अफगानिस्तान में स्थितियां एक बार फिर तेजी से गर्माने लगी हैं। वहां के कट्टर शासक तालिबान ने पूर्व राष्ट्रपति के भाई को हिरासत में ले लिया है। प्राप्त समाचारों के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई के भाई महमूद करजई को तालिबान ने काबुल हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया है। पता चला है कि महमूद करजई के बारे में तालिबान की गुप्तचर एजेंसी जानकारियां रख रही थी, उसी ने महमूद को काबुल हवाई अड्डे से तब हिरासत में लिया जब वे वहां से दुबई जाने की तैयारी में थे।
अफगानिस्तान की प्रसिद्ध समाचार एजेंसी और चैनल खामा प्रेस की रिपोर्ट है कि तालिबान की गुप्तचर एजेंसी ने ठीक उस वक्त पकड़ा जब वे एरियाना एयरलाइंस की उड़ान में सवार हो चुके थे। उससे वे दुबई जाने वाले थे। बताया जा रहा है पूर्व राष्ट्रपति इधर तालिबान के मीन—मेख निकालते आ रहे थे। तालिबान को उनकी यह बात रास नहीं आ रही थी। माना यही जा रहा है कि उनके भाई को हिरासत में लेने की कार्रवाई शायद हामिद करजई को ‘सबक’ सिखाने की गरज से की गई है।
अफगान समाचार एजेंसियों के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति के भाई की गिरफ्तारी के पीछे उनके भाई हामिद करजई की वह राजनीतिक टिप्पणी है जो उन्होंने अफगान महिलाओं की बदहाल स्थिति को लेकर की थी। हामिद करजई महिलाओं के अधिकारों पर लगाम लगाने के विषय में तालिबान सरकार की कटु आलोचना करते आ रहे हैं। इतना ही नहीं, हामिद का यह भी कहना रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान एक ‘समावेशी’ सरकार बनाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
उल्लेखनीय है कि हामिद के भाई महमूद करजई दक्षिणी कंधार प्रांत के आधुनिक कारोबारी शहर ऐनो मीना के बड़े व्यवसायी माने जाते हैं। वे वहां के प्रमुख शेयरधारकों में से एक है। एजेंसी खामा प्रेस की रिपोर्ट बताती है कि पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने उन पर ऐनो मीना के निर्माण के दौरान सरकारी जमीन को कब्जाने के आरोप लगाए थे। इतना ही नहीं, हामिद करजई ने देश में तेजी से हो रहीं हत्याओं से पैदा हो रहे डर के माहौल के बीच नेशनल रेसिस्टेंस फोर्स तथा अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के मध्य पंजशीर इलाके में संशस्त्र संघर्ष को लेकर भी तालिबान की खिंचाई की थी।
हमेशा से खुलकर बोलने वाले पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने तालिबान शासन द्वारा लड़कियों की तालीम पर रोक लगा देने को गलत बताया था। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा था कि इस तरह के कृत्य देश को बरसों पीछे धकेल सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि तालिबान को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसा काम हो जिससे देश जनता के सभी वर्ग सरकार में हिस्सेदारी अनुभव कर सकें।
यहां यह ध्यान रखना होगा काबुल की कुर्सी हथियाने के बाद से तालिबान ने मौलिक अधिकारों को गंभीर रूप से आहत करने वाली नीतियां ही लागू की हैं। खासकर महिलाओं तथा स्कूल—कॉलेज की छात्राओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, तालिबान ने सभी महिलाओं को नागरिक सेवा में बड़े पदों से बाहर निकाल दिया है। दुनिया जानती है कि कट्टर इस्लामी तालिबान शासकों ने शरिया के नाम पर देश के ज्यादातर प्रांतों में लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा पाने से रोक दिया है। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद इसे लेकर तालिबान ने कोरे वायदे ही किए हैं। लड़कियों के लिए स्कूल—कॉलेज के दरवाजे अब भी बंद ही हैं।
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