पाकिस्तान में अस्थिरता, राजनीतिक उठापटक और आपधापी के बीच प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का अपने बड़े भाई पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने लंदन जाना सुर्खियों में बना हुआ है। बताते हैं, शाहबाज अपने बड़े भाई के साथ आगे की रणनीति से लेकर इमरान की चुनौती से निपटने और फौज के अध्यक्ष के बारे में बात करके आए हैं। बताया यह भी गया है कि आम चुनाव कराने को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के दबाव में न झुकने पर सहमति बनी है। साथ ही सेना प्रमुख बाजवा के बाद कौन, इस पर भी अंदरखाने कुछ तय हो गया है। इस मुद्दे पर भी इमरान की न सुनने को लेकर रणनीति बनी है।
सूत्रों के अनुसार, लंदन से आईं खबरें बताती हैं कि वर्तमान सेना प्रमुख जनरल बाजवा की जगह किसी नए को अध्यक्ष बनाने की बजाय बाजवा को ही आगे अध्यक्ष के तौर पर पद पर बने रहने दिया जाए। नवाज शरीफ व शाहबाज शरीफ ने इस मुद्दे पर कई तरह के विकल्पों पर चर्चा की है। बता दें कि जनरल बाजवा का यह कार्यकाल आगामी 29 नवम्बर को पूरा हो रहा है।
इमरान खान आम चुनाव कराने की मांग पर लांग मार्च को इस्लामाबाद तक पहुंचाने की ठाने हुए हैं। लेकिन शाहबाज सरकार उनकी इस मांग को सिरे से नकारती आ रही है। प्रधानमंत्री शरीफ ने लंदन में पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ से बात करके सेना प्रमुख के साथ ही चुनाव को लेकर भी कुछ बातें तय की हैं। कहा जा रहा है कि वर्तमान सेना प्रमुख जनरल बाजवा के कार्यकाल को आगे विस्तार देने को लेकर भी इमरान खान या और किसी के दबाव के दोनों ही शरीफ झुकने को तैयार नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री शरीफ पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ से मिलने अभी लंदन गए हुए थे। दोनों भाइयों के बीच भावी रणनीति बनी है। पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग पार्टी के सर्वेसर्वा हैं। उनके छोटे भाई प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ पर इमरान खान लगातार हमलावर हैं। लांग मार्च ने अलग मुसीबतें खड़ी की हुई हैं। इस बीच इमरान पर गोली चलने की घटना से भावनाएं उनके पक्ष में झुक जाने का खतरा भी बन गया है। लेकिन नवाज ने अपने भाई को कैसे भी दबाव के सामने घुटने टेकने से मना किया है।
पाकिस्तान के प्रसिद्ध अंग्रेजी दैनिक द डॉन की एक रिपोर्ट है कि नवाज शरीफ ने शाहबाज शरीफ को साफ कह दिया है कि इमरान खान की जल्दी चुनाव कराने की मांग न मानी जाए। इतना ही नहीं, सेना प्रमुख बाजवा के बाद कौन की दौड़ में चल रहे नामों के बारे में शरीफ सरकार अपने हिसाब से ही तय करे। इमरान या किसी और के दबाव में न आए, क्योंकि नए सेना अध्यक्ष को नियुक्त करने का हक प्रधानमंत्री का है और वही यह नियुक्ति कर सकता है।
बहुत हद यही माना जा रहा है कि नवाज ने भाई को सलाह दी है कि इन्हीं सेनाध्यक्ष को आगे भी बने रहने दिया जाए। लेकिन ऐसा होगा या कुछ और होगा इस बारे में अटकलों का बाजार गर्म है। लंदन में शाहबाज शरीफ के साथ रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और दूसरे कई करीबी मंत्री भी मौजूद थे। नवाज से इन सभी ने और कुछ दूसरे मुद्दों पर बात भी है। रक्षा मंत्री का कहना है कि बातचीत देश के विकास, सेना के बारे में मीडिया में आए बयान आदि पर चर्चा चली।
इमरान दोनों भाइयों के बीच लंदन में हुई बातचीत को लेकर भी शाहबाज सरकार पर हमलावर हो चुके हैं। सरकार चलाने से जुड़े मुद्दों पर नवाज से चर्चा करने को लेकर इमरान खान ने शाहबाज की कड़ी भर्त्सना की है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा है कि शाहबाज ने पद और गोपनीयता की कसम का कोई मोल नहीं रहने दिया। उन्होंने अपने पद की गरिमा का उल्लंघन किया है। उन्होंने गोपनीयता की बात नहीं निभाई है। वे अपने बड़े भाई नवाज शरीफ के हाथों की कठपुतली बनकर काम कर रहे हैं।
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