नहीं रहे पाञ्चजन्य के योद्धा पत्रकार गोपाल सच्चर, प्रधानमंत्री अटल जी ने किया था सम्मान
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

नहीं रहे पाञ्चजन्य के योद्धा पत्रकार गोपाल सच्चर, प्रधानमंत्री अटल जी ने किया था सम्मान

- उनकी रिपोर्टें सत्य घटनाओं, तथ्यों, सप्रमाण वृत्तांत के लिए जानी जाती थीं इसलिए अब्दुला शाही तिलमिला कर रह जाती थी परन्तु उनकी एक भी रिपोर्ट का खंडन करना उनके लिए कभी संभव नहीं हुआ.

by तरुण विजय
Nov 15, 2022, 03:53 pm IST
in भारत, जम्‍मू एवं कश्‍मीर, श्रद्धांजलि
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारतीय राष्ट्रीयता के अमर साधक पत्रकार गोपाल सच्चर  14 नवम्बर सायंकाल 5 बजे 97 वर्ष की आयु में दिवंगत हो गए. वे जम्मू कश्मीर में भारतीयता की पराक्रमी आवाज़ थे. अब्दुल्लाशाही से जम्मू कश्मीर को मुक्त करने वाले कलम के महान योद्धा थे. उन्होंने पंडित प्रेम नाथ डोगरा, डॉ श्यामाप्रसाद मुख़र्जी और अटल जी के कश्मीर प्रवासों के समय निष्पक्ष पत्रकारिता का धर्म निभाया. फारूख अब्दुल्लाह के शासन के समय उनके जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट से संबंधों को फोटो सहित उजागर किया, वे कश्मीर और जम्मू के संघर्ष के जीते जागते विश्वकोश थे.

उन्होंने अपने दस्तावेज, पुस्तकें जम्मू भाजपा को दे दीं. परन्तु जम्मू के नेताओं ने भारत के एक महान ऋषि का सम्मान नहीं किया. केवल पाञ्चजन्य था जिसने अटल बिहारी वाजपेयी जी से उनको पत्रकारिता का सम्मान – नचिकेता सम्मान दिलवाया, लेकिन उन्होंने वह फोटो भी कभी नहीं दिखाई क्योंकि वे कहते थे मैंने जो भी किया देश के लिए अपना कर्त्तव्य निभाया. मैं सम्मान के पीछे क्यों जाऊं ?

पंजाब केसरी से उनका विशेष सम्बन्ध था. उन्होंने लाला जगत नारायण जी के आशीर्वाद से बहुत काम किया, जम्मू कश्मीर के देशद्रोही तत्वों को निर्भीक रूप से बेनकाब किया , इसीलिए लाला जगत नारायण जी ने उनको जम्मू पंजाब केसरी का प्रकाशक बनाया जो बहुत बड़ा सम्मान था.

गोपाल सचर जी पाञ्चजन्य, ऑर्गेनाइज़र , मदर लैंड , के आलावा पी टी आई , यू एन आई , कर्णाटक और दक्षिण के अनेक पत्रों के लिए संवाददाता का कार्य करते रहे. उनके पास उर्दू, अंग्रेजी, हिंदी के पुराने अखबारों का ट्रकों भरा दस्तावेजी संकलन था.

यदि कोई देशद्रोही संवाददाता कष्ट में होता तो देश भर में उसका समाचार छपता. लेकिन देशभक्त होने की एक सजा यह भी होती है कि आपकी तपस्या अनदेखी कर दी जाती है.

जब तक कोई व्यक्ति हमारी आँखों के सामने रहता है , हम भारतीय शायद ही उसकी ज़िंदगी के शानदार हिस्सों को अपनी प्रशंसा के दायरे में लाते  हैं. उसके दिवंगत होते ही हम झूठी और दिखावटी तारीफों के पल बांधते रहते हैं. यह नकलीपन हमारी सामाजिक ज़िंदगी में राजनेताओं के दोहरे व्यापार के कारण ज्यादा आया है. रा स्व संघ के तत्कालीन सरसंघचालक प्रो राजेंद्र सिंह ( रज्जु भैया ) कहते थे यदि किसी ने अच्छा काम किया है तो उसकी ज़िंदगी के वक़्त ही उसकी तारीफ करनी चाहिए चाहे वो आपका प्रतिपक्षी ही क्यों न हो।  जब भी मैंने गत कुछ वर्षों से जम्मू कश्मीर के पत्रकार – ऋषि श्री गोपाल सच्चर को देखा मुझे यही बात याद आयी थी . वे अब 97  वर्ष के होकर विष्णु धाम सिधारे हैं. .

