अब यह कहना गलत नहीं होगा कि झारखंड पूरी तरह से बंगाल की राह पर चल पड़ा है। पूरे प्रदेश में आए दिन लव जिहाद की घटना, हिंदू नेताओं की हत्या कर देना, किसी मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल को अपवित्र कर देना आम हो चुका है। ऐसा लग रहा है कि झारखंड में अब कानून अपराधियों के मजहब के अनुसार काम कर रहा है।
प्रदेश के रामगढ़ जिले के बेटूलकला गांव में बीते 7 नवंबर को एक पहाड़ पर बने शिवलिंग को असामाजिक तत्वों ने खंडित कर दिया था। इस मामले को पुलिस प्रशासन ने उतनी गंभीरता से नहीं लिया जितनी की आवश्यकता थी। इसी का नतीजा यह निकला कि एक बार फिर इसी गांव के रास्ते पर बीते 11 नवंबर की देर रात को कुछ असामाजिक तत्वों ने हनुमान मंदिर के पास और वहां बने दो कुंए में प्रतिबंधित मांस का टुकड़ा फेंक कर मंदिर और कुएं को अपवित्र कर दिया। अगले दिन 12 नवंबर को ग्रामीणों ने रास्ते पर मांस के टुकड़े देखे तो वे गुस्से में आ गए और पुलिस को सूचित किया। इससे पहले एक स्थानीय बुजुर्ग मुसलमान बिखरे मांस के टुकड़ों को झोले में भर कर फेंकने के लिए ले गया था। जब इस घटना की जानकारी ग्रामीणों को हुई तो ग्रामीणों ने कहा कि मामला पुलिस का है तो फिर उस बुजुर्ग ने मांस के टुकड़ों को यहां से क्यों हटाया। इसके बाद उस बुजुर्ग ने वापस मांस के टुकड़ों को उन्हीं स्थानों पर रख दिया। तब तक उस बुजुर्ग का वीडियो भी वायरल हो चुका था। बाद में पुलिस ने मांस के टुकड़ों को जब्त कर लिया और जांच के बाद कार्रवाई करने की बात कहने लगी।
अब सवाल यह उठता है कि एक के बाद एक इस तरह की घटनाएं किस तरफ इशारा कर रही हैं? बता दें कि छठ पर्व के दौरान भी रामगढ़ छठ घाट जाने वाले रास्ते पर कुछ कट्टरपंथियों ने अंडे के छिलके और मांस के टुकड़े फेंक दिए थे। इतना ही नहीं उस रास्ते पर कुछ बदमाशों ने पेशाब भी कर दिया था। इस घटना के बाद जब स्थानीय ग्रामीण और जनप्रतिनिधि पुलिस के पास अपनी शिकायत करने गए तो पुलिस की ओर से 24 हिंदुओं पर ही गैर जमानती धारा लगाकर मामला दर्ज कर दिया गया।
रामगढ़ के भाजपा नेता रनंजय कुमार उर्फ कुंटू बाबू ने कहा कि रामगढ़ को किसी साजिश के तहत सांप्रदायिक दंगों की आग में झोंकने की तैयारी चल रही है, लेकिन पुलिस प्रशासन दंगाइयों को पकड़ने के बजाय इनके खिलाफ आवाज उठाने वालों पर ही मामले दर्ज करने का काम कर रही है। उन्होंने बताया कि पहले भी गणेश पूजा के दौरान मुसलमानों द्वारा इसी तरह से माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई थी लेकिन किसी तरह की कठोर कार्रवाई नहीं की।
ग्रामीण महेंद्र प्रसाद का कहना है कि आए दिन होने वाली घटनाओं को लेकर प्रशासन की ओर से जो सक्रियता दिखानी चाहिए थी वह अब तक नहीं दिखी है।
अब ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए पुलिस प्रशासन हरकत में आ चुका है। रामगढ़ के पुलिस अधीक्षक पीयूष पांडे के अनुसार शिवलिंग तोड़ने वाले मामले और मांस फेंके जाने को लेकर एसआईटी का गठन किया गया है। उनका कहना है कि जल्द से जल्द माहौल बिगाड़ने वालों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी किशोर रजक के अनुसार पहले फेंके गए मांस का परीक्षण कराया जाएगा । उसके बाद माहौल बिगाड़ने की साजिश करने वालों को चिन्हित कर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
अब देखना यह है कि पुलिस द्वारा गठित एसआईटी की टीम सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने वालों को पकड़ पाती है या फिर मामला तुष्टिकरण की वजह से दबा दिया जाता है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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