पड़ोसी इस्लामी देश पाकिस्तान ने भारत के करीब 3 हजार तीर्थयात्रियों को गुरू नानक देव जयंती के अवसर पर पाकिस्तान के गुरुद्वारों में मत्था टेकने जाने के लिए वीसा जारी किए हैं। नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग ने बताया है कि इस बार कुल 2942 तीर्थयात्रियों को वीसा जारी किए गए हैं।
भारत से जाने वाले ये तीर्थयात्री डेरा साहिब, पंजा साहिब, ननकाना साहिब तथा करतारपुर साहिब गुरुद्वारों में मत्था टेकने जाएंगे। ये यात्रा 6 नवंबर को पाकिस्तान में प्रवेश के साथ शुरू होगी और 15 नवंबर को उनके भारत लौटने के साथ खत्म होगी। उल्लेखनीय है कि हर साल गुरु नानकदेव के गुरुपरब पर सैकड़ों तीर्थयात्री भारत से पाकिस्तान जाते रहे हैं।
पाकिस्तान जाने वाले भारत के तीर्थयात्री इस उत्सव के मौके पर वहां के कई शहरों में होने जा रहे समारोहों में भी भाग लेंगे। दरअसल 1974 में पांथिक स्थलों की यात्रा के संबंध में बने ‘पाकिस्तान-भारत प्रोटोकॉल’ के अंतर्गत भारत के इन सिख तीर्थयात्रियों को वीसा जारी किए गए हैं। भारत में पाकिस्तान उच्चायोग के अनुसार, उनके द्वारा जारी ये वीसा बाकी दूसरे देशों से वहां पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों के अतिरिक्त हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री विशेष मौकों पर पांथिक उत्सवों तथा समारोहों में शामिल होने के लिए पाकिस्तान जाते रहे हैं। पाकिस्तान उच्चायोग ने एक बयान जारी करके कहा है कि उच्चायोग द्वारा पांथिक तीर्थयात्रियों को तीर्थयात्रा वीसा दोनों देशों के बीच 1974 में हुए द्विपक्षीय प्रोटोकॉल की अनुपालना के तहत जारी किए हैं जो पाकिस्तान सरकार की प्रतिबद्धता है।
पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी आफताब हसन खान की बोर से भारतीय तीर्थयात्रियों को बधाई दी गई और यात्रा की सफलता की दुआएं की गईं। खान का कहना है कि पाकिस्तान पवित्र पांथिक स्थलों को सहेजने और वहां जाने वाले तीर्थयात्रियों को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने में बहुत फख्र महसूस करता है।
हालांकि यह बात भी सच है कि गत कुछ सालों से दोतरफा संबंधों में गिरावट आई है। इससे भारत और पाकिस्तान के पांथिक स्थलों में आने—जाने वालों की यात्राओं पर असर पड़ा है। पाकिस्तान और भारत के साझा प्रयास से करतारपुर गलियारा भी खोला गया है जिससे कि भारतीय तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के पंजाब सूबे में करतारपुर में ऐतिहासिक करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में वीसा के बिना पहुंच की इजाजत मिल सके, जहां श्री गुरुनानक देव जी ने अपनी जिंदगी के आखिरी साल बिताए थे।
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