17 जुलाई 1927 को जम्मू के पास एक गांव में जन्मे गोपाल सच्चर ने भारतीय राष्ट्रीय पत्रकारिता का धर्म बखूबी निभाया और वे जम्मू कश्मीर के एक सचल प्रेस संस्थान  बन गए. उन्होंने शेख अब्दुल्ला के समय अपनी राष्ट्रभक्ति की कीमत जेल में रह कर चुकाई. उनकी एक अंगुली आज भी पुलिस मार के कारण मुड़ी हुई है , उनको प्रजा परिषद् आंदोलन के समर्थन में लिखने के कारण श्रीनगर की जेल में डाला गया, न मुकदमा , न पेशी , और उनकी  बैरक के सामने बोर्ड पर लिखा होता था- दुश्मन एजेंट.

शेख अब्दुल्ला के राज में भारत भक्त होने का अर्थ था – दुश्मन का एजेंट होना, यह बताते हुए गोपाल जी भावुक हो जाते थे

गोपाल सच्चर बहुत साधारण परिवार में जन्मे- जिस घर में कागज तक नहीं होता था. उनकी माताजी को आँखों से दीखता नहीं था- पर वे बहुत विचारवान और अनुभव समृद्ध थीं. उनकी माता जी ने उनकी पढाई पर ज्यादा ध्यान दिया, डोगरी सिखाई,  पहाड़े और गिनती सिखाई. तब उनके मामा ने टिकरी डोगरी पढ़ाई जो अब दुर्लभ हो गयी है. जम्मू के पास मनावर ( छम्ब सेक्टर) से  मिडिल पास किया।  यह वो समय तहत जब स्कूल में एक अध्यापक होता था जो पांच कक्षाएं संभालता था. गोपाल सच्चर पढाई में तेज थे, वे मॉनिटर बना दिए गए और छोटी कक्षाएं भी पढ़ाने  लगे.

उनके जन्म के बाद दादी पास के एक पंडित के पास गयीं और पूछा – मेरा पोता पटवारी बनेगा या नहीं ? तब सामान्य घरों में पटवारी बनना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी. पंडित ने कहा- बहुत पढ़ा लिखा बनेगा, पटवारी से बहुत ऊंची इज़्ज़त होगी. गोपाल जी हंस कर कहते थे, मेरे घर में कागज नहीं थे, आज मैं इस उम्र में भी चारों तरफ कागजों से घिरा रहता हूँ.

जम्मू से कालेज की पढाई पूरी करने के बाद गोपाल  सच्चर लिखने लगे, , प्रजा परिषद् आंदोलन में पंडित प्रेम नाथ डोगरा के सहयोगी बन गए, और उसी समय स्वदेश नामक अखबार भी शुरू किया. वे अपने जीवन में पांच अख़बारों के संपादक बने- और सभी का तेवर राष्ट्रवादी ही रहता था. पंडित प्रेमनाथ डोगरा के समर्थन के कारण उनको पुलिस ने कई बार यातनाएं भी दीं.

