महिला अधिकारों और महिलाओं के समाज के साथ कदम मिलाकर चलने को लेकर हमेशा चिढ़ते रहे हैं मुल्ला;मौलवी! मस्जिदों में महिलाओं के जाने तक पर पाबंदी लगाने वाले इस्लामी कट्टरपंथी अपने मजहब में महिलाओं से कैसा बर्ताव करते हैं उसके बार बार उदाहरण दिए हैं खुद को कट्टर इस्लामी बताने वाले तालिबान ने। इसीलिए जब भी, जहां भी इस्लामी समुदाय में बदलाव या महिलाओं के उत्थान की बात आती है, सबसे पहले कठमुल्ला तबका ही लानतें भेजता है। अब उनके आक्रोश का ताजा उदाहरण सऊदी अरब में दिखाई दे रहा है।
सऊदी अरब के कठमुल्लों के लिए ‘इस्लाम खतरे में है’ की ताजा वजह है कि वहां कुछ साल पहले महिलाओं को मतदान और कार चलाने का ‘गैर—इस्लामी’ अधिकार देने के बाद अब उन्हें अखाड़े में लड़ाया जा रहा है। यानी कठमुल्ला समाज की रीत से परे जाते हुए महिलाओं को और और अधिकार दिए जा रहे हैं, उन्हें पुरुषों के मुकाबले लाया जा रहा है। इस्लामी खाड़ी देश रूढ़िवाद के बंधन तोड़ रहा है! अपने इन प्रयासों के लिए कई मौकों पर सऊदी शासकों को कट्टर मौलानाओं के विरोध और गुस्से का निशाना बनना पड़ा है।
वह खाड़ी देश महिला अधिकारों को लेकर कुछ ज्यादा ही ‘आधुनिक’ होकर दिखा रहा है जो मदरसों में पढ़े मुल्लाओं को रास नहीं आ रही है। शासकों का तर्क है कि दुनिया के साथ कदम मिलाने हैं, अपने यहां पर्यटन को मजबूत करना है, निवेशकों को लुभाना है। इसलिए ऐसे ‘क्रांतिकारी’ बदलाव जरूरी हैं। ऐसा ही एक बदलाव तब दिखा जब पिछले दिनों पेशेवर कुश्ती कराने वाली कंपनी डब्ल्यूडब्ल्यूई ने सऊदी अरब में अपनी एक प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस कुश्ती में महिला पहलवानों को भी शामिल किया गया। बस, इसके बाद तो कट्टरपंथी जमात ने सऊदी अरब को लानतें भेजना शुरू कर दिया।
ये आक्रोश सोशल मीडिया के माध्यम से जताया जा रहा है। कई कठमुल्लाओं ने बेहद अपमानजनक तरीके से खाड़ी देश को कोसा है। बहुतों ने तो इस प्रतियोगिता के ही विरुद्ध भड़ास निकाली है। प्रतियोगिता से जुड़े एक वीडियो पर कुछ मुस्लिमों ने, ‘जहन्नुम के लिए तैयार’ और ‘जहन्नम की तरफ बढ़ता नया सऊदी अरब’ जैसे कमेंट लिखे हैं। हालांकि कुछ लोग सऊदी अरब में किए जा रहे ‘सकारात्मक बदलावों’ पर समर्थन भी व्यक्त कर रहे हैं। दुनिया के कई देश कट्टरपंथ की जकड़ से आजाद होने को के कदमों पर सऊदी अरब की तारीफें कर रहे हैं। एक यूजर ने तो सऊदी अरब के लिए लिखा कि ‘सुधारों को लेकर दुनियाभर के लिए असल रोल मॉडल’।
इस कुश्ती प्रतियोगिता से पहले कठमुल्लों को वहां हुए ‘हेलोवीन समारोह’ को लेकर गुस्सा उबह ही रहा था। 31 अक्तूबर को वहां पहली बार ‘हेलोवीन’ मनाया गया था। इसके जश्न में रियाद में हुए एक कार्यक्रम में बड़ी भारी भीड़ जुटी थी। उस जश्न की सोशल मीडिया पर आईं फोटो देखकर कट्टरपंथी नाराज हो गए थे और फतवा सुना दिया था कि यह सब ‘इस्लाम के विरुद्ध’ है।
अब कुश्ती और उसमें भी सऊदी महिला पहलवानों की सहभागिता ने तो उबाल को और उछाल दिया। अरब ही नहीं, दुनियाभर के कट्टरपंथी लिखने लगे कि ‘कयामत अब दूर नहीं है’। एक ने लिखा कि ‘मैं इस वर्ष बहुत से मुसलमानों को हेलोवीन मनाते देख रहा हूं। मुसलमान हेलोवीन मना रहे हैं। अल्लाह सही राह दिखाए, हमें माफ करे।’ एक अन्य लिखता है कि ‘सऊदी अरब में हेलोवीन मनाया जाना दिखाता है कि अब कयामत दूर नहीं।’
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