छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक को एसटीएफ ने पूछताछ के लिए बुलाया है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि विनय पाठक को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। प्रो. पाठक को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली है। प्रो. पाठक ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए याचिका दाखिल की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
कुछ दिन पहले एसटीएफ ने अजय मिश्रा और अजय जैन को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि ये दोनों कुछ धन उगाही में लगे हुए थे। इन दोनों से पूछताछ में प्रो. पाठक का नाम प्रकाश में आया है। दोनों अभियुक्तों से पूछताछ में कुछ साक्ष्य एसटीएफ के हाथ लगे हैं, जिससे प्रो. पाठक की मुश्किल बढ़ सकती है। जानकारी के अनुसार, डिजिटेक्स टेक्नोलॉजिज इंडिया प्रा. लि. के प्रबंध निदेशक डेविड मारियो डेनिस ने शिकायत की थी कि प्रो. पाठक के कहने पर अजय मिश्रा को 78 लाख रुपये दिए गए थे। उसके बाद अजय मिश्रा के कहने पर अजय जैन की कंपनी के खाते में 63 लाख रुपये कमीशन के तौर पर ट्रांसफर किये गए थे। इस सम्बन्ध में लखनऊ के इंदिरानगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी।
प्रो. विनय पाठक से पूछताछ के बाद ही साफ़ हो सकेगा कि गिरफ्तार किए गए दोनों अभियुक्त किसके लिए काम करते थे। कमीशन के तौर पर ली गई धनराशि किसको पहुंचाई जाती थी। इस लेन – देन के प्रकरण में विनय पाठक की संलिप्तता थी या नहीं। यह पूछताछ के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। इस बीच प्राविधिक विश्वविद्यालय शिक्षक संघ आरोप लगाया है कि प्रो. पाठक पर राजभवन को गलत बायोडाटा दिया था। आरोप है कि बायोडाटा में उन्होंने स्वयं को वर्ष 2006 में एसोसिएट प्रोफेसर होने की बात दर्शाई है जबकि वह वर्ष 2007 में इस पर पद पर नियुक्त हुए थे। संघ ने एसटीएफ को शिकायती पत्र भेजकर पूरे मामले की जांच कर सच्चाई सामने लाने की अपील की है।
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