पत्रकारिता आज धन, वैभव और आराम का व्यवसाय बन गयी है. लेकिन जिस समय गोपाल सच्चर पत्रकारिता में सक्रिय हुए तब देश के लिए लिखना , आज़ादी के बाद भी, खतरों से भरा हुआ था. उस समय राष्ट्रीय फलक पर लाला जगतनारायण , के आर मलकानी और रामनाथ गोयनका जैसे असमझौतावादी दिग्गज नक्षत्र चमक रहे थे. गोपाल सच्चर ने पंजाब केसरी, ऑर्गेनाईजर , पांचजन्य, यू एन आई , डेक्केन हेराल्ड , मदर लैंड , दिनमान जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों-पत्रिकाओं के लिए लिखना प्रारम्भ किया। उनकी रिपोर्टों में कश्मीर में चल रहे देशद्रोही अलगाववादी तत्वों के मंसूबों , उनके साथ सत्तापक्ष की सांठगांठ , पाकिस्तान और अन्य विदेशी तत्वों से मिलने वाली सहायता, जेकेएलएफ जैसे संगठनों के साथ अब्दुल्लाओं के षड़यंत्र आदि का खुलासा होता था. उनकी रिपोर्टें सत्य घटनाओं, तथ्यों, सप्रमाण वृत्तांत के लिए जानी जाती थीं इसलिए अब्दुला शाही तिलमिला कर रह जाती थी परन्तु उनकी एक भी रिपोर्ट का खंडन करना उनके लिए कभी संभव नहीं हुआ.

जब डॉ श्यामा  प्रसाद मुख़र्जी को गिरफ्तार करके श्रीनगर लाया गया तो उस समय प्रजा परिषद् आंदोलन में भाग लेने के ‘जुर्म ‘ में गोपाल सच्चर भी श्रीनगर जेल में थे. वे कहते हैं कि डॉ श्यामाप्रसाद जी को  निशात  बाग  में माली के झोंपड़े  में रखा था- सरकार की बदनीयती पहले से ही साफ़ जाहिर थी. झूठ कहा गया कि उनको बंगले में कैद रखा गया है. सरकार श्यामाप्रसाद मुख़र्जी  को जिन्दा नहीं देखना चाहती थी, एक रहस्यपूर्ण ढंग से उनको जबरदस्ती रावी पार रातोंरात श्रीनगर खुली जीप में लाया गया, अगर दिल्ली की नेहरू सरकार चाहती तो उनको जम्मू सीमा से ही वापस दिल्ली भेज सकती थी. लेकिन ऐसा न करके उनको सता कर श्रीनगर की ठण्ड में खुली जीप में भेजा गया.

बाद में उस माली के झोंपड़ों को देखने बहुत से लोग आने लगे तो शेख अब्दुल्ला ने उस झोंपड़े को हे उठवा दिया। उस समय देश के लिए, तिरंगे के लिए जम्मू के सोलह लोगों ने अपनी जान दे थी. मेलाराम, भीकम और गिरे उनमें से एक थे. उनका भी बहुत कुछ नहीं हुआ. भीकम की पत्नी रत्न तो लोगों के घरों में काम करके अपना गुजरा करती थी. एक बार शहीद दिवस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना यहाँ आये तो उन्हें रत्न के बारे में पता चला. उन्होंने घोषणा की – हर महीने  पांच सौ रुपये रत्ना को भेजने की. वे जब तक रहे, रत्ना को पैसे मिलते रहे.

पाकिस्तानी मदद  से फल फूल रहे गिलानी और उनके आतंकवादी संगठनों – लश्कर, हिज्बुल  मुजाहिदीन , जैशे मुहम्मद आदि के कारनामों , उनके विरुद्ध भारतीय सेना की कार्रवाइयों की सचित्र ख़बरें भेजने वाले गोपाल सच्चर ने अकेले भारत मीडिया की डेस्क का जिम्मा उठाया और कश्मीर घाटी की पाकिस्तान परस्त मीडिया को मुंह तोड़ जवाब दिया.

गोपाल सच्चर ने जम्मू क्षेत्र में विख्यात दैनिक पंजाब केसरी की स्थापना के लिए अपना नाम प्रकाशक और मुद्रक के रूप में दिया क्योंकि तब स्थानीय नागरिक को ही यह अधिकार था. आज भी जम्मू केसरी में उनका ही नाम प्रकाशक के रूप में जाता है. वे पंजाब केसरी के यशस्वी संपादक श्री विजय चोपड़ा  तथा अविनाश चोपड़ा के बहुत प्रशंसक हैं  जिन्होंने महान बलिदानी लाला जगत  नारायण जी की विरासत को आगे बढ़ाया है और स्वतंत्र राष्ट्रवादी निर्भीक पत्रकारिता का एक स्तम्भ बने हैं।

