उत्तर प्रदेश में मदरसों के सर्वे का पुनः सत्यापन का कार्य 15 नवंबर तक पूरा कर शासन को रिपोर्ट भेजनी है। पिछले माह हुए पहले सर्वे में मुरादाबाद और बिजनौर में सबसे ज्यादा गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की पहचान हुई है। जानकारी के मुताबिक योगी सरकार राज्य के सभी मदरसों की जांच पड़ताल कर रही है, जिसमें ये देखा जा रहा है कि उन्हें सरकार से मान्यता है अथवा नहीं, उनके बैंक खाते हैं कि नहीं, मदरसे में बिजली, पानी, फर्नीचर, शौचालय की स्तिथि कैसी है? प्रबंध समिति में कौन-कौन है? 10 सितंबर को शुरू कराए गए सर्वे को 31 अक्टूबर तक पूरा किया जाना था। शासन के पास जो रिपोर्ट आई है उसके बाद गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का पुनः सत्यापन करवाया जा रहा है जिसकी फाइनल रिपोर्ट 15 नवंबर को भेजी जानी है।
जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में 16416 मदरसे हैं, जिनमें से 558 को सरकारी अनुदान मिल रहा है। 8171 मदरसे ऐसे हैं जिनका आधुनिकीकरण हो चुका है। सर्वे में मिली जानकारी के अनुसार राज्य में 6502 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त हैं। मिली जानकारी के अनुसार जिला मुरादाबाद में 585, बिजनौर में 450, बस्ती जिले में 401, गौंडा में 281, देवरिया में 270, मुजफ्फरनगर में 222, सिद्धार्थनगर में 185 मदरसे ऐसे हैं जिनका सरकार अथवा किसी भी शिक्षा बोर्ड से अनुमति नहीं ली हुई है। यूपी सरकार का फोकस इन्ही मदरसों पर है। जानकारी के मुताबिक सरकार ने उन्हें पर्याप्त वक्त भी दिया था कि वो अपनी मान्यता लेलें, किंतु इन पर योगी सरकार के आदेशों का कोई असर नहीं हुआ।
उधर सहारनपुर में दारुल उलूम की एक बड़ी बैठक में अपने यहां से संचालित मदरसों के लिए किसी भी राज्य की सरकार से मान्यता नहीं लिए जाने का फैसला लिया गया है। देवबंद से जारी इस फरमान से सरकार और देवबंद के दारुल उलूम द्वारा संचालित मदरसों के बीच टकराव के हालात पैदा होने जा रहे हैं।
अभी ये भी देखा जा रहा है कि यूपी की योगी सरकार का सर्वे की फाइनल रिपोर्ट मिल जाने के बाद क्या रुख रहता है.? क्या सरकार इन मदरसों के खिलाफ कार्रवाई करेगी या फिर इन्हें पंजीकरण का वक्त देगी? यूपी मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह का कहना है कि राज्य सरकार की तीन सदस्यों की टीम, हर जिले से आने वाली सर्वे रिपोर्ट का पहले अध्ययन करेगी उसके बाद जो भी शासन की नीति बनेगी उस पर आगे की कर्रवाई होगी।
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