भारत के पड़ोसी इस्लामी देश पाकिस्तान की विभिन्न वजहों से दुनियाभर में छिछालेदर हो रही है। आतंकवाद को सरकार द्वारा पोसने, महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में सबसे आगे होने, राजनीतिक अस्थिरता, सरकारी लूट, लचर पुलिस तंत्र, अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार हनन आदि मुद्दों पर पाकिस्तान का नाम बहुत ज्यादा बदनाम हो चुका है। लेकिन अब एक ताजा अध्ययन से पड़ोसी इस्लामी देश के नाम पर एक और बट्टा लगाने वाली बात सामने आई है।
पेरिस के एक वॉचडॉग का कहना है कि आज पाकिस्तान में पत्रकारों में सेना और सत्ता का जबरदस्त खौफ है। वहां खुलकर लिखने की मनाही है और जिसने भी इस अलिखित कायदे को लांघा वह पुलिस और फौजियों के निशाने पर आ जाता है। ऐसे पत्रकारों को बेवजह जेलों में ठूंस दिया जाता है या घर से ही अगवा करके गुमनाम जगह ले जाया जाता है।
अभी पिछले दिनों केन्या में एक वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को लेकर भी पाकिस्तानी फौज पर उंगलियां उठ रही हैं। उस पत्रकार अरशद शरीफ को ‘गलतफहमी’ के चलते उनकी कार में गोली मार दी गई थी। इसके फौरन बाद, पाकिस्तान के एक वरिष्ठ पत्रकार मोईद पीरजादा तो 30 अक्तूबर को देश से ही पलायन कर गए। बताया जा रहा है कि मोईद यूनाइटेड किंगडम जा पहुंचे हैं। अगले दिन पाकिस्तान के अखबारों ने हैरानी भरी यह खबर साझा की।
उल्लेखनीय है कि गत अप्रैल महीने में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर शाहबाज शरीफ के बैठने के बाद से पाकिस्तान के कई पत्रकारों ने बताया है कि उन्हें फौज से संबंधित एजेंसियों से धमकियां दी जाती रही हैं।
अब पेरिस के एक मीडिया वॉचडॉग की रिपोर्ट है कि पत्रकारों के लिहाज से पाकिस्तान दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है। इसके अनुसार, वहां सालाना 3—4 पत्रकारों की हत्याएं होती रही हैं। पत्रकारों की हत्याओं में देखा गया है कि उनके पीछे वजह आमतौर पर भ्रष्टाचार या अवैध तस्करी से जुड़ी होती हैं। इन हत्याकांडों के दोषियों को दिखावे के लिए सजा दी जाती है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) नाम के इस वॉचडॉग ने पाकिस्तान की फौज के बड़े अधिकारियों को वहां पत्रकारों के हो रहे उत्पीड़न को लेकर सावधान भी किया है।
पता चला है कि पाकिस्तान फौज की जनसंपर्क संस्था इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने कायदों का एक दायरा बनाया हुआ है और पत्रकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे उसे न लांघें। लेकिन अगर कोई उसे लांघने की ‘जुर्रत’ करता है तो संस्था की नजरें उस पर तन जाती हैं। उस पर निगरानी रखी जाती है। ऐसे पत्रकारों को फिर बिना अपराध बताए जेल में डाल दिया जाता है, नहीं तो घर से अगवा करके ‘सबक’ सिखाया जाता है।
पेरिस के वॉचडॉग का कहना है कि पाकिस्तान की सैन्य खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) फौज पर किसी के भी उंगली उठाने को बर्दाश्त नहीं करती। वह उसका मुंह बंद रखने को तैयार रहती है। पाकिस्तान के पत्रकार अरशद शरीफ की हाल में हुई हत्या ने बेशक एक बार फिर से पाकिस्तान तथा विदेशों में कार्यरत पाकिस्तान के पत्रकारों की हिफाजत को संदिग्ध बना दिया है।
इधर अरशद शरीफ की हत्या की जांच को लेकर मानवाधिकार संस्थाएं दबाव बनाए हुए हैं। लेकिन यह मुद्दा और रहस्यमयी होता जा रहा है। आएदिन अरशद की हत्या से जुड़े नई—नई बातें सामने आ रही हैं। इस बीच, केन्या के एक पत्रकार ब्रायन ओबुया ने अपने ट्वीट में लिखा है, “अरशद शरीफ की जान लेने वाली घातक गोली कार के पिछले शीशे से सटीक निशाने पर चलाई गई थी। गोली उनके सिर के पीछे से घुसी और सामने से निकली।”
पाकिस्तान के मशहूर दैनिक डॉन ने पत्रकारों की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए सरकार की आलोचना की है। अखबार लिखता है कि जिस गाड़ी में अरशद शरीफ जा रहे थे, उस पर कुल नौ गोलियां चलाई गईं, इनमें से चार गोलियां बायीं तरफ के टायर में तो एक दायीं तरफ के टायर में लगी जो फट गया था। इधर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी आरोप लगाया है कि पाकिस्तान के पत्रकार देश से पलायन कर रहे हैं।
इस बीच, पाकिस्तान के विदेश विभाग ने दो दिन पहले ही ऐसे समाचारों को ‘निराधार तथा मनगढ़ंत’ बताया था कि पत्रकार अरशद शरीफ को निष्कासित करने के लिए विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों को कोई पत्र लिखा था। लेकिन इसमें संदेह नहीं है कि अरशद शरीफ की हत्या से पाकिस्तान में सियासी तूफान मचा हुआ है।
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