गोपाल सच्चर जी को सक्रिय पत्रकारिता में 70  वर्ष हो गए. उनकी आँखों ने जम्मू कश्मीर का हर रंग देखा और उसपर लिखा है. आज जो परिवर्तन वहां आये हैं उनको वे किस प्रकार देखते हैं ? गोपाल जी का कहना है कि ‘मोदी ने कश्मीर में वे परिवर्तन  ला दिए हैं जो अब कश्मीर में आज़ादी जैसे नारों या जिहादी ख्वाबों की वापसी असंभव कर चुके हैं. धरा ३७० के अंत ने हड़तालों  और पत्थर बाजों  से घाटी को मुक्ति दिला दी है. पिछले तीस सालों में पूरे ग्यारह सालों का समय कश्मीर में हड़तालों और पत्थर बाजी में बीता- इसका मेरे पास पूरा आंकड़ा है.  वो वक़्त अब ख़त्म हो गया है।  यह किसी ने सपना भी नहीं देखा था.

हिन्दुओं ने शेख अब्दुला और उसके बाद आये इस्लामी मुख्यमंत्रियों के क्रूर राज में कितना दुःख और कितनी अन्यायी नीतियों को सहा इसका आज सामान्य भारतीय को कोई अंदाजा नहीं है. पचास के दशक में पहले मंत्रिमंडल ( पहली वज़ारत ) में छः हिन्दू मंत्री थे जिनमें डीपी धार भी एक थे।  उस समय घाटी में कश्मीरी हिन्दुओं की संख्या १५% थी. लेकिन न तो उन हिन्दू मंत्रियों को कुछ करने दिया गया और न ही हिन्दुओं की जमीन और सम्मान की रक्षा की गयी. आज उसी कश्मीर में, आज़ाद हिंदुस्तान में, कश्मीरी हिन्दू आधे प्रतिशत भी नहीं रह गए हैं. मोदी ने अब कश्मीर में हिन्दुओं के सुरक्षित और ससम्मान लौटने का मार्ग खोला है.  धारा  ३७० हटने से हज़ारों इन हिन्दुओं को नागरिकता मिल गयी है जो बरसों से यहाँ रह रहे थे लेकिन  सिर्फ इसलिए क्योंकि वे हिन्दू थे, उनको न तो वोट का अधिकार मिला और न ही नागरिकता. उनमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आये हिन्दू, गोरखा और वाल्मीकि हैं- पचास के दशक में श्रीनगर का एक हेल्थ अफसर रघुबीर सिंह मोदी पंजाब से ढाई सौ-तीन सौ वाल्मीकि हिन्दू यहाँ सफाई कार्य के लिए लाये थे. वे यहीं बस गए लेकिन कानून तहत कि न तो वे, न ही उनके बच्चे कश्मीर में कोई और भी नौकरी ले सकते हैं, सम्पत्ति नहीं खरीद सकते, स्कूल कालेजों में प्रवेश नहीं ले सकते और उनको यहाँ की नागरिकता नहीं मिलेगी. मोदी द्वारा ३७० हटाने से इस अन्याय का अंत हो गया है.

गोपाल सच्चर बताते थे  कि १९९७ में जम्मू कश्मीर सर्कार ने  की संपत्ति बेचने और खरीदने पर रोक लगाने के लिए एक कानून पारित किया था (THE JAMMU AND KASHMIR MIGRANT IMMOVABLE PROPERTY (PRESERVATION, PROTECTION AND RESTRAINT ON DISTRESS SALES) ACT, 1997). इसके बावजूद कश्मीरी पंडितों की सम्पत्तियाँ बेचने और खरीदने की लगभग पंद्रह हज़ार रजिस्ट्रियां  हो गयीं हैं. यह कैसे हुईं? इसकी जांच होनी चाहिए.

