भगवंत मान भी नहीं बचा पाए पार्टी की लाज, आदमपुर उपचुनाव में ‘आप’ प्रत्याशी की जमानत जब्त

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राकेश सैन

अपने गृहक्षेत्र संगरूर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा का उपचुनाव हारने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के स्टार प्रचारक भगवंत मान का मान घटता दिख रहा है। अभी हरियाणा की आदमपुर विधानसभा सीट पर हुए, उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को तीन हजार से कुछ अधिक वोट पड़े और पार्टी की जमानत भी जब्त हो गई, जबकि इस सीट के लिए भगवंत मान ने स्टार प्रचारक के रूप में खूब जोर लगाया था। इसी के साथ उन्होंने रोड शो भी किया था, लेकिन सब व्यर्थ गया। भाजपा की आंधी में झाड़ू तिनके-तिनके होकर बिखर गई।

भगवंत मान ने उपचुनाव में ‘आप’ के प्रत्याशी सतेंद्र सिंह के लिए चुनावी रैली, रोड शो करने समेत जमकर चुनाव प्रचार किया था। उन्होंने लोगों से शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली-पानी आदि मुद्दों पर वोट देने की अपील की थी। साथ ही मान ने दावा किया था, कि लोग आप के साथ राजनीतिक बदलाव की ओर देख रहे हैं, लेकिन आदमपुर के लोगों ने मान पर भरोसा नहीं जताया। आप उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई।

‘आप’ के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी आदमपुर में रोड शो करना था, लेकिन उनकी प्राथमिकता गुजरात होने पर वहां ब्रिज हादसा होने के चलते केजरीवाल का रोड शो रद्द हो गया था, लेकिन भगवंत मान पूरे दमखम से दिल्ली मॉडल को लेकर प्रचार करने में जुटे रहे। बावजूद इसके आदमपुर के लोगों ने उनके किसी भी दावे और वादे को तवज्जों नहीं दी। नतीजतन कांग्रेस छोड़कर ‘आप’ के प्रत्याशी बने सतेंद्र सिंह को 3420 वोट ही मिल सके, और केजरीवाल का दल सबसे पीछे रहने वाला राजनीतिक दल बनकर रह गया।

हरियाणा के आदमपुर उपचुनाव में स्व. भजनलाल के पोते भाजपा प्रत्याशी भव्य बिश्नोई ने 67 हजार 492 वोट से जीत का परचम लहराते हुए, परिवार की जीत को बरकरार रखा है। उन्होंने कांग्रेस के जयप्रकाश को 15,740 वोट से हराया। जबकि इनेलो प्रत्याशी कुरड़ाराम को केवल 5248 वोट से संतोष करना पड़ा और सबसे पीछे रहने वाली आप के प्रत्याशी सतेंद्र सिंह को केवल 3420 वोट ही मिले।

वहीं विश्लेषक इसका कारण पंजाब सरकार के हर मोर्चे पर निराशाजनक प्रदर्शन को मान रहे हैं। पंजाब में नशा पहले की बजाय अधिक बड़ी समस्या बनकर सामने आया है, गैंगस्टर व आतंकवादियों ने लोगों का जीना मुश्किल किया हुआ है। आर्थिक, प्रशासनिक व कानून व्यवस्था के मोर्चे पर पंजाब सरकार के हाथ खाली ही दिख रहे हैं।

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