गुरु नानक देव जी ने भारत भूमि को हिंदुस्तान कहकर पुकारा था
May 26, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

गुरु नानक देव जी ने भारत भूमि को हिंदुस्तान कहकर पुकारा था

पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित शहर ‘’ननकाना साहिब’’ का नाम ही गुरु नानक देव जी की जन्मस्थली के नाम पर पड़ा है

by पूनम नेगी
Nov 8, 2022, 10:32 am IST
in भारत
श्रीगुरु नानकदेव जी

श्रीगुरु नानकदेव जी

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

गुरु नानक देव भारत भूमि के उन शीर्षस्थ संतों में हैं जिन्होंने सनातन धर्म और परमात्मा के मूल तत्त्व को हृदयंगम कर लिया था। वेदों के “एकोहम् बहुस्यामि” के सिद्धांत की तरह उनका कहना था, ‘’एक दू जीभऊ लख होय, लख होय लख बीस। लख लख गेड़ा आखियै एक नाम जगदीस।।‘’ अर्थात एक ही भगवान एक से दो हो जाता है, दो से लाख, लाख से बीस लाख और फिर अरबों और खरबों हो जाता है, पर अंत में एक जगदीश ही सत्य है।

मक्का की यात्रा के समय जब मुसलमानों ने उनसे भगवान के स्वरूप के संबंध में प्रश्न किया तब भी उन्होंने ऐसा ही उत्तर दिया- एक नूर ते सब जग उपज्या को भले को मंदे। यानी सब कोई एक ही परमात्मा के बंदे हैं, उनमें किसी को छोटा- बड़ा कहना व्यर्थ है। सिख धर्म के संस्थापक प्रथम पातशाह साहिब श्री गुरु नानक देव जी को लद्दाख व तिब्बत में नानक लामा भी कहा जाता है। उनके व्यक्तित्व में महान दार्शनिक, सिद्ध योगी, गृहस्थ संत, अप्रतिम समाजसुधारक, देशभक्त कवि होने के साथ विश्वबंधुत्व के गुण समाये हुए हैं।

रावी नदी का वह तट

कहते हैं कि गुरु नानक देव जी के भीतर साधना के बीजांकुर बालपन से प्रस्फुटित होने लगे थे। रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव (वर्तमान पाकिस्तान में) में सन् 1469 को कार्तिक पूर्णिमा की पावन तिथि पर एक खत्री कुल में उनका जन्म हुआ। नानक के पिता का नाम कल्याणचंद मेहता व माता का नाम तृप्ता देवी था। बहन का नाम नानकी था। लड़कपन से वह सांसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे। स्कूल छूटने के बाद इनका सारा समय आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत होने लगा। संसारिक विषयों के प्रति से इनकी विरक्ति देख माता-पिता ने 16 साल की आयु में उनका विवाह गुरदासपुर निवासी मूलराज खत्री की कन्या सुलक्खनी से कर दिया। उनके दो पुत्र श्रीचंद और लक्ष्मीचंद हुए। 1507 में नानक अपने चार साथियों मरदाना, लहना, बाला और रामदास को लेकर देशाटन पर निकले।

सिख शब्द का मूल अर्थ

सिख धर्म का उदय नानक देव जी की शिक्षाओं के साथ होता है। सिख शब्द का मूल अर्थ है शिष्य। जो लोग गुरु नानक जी की शिक्षाओं पर चलते गये वे सिख हो गये। आज यह धर्म विश्व का नौवां बड़ा धर्म है और भारत के प्रमुख चार धर्मों में इसका स्थान भी है। सिख धर्म की पहचान पगड़ी और अन्य पोशाकों से भी की जाती है लेकिन ऐसे भी कई सिख हैं जो पगड़ी धारण नहीं करते। गुरु नानक देव जी के कथनों पर चलते हुए सिख धर्म एक संत समुदाय से शुरू हुआ। वे किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को रंचमात्र भी स्वीकार करने को तैयार न थे। उनकी भाषा “बहता नीर” थी जिसमें फारसी, मुल्तानी, पंजाबी, सिंधी, खड़ी बोली, अरबी के शब्द समा गये थे। 19 रागों में गायी गयीं नानक जी की 974 रचनाएं गुरु ग्रन्थ साहिब में सम्मिलित हैं।

श्री गुरु नानक देव जी ने अनेक देशों में मानवता का प्रकाश फैलाया। उन्होंने घर पंजाब, मक्का, मदीना, काबुल, सिंहल, कामरूप, पुरी, दिल्ली, कश्मीर, काशी, हरिद्वार जैसी जगहों पर जाकर लोगों को उपदेश दिए। नानक देव जी ने धार्मिक बाह्याडंबरों का विरोध किया और सामाजिक ढांचे को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास किया। नानक जी ने परमात्मा का वर्णन “एक ओंकार सतनाम करता पुरख निरभऊ निरवैर अकाल मूरत अंजुनी स्वेम्भ गुरु प्रसाद” के जरिये किया है। गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी का आरंभ इस मूलमंत्र से होता है कि परमात्मा निराकार है उसका कोई आकार नहीं है। वह न किसी योनि में जन्म लेता है न ही वह कभी मरता है यानि वह अजर-अमर और अविनाशी है। उसे बनाने वाला भी कोई और नहीं है बल्कि वह स्वयं प्रकाशमान है।

कहते हैं कि इस राष्ट्र को ‘हिंदुस्थान’ नाम भी गुरु नानक जी ने ही दिया था। बात उस समय की है जब बाबर ने भारत पर आक्रमण किया था। तब नानकदेव जी ने बाबर को आक्रांता के तौर पर इंगित करते हुए इस धरती को ‘हिंदुस्थान’ कहकर संबोधित किया था।

खुरासान खसमाना कीआ, हिंदुसतानु डराईआ।

आपै दोसु न देई करता जमु करि मुगलु चडाइआ।

 

नानकदेव की स्मृतियों से जुड़े प्रमुख गुरुद्वारे

पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित शहर ‘’ननकाना साहिब’’ का नाम ही गुरु नानक देव जी की जन्मस्थली के नाम पर पड़ा है। इसका पुराना नाम “राय भोई दी तलवंडी” था। लाहौर से 80 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित यह गुरुद्वारा विश्वभर के सिखों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। महाराजा रणजीत सिंह ने गुरु नानक देव के जन्म स्थान पर गुरुद्वारे का निर्माण करवाया था। यह गुरुद्वारा भारत में गुदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक से भी दिखाई देता है। ननकाना साहिब के आसपास के कुछ अन्य गुरुद्वारे गुरु नानकदेव जी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं से संबंधित हैं।

कहते हैं कि जिस विद्यालय में नानकजी पढ़ने जाते थे वहां आज पट्टी साहिब गुरुद्वारा सुशोभित है। ननकाना साहब के निकट एक अन्य गुरुद्वारा ‘’करतारपुर साहिब’’ भी नानक की स्मृतियों को गहराई से संजोये हुए है। नानक जी ने यहां करतारपुर नगर बसाया था और वे 17 साल यहीं रहे। यहां उन्होंने कृषिकर्म भी किया था। यहीं सन् 1532 ई. में भाई लहिणा आपकी सेवा में आये तथा सात वर्ष की समर्पित सेवा के बाद गुरु नानक देव जी के उत्तराधिकारी बने और गुरु ने उन्हें अर्जुन देव नाम दिया। इसी स्थान पर गुरुनानक देव जी 22 सितंबर 1539 ई. को परम ज्योति में लीन हुए।

बटाला स्थित ‘’श्री कंध साहिब’’ में गुरुजी की बारात का ठहराव हुआ था। कहा जाता है कि संवत 1544 में गुरु जी की बारात जहां ठहरी थी वह एक कच्चा घर था, जिसकी एक दीवार का हिस्सा आज भी शीशे के फ्रेम में गुरुद्वारा श्री कंध साहिब में सुरक्षित है। इसके अलावा आज यहां गुरुद्वारा ‘’डेरा साहिब’’ है, जहां श्री मूलराज खत्री जी की बेटी सुलक्खनी देवी को नानक देव जी सुल्तानपुर लोधी से बारात लेकर ब्याहने आये थे। यहीं पर माता सुलक्खनी देवी जी तथा नानक देव जी की शादी की रस्में पूरी हुई थीं।

इसी तरह पंजाब लुधियाना में ‘’गुरुद्वारा गऊ घाट’’ वहां पर निर्मित है जहां गुरुनानक देव 1515 ईस्वी में आये थे। उस समय यह सतलुज दरिया के किनारे पर स्थित था। उस समय लुधियाना के नवाब जलाल खां लोधी अपने दरबारियों सहित गुरु जी की शरण में आए व आग्रह किया कि हे सच्चे पातशाह! यह शहर सतलुज दरिया किनारे स्थित है। इसके तूफान से शहरवासियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। आप इस समस्या से निजात दिलायें। गुरु महाराज ने कहा कि आप सभी सच्चे मन से ईश्वर से प्रार्थना करें। आपकी समस्या हल हो जाएगी और दुनिया में लुधियाना नाम का डंका दुनिया में बजेगा। गुरु साहिब के कहे अनुसार आज लुधियाना शहर घनी आबादी में बसा है और सतलुज दरिया वहां से सात कोस दूर है। इसी कारण वह गुरुद्वारा जो पहले दरिया घाट पर बना हुआ था, गऊ घाट के नाम से विख्यात हो गया।

कहा जाता है कि अपनी उदासियों (यात्राओं) के दौरान नानक देव जी फजिलका के हरिपुरा गांव में रुके थे। जहां गुरुनानक देव जी ठहरे थे, वहां उनके पैरों की छाप आज भी मौजूद है। आज एक भव्य गुरुद्वारा ‘’बड़ साहिब’’ बना हुआ है। गुरु नानक देव जी ने अपने साधना काल का सबसे अधिक समय सुल्तानपुर लोधी में बिताया। यहां उनसे संबंधित अनेक गुरुद्वारे हैं। इनमें से प्रमुख हैं ‘’श्री बेर साहिब’’। गुरु जी ने यहां 14 साल 9 महीने 13 दिन तक अवधि बितायी। यहां उनके बैठने के स्थल को ‘’भोरा साहिब’’ कहते हैं। भोरा साहिब के निकट ही बेरी का एक पेड़ है जिसके बारे में मान्यता है कि गुरुजी ने अपने भक्त खरबूजे शाह के निवेदन पर उसे यहां लगाया था। बेर साहिब से तीन किलोमीटर दूर है ‘’गुरुद्वारा संत घाट’’। गुरु जी यहां प्रतिदिन स्नान करने आते थे और एक दिन डुबकी लगा कर 72 घंटे के लिए लोप हो गये। कहा जाता है कि इसी दौरान उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने एक ओंकार के मूल मंत्र का उच्चारण किया था।

Topics: Guru Nanak Devगुरु नानक जयंतीगुरु नानक देव जीसिख शब्द का मतलबहिंदुस्तानIndia as Hindustanगुरुपर्वGuru Nanak Dev Jayanti
Share16TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

कार्यक्रम में उपस्थित लोग

गुरूबानी से गूंज उठा सभागार

सब जग तारण नानक आए

श्रीगुरु नानकदेव जी

गुरु नानक के श्री राम

गुरु नानक देव जी

3000 सिख श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचा भारत से पाकिस्तान, गुरु नानक की 554वीं जयंती मनेगी धूमधाम से

श्री रीठा साहिब गुरुद्वारा दरबार मे मत्था टेकते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

उत्तराखंड का सौभाग्य कि गुरु नानक देव के पावन चरण यहां पड़े: सीएम धामी

प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती- इकबाल सिंह लालपुरा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Ghaziabad Police attacked constable saurabh killed

गाजियाबाद में पुलिस पर हमला: कॉन्स्टेबल सौरभ की गोली लगने से मृत्यु, बदमाश कादिर फरार

Uttarakhand communal violence

उत्तराखंड: बनभूलपुरा में सांप्रदायिक तनाव,  पथराव के बाद भारी फोर्स तैनात

Trukiye president Rechep taiyap erdogan Shahbaz sarif

लो हो गई पुष्टि! तुर्की ने भारत के खिलाफ की थी पाकिस्तान की मदद, धन्यवाद देने इस्तांबुल पहुंचे शहबाज शरीफ

British women arrested with Kush

मानव हड्डियों से बने ड्रग ‘कुश’ की तस्करी करते श्रीलंका में ब्रिटिश महिला गिरफ्तार

वट पूजन पर्व पर लें वृक्ष संरक्षण का संकल्प

सीडीएस  जनरल अनिल चौहान ने रविवार को उत्तरी एवं पश्चिमी कमान मुख्यालयों का दौरा किया।

ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद उभरते खतरों से मुकाबले को सतर्क रहें तीनों सेनाएं : सीडीएस अनिल चौहान 

तेजप्रताप यादव

लालू यादव ने बेटे तेजप्रताप काे पार्टी से 6 साल के लिए किया निष्कासित, परिवार से भी किया दूर

जीवन चंद्र जोशी

कौन हैं जीवन जोशी, पीएम मोदी ने मन की बात में की जिनकी तारीफ

प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिभाग किया।

उत्तराखंड में यूसीसी: 4 माह में  डेढ़ लाख से अधिक और 98% गांवों से आवेदन मिले, सीएम धामी ने दी जानकारी

Leftist feared with Brahmos

अब समझ आया, वामपंथी क्यों इस मिसाइल को ठोकर मार रहे थे!

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies