देश के सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में बड़ी संख्या में केसों के लंबित रहने का एक मुख्य कारण बड़ी संख्या में जजों के पद रिक्त होना भी है। हालात ये हैं कि सुप्रीम कोर्ट में 21 फीसदी और देश के उच्च न्यायालयों में 30 फीसदी 335 पद रिक्त हैं। यही वजह है कि विगत दिवस सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है।
काशीपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता और सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने केंद्रीय न्याय विभाग से सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत, कार्यरत व रिक्त पदों की सूचना मांगी थी।। इसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी ने वांछित सूचना का विभाग की वेबसाइट पर उपलब्धता का लिंक दिया। इससे मिली जानकारी के अनुसार 01 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में कुल जजों के 34 पद स्वीकृत है। आठ आठ नवंबर को सेवानिवृत्त जस्टिस यूयू ललित सहित 28 न्यायधीश कार्यरत हैं। ललित की सेवानिवृत्ति के बाद 21 प्रतिशत यानि पद रिक्त हो गए हैं।
देश के उच्च न्यायालयों में कुल 272 अतिरिक्त जजों सहित 1108 जजों के स्वीकृत पद हैं। इस वक्त सभी हाईकोर्ट्स में 136 अतिरिक्त जजों सहित 773 जज कार्यरत हैं। 30 प्रतिशत यानि कि 335 पद रिक्त हैं। इसमें 136 पद अतिरिक्त जजों के हैं।
नदीम को मिली जानकारी के अनुसार सर्वाधिक राजस्थान और गुजरात उच्च न्यायालयों में पद रिक्त हैं। इनमें 46 प्रतिशत पद रिक्त हैं। दूसरे स्थान पर 40 फीसदी मणिपुर व मध्य प्रदेश और तीसरे स्थान पर 38 प्रतिशत पद इलाहाबाद उच्च न्यायालय में रिक्त है। चौथे स्थान पर 36 प्रतिशत रिक्त पदों वाले उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ तथा पटना उच्च न्यायालय हैं। पांचवें स्थान पर 35 प्रतिशत रिक्त पदों वाले हिमाचल प्रदेश, छठे स्थान पर 34 प्रतिशत पद पंजाब एंव हरियाणा उच्च न्यायालय, सातवें स्थान पर 33 प्रतिशत पद उड़ीसा, आठवें स्थान पर 30 प्रतिशत मुंबई, नवें स्थान पर 28 प्रतिशत मद्रास, दसवें स्थान पर कलकत्ता व मेघालय उच्च न्यायालयों में 25 प्रतिशत, ग्यारहवें स्थान पर 23 प्रतिशत देहली, बारहवें स्थान पर 21 प्रतिशत तेलंगाना, केरल कर्नाटक उच्च न्यायालयों में,तेरहवें स्थान पर 19 प्रतिशत पद आंध्र प्रदेश, चौहदवें स्थान पर 16 प्रतिशत झारखंड, पन्द्रहवें स्थान पर सबसे कम 12 प्रतिशत जम्मू एवं लद्दाख उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के पद रिक्त है।
देश में 25 उच्च न्यायालयों में केवल दो सिक्किम व गौहाटी ही ऐसे है जिसमें कोई पद रिक्त नहीं है। गौहाटी उच्च न्यायालय में भी स्थायी न्यायाधीश के दो पद रिक्त है लेकिन अतिरिक्त जज स्वीकृत संख्या में दो अधिक कार्यरत हैं। इसलिये कुल रिक्ति नहीं है।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय में कुल दो अतिरिक्त न्यायाधीशों सहित 11 न्यायाधीशों के पद स्वीकृत हैं जबकि केवल सात स्थायी न्यायाधीश कार्यरत हैं। 36 फीसदी यानि चार पद रिक्त हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 41 अतिरिक्त न्यायाधीशों सहित कुल 160 स्वीकृत पद हैं। 23 अतिरिक्त जजों सहित 100 जज ही कार्यरत हैं। यहां 30 प्रतिशत यानि कि 60 पद रिक्त हैं।
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