त वक्तव्य में बाली शिखर वार्ता की थीम “मिलकर करेंगे आर्थिक बहाली-मजबूत आर्थिक बहाली” का उल्लेख करते हुए संकल्प व्यक्त किया गया कि सभी देश मजबूत, समावेशी और टिकाऊ आर्थिक बहाली के लिए मिलकर काम करेंगे। इससे रोजगार सृजन और आर्थिक बहाली हो सके।
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि वर्तमान समय असाधारण और बहुआयामी संकट का है। दुनिया ने कोरोना महामारी की तबाही देखी है, इसके साथ ही हमारे सामने जलवायु परिवर्तन की चुनौती भी है। इसके कारण आर्थिक बदहाली का संकट बना हुआ है। इससे दुनिया में गरीबी में बढ़ोत्तरी, आर्थिक बहाली में रुकावट तथा टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में रुकावट आ रही है।
बाली शिखर वार्ता के समापन पर वर्तमान जी-20 के अध्यक्ष इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अगले वर्ष के लिए इस संगठन की अध्यक्षता सौंपी। उन्होंने प्रतीक स्वरूप बैठक संचालन में प्रयुक्त होने वाले ‘गैबेल’ (काठ या धातु का दंड) सौंपा।
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