दमोह में संचालित ईसाई मिशनरी के हॉस्टल में बच्चों के मतांतरण का मामला प्रकाश में आया है। इसे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गंभीरता से लिया है और थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
दमोह जिले के दौरे पर आए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो कुछ बाल उपक्रमों का औचक निरिक्षण करना चाहते थे जिसकी जानकारी उन्होंने जिले के अफसरों को दी थी। जब वह ईसाई मिशनरी द्वारा चलाये जा रहे अनाथ आश्रमों चिल्ड्रन हाउसेस का औचक निरिक्षण करने पहुंचे। इसी सन्दर्भ में जब ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित हॉस्टल जो भिडावरी गांव में संचालित है, वहां पहुंचे तो उन्हें गेट पर काफी देर तक इंतजार करना पड़ा जिससे उनका शक गहरा गया।
काफी देर के बाद जब टीम पुलिस की सहायता से निरीक्षण टीम अंदर पहुँची तो पता चला कि 91 बच्चों में केवल 45 बच्चे ही उपस्थित है जिनमे से से अधिकतर हिन्दू थे। उन्होंने पूछे जाने पर बताया कि उन्हें ईसाई मत की शिक्षा दी जा रही है। वहीं डिंडोरी के रहने वाले एक 17 वर्षीय किशोर ने बताया कि उसे यहाँ पादरी बनने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
वहीं निरीक्षण के दौरान कई तरह की अनियमितताएँ उजागर हुईं। ईसाई मिशनरियों के कर्मचारियों पर सहयोग नहीं करने के आरोप भी हैं और पंजीयन दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराए जाने की भी बात सामने आई है।
इस मामले को लेकर NCPCR के अध्यक्ष ने कहा, ये बच्चों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। हमने एक FIR दर्ज की है और पुलिस को इसकी जांच करने के लिए कहा है। यहां महिला और बाल विकास विभाग लापरवाह है और ऐसा लगता है कि स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत है”।
वहीं अपर पुलिस अधीक्षक शिव कुमार सिंह ने बताया कि “आयोग के अध्यक्ष ने मतांतरण का आरोप लगाया था और प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस मामले में ईसाई मिशनरी के दस लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 370, किशोर न्याय एक्ट 2015 की धारा 42,75 और मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 की धारा 3 और 5 के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले की जांच की जा रही थी”।
इससे पहले भी रायसेन जिले के एक शिशु गृह में 3 हिन्दू बच्चे जो कि आपस में भाई बहन है उनको इस्लाम मत में मतांतरण करने का मामला सामने आया था। ये बच्चे कोरोना काल में अपने परिजनों से बिछड़ गए थे। आरोप है कि सरकारी अनुदान प्राप्त इस शिशु गृह को हसीन परवेज संचालित करता है। उसने ही तीनों बच्चों के इस्लामी नाम ने पहचान-पत्र बनवाकर खुद को उनका अभिभावक दिखाया है। परवेज की इस करतूत का संज्ञान शनिवार (12 नवंबर, 2022) को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने लिया और जिला प्रशासन को शिशु गृह संचालक के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए। घटना गौहरगंज क्षेत्र की है।
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