कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ फॉरेस्ट डिवीजन में सालों से बाघों की रखवाली करने वाली हथिनी गंगा की मौत हो गई है। गंगा पिछले कुछ महीनों से पेट की बीमारी से ग्रस्त थी और पशु चिकित्सक उसका इलाज कर रहे थे। गंगा की मौत से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के दूसरे हाथी और उनके महावत मातम में हैं।
करीब बीस साल की गंगा ने सात माह पहले बच्ची को जन्म दिया था। कॉर्बेट प्रशासन ने उसका नाम खुशी रखा था। गंगा की मौत के बाद से खुशी को उसकी मां के शव से दूर रखा गया। आम तौर हथिनी का बच्चा एक साल तक अपनी मां का दूध पीता है। गंगा को दफनाने के बाद खुशी अपनी मां को ढूंढती नजर आई, जिसके बाद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के हाथियों के महावतों ने गंगा की मां यानी खुशी की नानी को दूसरे डिवीजन से तत्काल कालागढ़ बुलवाया तब जाकर खुशी को संभाला जा सका।
रामनगर के पशु चिकित्सक राजीव कुमार, कॉर्बेट के पशु चिकित्सक आयुष कुमार और कॉर्बेट के निदेशक डॉ धीरज पाण्डेय की महावतों के साथ खुशी को लेकर लंबी बातचीत हुई है। सभी के आगे इस बात की चिंता थी कि खुशी को कैसे भोजन की आदत डाली जाए। बहरहाल महावत समुदाय ने अपने स्तर पर खुशी को पालने की जिम्मेदारी ली है। उल्लेखनीय है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में महावत पीढ़ी दर पीढ़ी कई सालों से हाथियों की देखभाल में लगे हुए हैं। उनका कहना था कि उन्हें हाथियों के अपने खानदानी इलाज और उनके लालन पालन पर भरोसा है।
गंगा की मौत के बाद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हाथियों से पेट्रोलिंग फिलहाल कुछ दिन के लिए बंद की गई है। गंगा के जाने के बाद महावत और अन्य हाथी भी सदमे में हैं। ऐसा माना जाता है कि महावत अपने बच्चे से ज्यादा अपने पालतू हाथी से प्रेम करते हैं।
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