उत्तरांचल विश्वविद्यालय में विज्ञान भारती और केंद्र सरकार के विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “आकाश तत्व” कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में सहभाग करने वाली संस्थाओं ने भविष्य में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की जानकारियों को रखा।
हैदराबाद के नेशनल रिसर्च स्टडी फिर स्पेस एंड एलाइड साइंस के भौतिक अनुभाग के निदेशक डॉ अनिल भारद्वाज ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत का चंद्रयान मिशन 3 अगले साल तक जाएगा और ये चांद के अंधेरे वाले क्षेत्रों का अध्ययन करेगा, जहां सूरज की किरणें नहीं पहुंचती हैं। उन्होंने कहा कि मिशन मंगल भी तैयार हो रहा है और हम अब इसके आगे की बात सोचने लगे हैं। हमने जापान की स्पेस संस्था जैक्सा के साथ मिलकर शुक्र ग्रह तक अपने यान भेजने की योजना बना ली है।
एयरो स्पेस टेक्नोलॉजी लि स्पेस औरा के सीईओ आकाश पोरवाल ने बताया कि वो दिन दूर नहीं जब हम अपने स्पेसशिप तैयार करेंगे और स्पेस पर्यटन की शुरुआत करेंगे। अभी इस पर एलन मस्क की कम्पनी काम कर रही है, हमारी भारतीय कम्पनी केवल पचास लाख रुपए में स्पेस पर्यटन करवाएगी। इसके लिए स्पेस शिप तैयार हो रहे हैं, जिसमें 6 यात्री और एक पायलट जा सकेगा। इसके लिए स्पेस बैलून तकनीक के आधार पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद देश में अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में नई उम्मीद जागी है। भारतीय वैज्ञानिक इस बारे में नई सोच के साथ आगे बढ़ते जा रहे हैं।
कार्यक्रम में कार्बन उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण, प्रदूषण के विषय में भी वक्ताओं ने विचार रखे। आईआईटी कानपुर के प्रो मुकेश शर्मा ने देश में वायु की शुद्धता, खास तौर पर दिल्ली और एनसीआर में हवा की गुणवत्ता पर चिंता जाहिर की और सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों पर नाखुशी जाहिर की। आईआईजी मुंबई के प्रो गीता विचारे ने सूर्य के भीतर हो रही उथल पुथल पर भी लोगों का ध्यान खींचा और कहा इसकी गतिविधियों से धरती पर असर पड़ रहा है।
नासा के वैज्ञानिक डॉ एन गोपाल स्वामी ने कहा कि सूर्य पर हो रहे निरंतर शोध से हमे नई-नई जानकारी मिल रही है क्योंकि सूर्य की गतिविधियों से पृथ्वी पर सबसे ज्यादा प्रभाव दिखलाई देता है। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर ने भारत में धान की पैदावार के साथ-साथ अन्य फसलों पर हो रहे नए शोध की जानकारी दी कि कैसे हम इसकी ऊंचाई कम करेंगे और इसकी गुणवक्ता और पौष्टिकता को और अधिक सुदृढ़ करेंगे।
समापन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश भैया जी जोशी ने कहा कि इस संगोष्ठी में कई नई बातें सीखने को मिलीं। उन्होंने कहा कि बादल फटना, भूकंप, बीमारियों और जंगलों में आग लगना जैसे कई शोध के विषय हैं। जब तक हम इनके कारणों में नहीं जाएंगे, तब तक इन्हें हल कैसे करेंगे। कुछ चीजें हमारे हाथ में नहीं हैं, लेकिन हमारे हाथ में हो सकती हैं। प्रकृति में चल रही हलचल पर प्राथमिकता से मंथन करने की आवश्यकता है।
भैयाजी जोशी ने कहा कि आज भिन्न-भिन्न प्रकार के शोध के लिए सैटेलाइट छोड़े जा रहे हैं। आकाश में छोड़ा गया कचरा भविष्य में क्या आपदा लाने वाला है, यह सोचा जाना चाहिए। भारतीय विज्ञानियों ने सैटेलाइट का प्रयोग आक्रमण के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा देने के लिए किया है। उन्होंने कहा कि जो मानवता और संस्कृति है, उस पर विज्ञानियों को काम करना होगा। सरकार को भी इसमें प्रोत्साहन देना होगा। जब तक हर एक व्यक्ति इस पर नहीं सोचेगा, तब तक विकास संभव नहीं है। भारत व विश्व के उत्थान के लिए मार्ग प्रशस्त करने का कार्य शुरू हो चुका है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आकाश तत्व कार्यक्रम में कहा कि विज्ञान भारती का ये प्रयास सराहनीय है, उन्होंने कहा नए शोध की जानकारी प्रयोगशालाओं से निकल कर आम जन मानस तक पहुंचे, यही विज्ञान भारती का दायित्व है। केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने इस कार्यक्रम में कहा कि हमारी सरकार ने पीएम मोदी के विजन पर काम करना शुरू कर दिया है हम दुनिया में ऐसे शीर्ष देशों में शामिल होंगे, जिसका अंतरिक्ष में भी अपना दब दबा होगा।
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