भारत-बांग्लादेश सीमा घुसपैठ के लिहाज से बेहद संवेदनशील है और बांग्लादेश से भारत में अवैध आव्रजन और गैरकानूनी सीमा पार गतिविधियों पर लगाम लगाना प्रमुख चुनौती रहा है. दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि भारत-बांग्लादेश सीमा की कुल लंबाई 4,096.7 किलोमीटर है, जिसमें से 3,145 किलोमीटर पर बाड़ लगाई जा चुकी है, जबकि बाकी हिस्से पर भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष अवरोधक स्थापित करने की योजना है। वर्ष 2021-22 के लिए गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-बांग्लादेश सीमा घुसपैठ के लिहाज से बेहद संवेदनशील है और बांग्लादेश से भारत में अवैध आव्रजन और गैरकानूनी सीमा पार गतिविधियों पर लगाम लगाना प्रमुख चुनौती रहा है। बता दें कि कोलकाता में 18 वां महानिरीक्षक सीमा सुरक्षा बल-रीजनल कमांडर बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश स्तरीय बॉर्डर को-ऑर्डिनेशन कॉन्फ्रेंस आयोजित की जा रही है।
घुसपैठ रोकने के लिए उठाए गए हैं कदम
तथ्यों को देखें तो पिछले पांच वर्ष में 2,399 बांग्लादेशी नागरिकों को धोखाधड़ी से हासिल भारतीय दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हुए पाया गया है। गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत-बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठ, तस्करी और अन्य राष्ट्र विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने बाड़ लगाने का काम शुरू कराया है। इसके तहत सीमा पर दो चरणों में फ्लड-लाइट के साथ बाड़ लगाने की मंजूरी दी थी। बाड़ लगाने से संबंधित सभी कार्य मार्च 2024 तक पूरे किए जाने का अनुमान है। हालांकि रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि नदियों और निचले इलाकों, सीमा के 150 गज के दायरे में बसावट, भूमि अधिग्रहण के लंबित मामलों और सीमावर्ती आबादी के विरोध के कारण भारत-बांग्लादेश सीमा के कुछ हिस्सों में बाड़ लगाने के काम में समस्याएं आई हैं और इस परियोजना में देरी हुई है।
सीमावर्ती इलाकों में किया जा रहा सड़कों का निर्माण
भारत—बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों में बेहतर संपर्क के लिए सड़कों का निर्माण किया गया है। इसमें तहत स्वीकृत 4,223.04 किलोमीटर सीमा सड़क में से अब तक 3,750.87 किलोमीटर सड़क बनाई जा चुकी है और यह काम मार्च 2024 तक पूरा किया जाना है। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल, मेघालय, असम, मिजोरम और त्रिपुरा में भारत-बांग्लादेश सीमा पर फ्लड-लाइट लगाने का फैसला किया है।
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