स्वतंत्र भारत में, संविधान और तिरंगे के प्रति निष्ठां दिखने वाले हिन्दुओं को अपने ही देश में किस प्रकार बेइज्जत होना पड़ा, इसकी कोई सीमा नहीं है. और उस पर इस्लामी राज के हिसाब से शासन चलने वाले मुस्लिमों ने इस बारे में कभी दुःख , क्षोभ अथवा खेद प्रकट नहीं किया. सेक्युलर हिन्दू प्रेस भी उन्ही के साथ उन्ही के स्वर में स्वर मिलती रही. सेक्युलर हिन्दू नेता भी कश्मीरी हिन्दुओं को ही उन की दुर्दशा का जिम्मेदार ठहराते  रहे, उनकी दशा पर किसी ने दुःख नहीं मनाया.

एक आदमी था जिसने जम्मू में ८ अगस्त १९५२ की सभा में साफ़ साफ़ कहा था- और उनके यह शब्द आज भी मेरे कानों में गूंजते हैं–या तो विधान दूंगा या प्राण दूंगा. वे थे डॉ. श्यामा प्रसाद मुख़र्जी. उन्होंने अपने शब्द  रखे. प्राण दे दिए लेकिन विधान देकर गए. उनके कारण कश्मीर में सब परिवर्तन हुए हैं. मोदी ने कश्मीर में जो परिवर्तन लाये हैं  वे श्यामा प्रसाद मुख़र्जी के सपनों को ही पूरा करने वाले हैं.

गोपाल सच्चर जम्मू कश्मीर में भारत वर्ष और भारत के संविधान की आवाज  थे . उनके पास हज़ारों  उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी दस्तावेजों, के अमूल्य खजाने को उन्होंने जम्मू की दीनदयाल लाइब्रेरी को दे दिया है. पता नहीं उनके लिए किसी नेता ने पद्म पुरस्कार की संस्तुति की या नहीं- आजकल ये पुरस्कार भी अजीब नीतियों का शिकार हो गए हैं,. लेकिन गोपाल सच्चर इन सब से ऊपर हो गएँ थे . उन्हें पाञ्चजन्य की ओर से प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने राष्ट्रवादी पत्रकारिता का सम्मान दिया था.

उनको कोटि कोटि श्रद्धांजलि.

Topics: Jammu and Kashmir nationalist journalistपत्रकार गोपाल सच्चरगोपाल सच्चर कौन थेगोपाल सच्चर का जीवनजम्मू कश्मीर राष्ट्रवादी पत्रकारGopal Sacharwarrior journalist of PanchjanyaGopal Sachar is no morejournalist Gopal Sacharगोपाल सच्चरwho was Gopal Sacharपाञ्चजन्य के योद्धा पत्रकारlife of Gopal Sacharनहीं रहे गोपाल सच्चर
Share9TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

No Content Available

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Tension on the border : जैसलमेर-बाड़मेर समेत 5 ज़िलों में हाई अलर्ट और ब्लैकआउट, शादी-धार्मिक कार्यक्रमों पर भी पाबंदी

क्या होगा अगर अश्लील सामग्री आपके बच्चों तक पहुंचे..? : ULLU APP के प्रबंधन को NCW ने लगाई फटकार, पूछे तीखे सवाल

पंजाब पर पाकिस्तानी हमला सेना ने किया विफल, RSS ने भी संभाला मोर्चा

Love jihad Uttarakhand Udhamsingh nagar

मूर्तियां फेंकी.. कहा- इस्लाम कबूलो : जिसे समझा हिन्दू वह निकला मुस्लिम, 15 साल बाद समीर मीर ने दिखाया मजहबी रंग

Operation Sindoor : एक चुटकी सिंदूर की कीमत…

नागरिकों को ढाल बना रहा आतंकिस्तान : कर्नल सोफिया कुरैशी ने पाकिस्तान को किया बेनकाब

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाला युवक हजरत अली गिरफ्तार 

“पहाड़ों में पलायन नहीं, अब संभावना है” : रिवर्स पलायन से उत्तराखंड की मिलेगी नई उड़ान, सीएम धामी ने किए बड़े ऐलान

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

लखनऊ : बलरामपुर, श्रावस्ती, महराजगंज, बहराइच और लखीमपुर खीरी में अवैध मदरसों पर हुई कार्रवाई

पाकिस्तान अब अपने वजूद के लिए संघर्ष करता दिखाई देगा : योगी आदित्यनाथ

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies