पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ अभी दो दिन के लिए चीन गए थे। बेशक, उनके इस दौरे के पीछे भी पैसे का जुगाड़ और ‘आका’ की मिजाजपुर्सी करना रहा होगा। हालांकि मीडिया को बताया यह गया कि शरीफ ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ ‘सीपैक परियोजना’ को लेकर विस्तृत बातचीत की और अफगानिस्तान तक इसके विस्तार को हरी झंडी भी मिल गई। बताया यह भी गया कि शरीफ ने पाकिस्तान में चीन के कामगारों की सुरक्षा को लेकर चीनी राष्ट्रपति को आश्वस्त किया और बताया कि वे हर तरह से सुरक्षित रखे जाएंगे।
लेकिन शी जिनपिंग इतने भर से संतुष्ट नहीं हुए। उनको कुछ महीने पहले फिदायीन हमलों में मारे गए चीनी नागरिकों के बारे में सब याद था। इसलिए जो मीडिया को बताया नहीं गया वह सूत्रों के अनुसार, यह है कि शरीफ को फटकार पड़ी और सुरक्षा के और बेहतर इंतजाम सामने रखने को कहा।
इस ‘बेहतर इंतजाम’ वाली फटकार के बाद, इस्लामाबाद की तरफ से घोषणा की गई है कि ‘सीपैक’ में कार्यरत चीनी कामगारों को पाकिस्तान की तरफ से साइट पर आने-जाने ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान में किसी भी जगह जाने के लिए बुलेट प्रूफ गाड़ियां उपलब्ध कराई जाएंगी। कल इस संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
इसमें संदेह नहीं है कि चीन का पाकिस्तान में बर्बाद हो चुकी कानून-व्यवस्था से भरोसा पूरी तरह से उठ चुका है। पाकिस्तान सरकार की ओर से चीन की आशंकाओं को दूर करने और चीनी नागरिकों में पाकिस्तान में रहने को लेकर भरोसा पैदा करने की गरज से ही अब चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की परियोजनाओं में काम कर रहे चीनी कामगारों को पाकिस्तान में बुलेट प्रूफ कारें उपलब्ध कराने की बात सामने आई है। विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के हाल के बीजिंग दौरे में हुई चर्चा के दौरान चीन का सख्त रुख दिखाई दिया था। इसलिए सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान की सरकार चीन की ‘सीपैक’ से जुड़ी सभी शर्तों को मानने को तैयार हो गई है।
सूत्रों के अनुसार, बीजिंग में चर्चा के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के चीन दौरे में दोनों देशों के बीच इसे लेकर चर्चा हो गई थी। शुरू में पाकिस्तान इस शर्त पर हामी भरने को तैयार नहीं था। लेकिन दबाव पड़ने पर आखिरकार वह चीन की शर्तों को मानने को बाध्य हुआ है।
पाकिस्तान के मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, पाकिस्तान और चीन के बीच रविवार को चीनी कामगारों को लेकर अहम समझौता हुआ है। समझौते में कहा गया है कि सीपैक परियोजना में काम कर रहे चीनी कामगार जब भी किसी साइट से बाहर निकलेंगे, उन्हें पाकिस्तान की सरकार बुलेट प्रूफ कार उपलब्ध कराएगी। इतना ही नहीं, चीन और पाकिस्तान के बीच ‘सीपैक’ की 11वीं संयुक्त सहयोग समिति के खाके में कहा गया है, “यह तय पाया गया है कि परियोजनाओं में कार्यरत चीन के सभी कामगारों के लिए सभी तरह की बाहरी आवाजाही के दौरान बुलेट प्रूफ गाड़ियों का प्रयोग किया जाएगा।”
दिलचस्प बात है कि कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि चीनी कामगारों को बुलेट प्रूफ गाड़ियों की सुरक्षा देना पाकिस्तान के लिए बड़ा शर्मनाक होगा क्योंकि इससे दुनिया के सामने यही जाएगा कि पाकिस्तान में सुरक्षा की स्थिति बहुत बदतर है। इतना ही नहीं, चीनी कामगारों को ऐसी सुरक्षा देने के बाद अन्य देशों से आने वाले कामगार भी सरकार से इसी तरह की सुरक्षा मांगेगे। उस हालत में पाकिस्तान के सामने विकट समस्या खड़ी हो जाएगी।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की चीन यात्रा के दौरान ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर होने थे। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था। जबकि इससे पहले चीन और पाकिस्तान के बीच ‘सीपैक’ को लेकर जितने भी समझौते हुए, उन पर लगभग फौरन ही दस्तखत हो जाया करते थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया। पाकिस्तान के मंत्री अहसान इकबाल ने सफाई देते हुए कहा है कि, क्योंकि शाहबाज शरीफ का दौरा सिर्फ 24 घंटे का ही था। बहुत कम वक्त होने की वजह से दोनों देशों के बीच समझौता ज्ञापनों पर दस्तखत नहीं हो पाए।
पाकिस्तान ने बीजिंग की किन-किन शर्तों को माना है, इस बारे में द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान ने चीन से इस्लामाबाद स्थिति नेशनल फॉरेंसिक साइंस लैब को अत्याधुनिक बनाने की अपील की है, जिस पर चीन ने पाकिस्तान को फिलहाल आश्वासन तो दे ही दिया है।
इससे भी बढ़कर, चीन ने कहा है कि वह पाकिस्तान में प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करेगा, जिसमें पाकिस्तान के निजी सुरक्षा गार्डों तथा एलईए के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण में निजी गार्ड्स को आधुनिक तकनोलाजी और मॉड्यूल से युक्त किया जाएगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान ने चीन की सभी शर्तों को मानकर अपनी संप्रभुता का मखौल उड़ाया है। इसमें कोई शक नहीं है कि अब प्रशिक्षण देने की आड़ में पाकिस्तान में चीन के सैनिक आ पहुंचेंगे। चीन के इन सैन्य प्रशिक्षण केन्द्रों में चीनी सैनिकों की आवाजाही निरंतर होती रहेगी।
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