अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण कार्य तेजी से हो रहा है। लगभग पचास प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है और वर्ष 2023 के दिसम्बर माह तक मंदिर का गर्भगृह व प्रथम तल बनकर तैयार हो जाएगा। पूरी संभावना है कि वर्ष 2024 के जनवरी माह तक हर हाल में रामलला भी गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से केदारनाथ, बद्रीनाथ, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और उज्जैन में महाकाल मंदिर को भव्य स्वरूप दिया गया। यही नहीं, पांच सौ वर्ष बाद पावागढ़ के काली मंदिर में ध्वजा फहराई गई। लगभग पांच सौ वर्ष के संघर्ष के बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। अब वह दिन दूर नहीं जब रामलला विराजमान के दर्शन उनके भव्य मंदिर में होंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बार अयोध्या के छठे दीपोत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए। उनकी उपस्थिति ने अयोध्या वासियों के मन में नया उत्साह भर दिया। यह सब कुछ यूं ही नहीं था। धार्मिक नगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का जो निर्माण 5 अगस्त, 2020 को शुरू हुआ था। कोरोना की तीन लहर के बावजूद मंदिर का निर्माण पचास फीसदी पूरा हो चुका है। आने वाले दिनों में अयोध्या विश्व के चुनिंदा शहरों में से एक होगी। अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा शुरू होने के बाद पूरे विश्व के लोग सीधे यहां पहुंच सकेंगे।
मंदिर की खास बातें
मंदिर का प्रमुख प्रवेश द्वार ‘सिंह द्वार’ होगा।
2.77 एकड़ के मंदिर क्षेत्र में ग्रेनाइड पत्थरों का हो रहा इस्तेमाल।
मंदिर में 392 स्तम्भ होंगे। कुल 12 द्वार का निर्माण होगा।
गर्भगृह में 160 पिलर होंगे, पहली मंजिल पर 132 पिलर होंगे।
मंदिर में सागौन की लकड़ी के द्वार होंगे।
मंदिर पर भूकंप का असर नहीं होगा।
मंदिर में सरिया का इस्तेमाल बिल्कुल नही हो रहा, तांबे की पत्तियों से पत्थरों को जोड़ने का हो रहा कार्य।
मंदिर के परकोटे में 5 मंदिरों का निर्माण होगा, पंचदेव मंदिर का निर्माण किया जाएगा।
सूर्य देव मंदिर, विष्णु देवता का भी मंदिर बनाया जा रहा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में कहा कि अयोध्या भारत की महान सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब है। राम अयोध्या के राजकुमार थे, लेकिन आराध्य वह पूरे देश के हैं। उनकी प्रेरणा, तपस्या, दिखाया गया मार्ग हर देशवासी के लिए है। भगवान राम के आदर्शों पर चलना, हम सभी भारतीयों का कर्तव्य है। इस आदर्श पथ पर चलते हुए अयोध्यावासियों पर दोहरा दायित्व है। जहां कण-कण में राम व्याप्त हों, वहां का जन-जन कैसा हो, वहां के लोगों का मन कैसा हो, यह भी उतना ही अहम है। जैसे श्रीराम ने सबको अपनापन दिया, वैसे ही अयोध्या वासियों को यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का स्वागत अपनत्व से करना है। अयोध्या की पहचान कर्तव्यनगरी के तौर पर भी बननी चाहिए। अयोध्या सबसे स्वच्छ नगरी हो, यहां के रास्ते चौड़े हों, सुंदरता अप्रतिम हो, इसके लिए योगी सरकार अनेक प्रयास कर रही है। अगर अयोध्यावासियों का साथ मिलेगा तो अयोध्या की दिव्यता और भी निखर जाएगी। हम जितना कर्तव्यों के संकल्प को मजबूत करेंगे, राम जैसे राज्य की संकल्पना साकार होती जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि एक समय था, जब राम का नाम लेने से भी बचा जाता था, राम के अस्तित्व पर सवाल उठाए जाते थे, उसका परिणाम क्या हुआ? हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक स्थान पीछे छूटते चले गए। हम यहीं अयोध्या के रामघाट पर आते थे तो दुर्दशा देखकर मन दुखी हो जाता था। काशी की तंगहाली, गंदगी परेशान कर देती थी। जिन स्थानों को हम अस्तित्व का प्रतीक मानते थे, जब वही बदहाल थे तो देश के उत्थान का मनोबल अपने आप टूट जाता था। बीते 8 वर्ष में देश ने इस हीन भावना की बेड़ियों को तोड़ा है। हमने भारत के तीर्थों के विकास की समग्र नीति को सामने रखा है। अयोध्या का विकास नए आयाम छू रहा है। अयोध्या में रेलवे स्टेशन के साथ-साथ वर्ल्ड क्लास एयरपोर्ट का विकास भी किया जाएगा। अयोध्या के विकास के साथ-साथ रामायण सर्किट का कार्य प्रगति पर है। निषादराज पार्क का निर्माण किया जा रहा है। यहां भगवान् राम और निषादराज की 51 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा बनाई जा रही है। ये प्रतिमा रामायण के उस सर्वसमावेशी संदेश को भी जन-जन तक पहुंचाएगी जो हमें समानता और समरसता के लिए संकल्पबद्ध करता है।
अयोध्या में राम की पैड़ी पर दीपोत्सव के छठे संस्करण में 15 लाख 76 हजार दीप प्रज्ज्वलित कर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया। गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस कीर्तिमान का प्रमाण-पत्र सौंपा गया। प्रधानमंत्री ने इस विश्व कीर्तिमान के लिए मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए कहा कि भारत ने आधुनिक काल तक अनेक अन्धकार भरे युगों का सामना किया है। बड़ी-बड़ी सभ्यताओं के सूर्य अस्त हो गए, लेकिन हमारे दीप जलते रहे, क्योंकि हमने दीप जलाना नहीं छोड़ा, हमने विश्वास बढ़ाना नहीं छोड़ा। भारत ने प्रगति के प्रशस्त पथ पर अपने पराक्रम का प्रकाश अतीत में भी बिखेरा है, भविष्य में भी बिखेरेगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कभी राजनीति के लिए कुछ लोगों ने अयोध्या को वीरान बना दिया था, मगर जिस नगरी को स्वयं प्रभु श्रीराम ने ‘सुहावनी’ बताया हो, वह लंबे समय तक भला वीरान कैसे रह सकती है। ”अवधपुरी प्रभु आवत जानी, भई सकल सोभा कै खानी।” इस साल हम दीपोत्सव का छठा संस्करण मना रहे हैं। कभी त्रेता युग में दीपावली का आयोजन अयोध्यावासियों ने भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास के उपरांत जिस उत्साह और उमंग के साथ आयोजित किया था, आज वह उत्साह पूरे देश में प्रकाश पर्व दीपावली के रूप में दिखाई देता है। आज अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है। यह हर भारतवासी को गौरव की अनुभूति कराता है। आज हर भारतवासी विरासत के इस सम्मान से अभिभूत है। आज विंध्यवासिनी धाम का पुनरुद्धार कॉरिडोर के रूप में युद्धस्तर पर चल रहा है। रामायण सर्किट, कृष्ण सर्किट, बौद्ध परिपथ की बात हो या देशभर में शक्तिपीठों के पुनरुद्धार का कार्य— ये सब अपनी विरासत का सम्मान ही तो है।
तेजी से हो रहा मंदिर निर्माण
अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। लगभग पचास प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है और वर्ष 2023 के दिसम्बर माह तक मंदिर का गर्भगृह व प्रथम तल बनकर तैयार हो जाएगा। पूरी संभावना है कि वर्ष 2024 के जनवरी माह तक हर हाल में रामलला भी गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रतिमाह निर्माण कार्य की प्रगति की रिपोर्ट ले रहे हैं। साथ ही यह देखना होगा कि मंदिर निर्माण के बाद जब पर्यटक यहां आएंगे तो 5 किमी. तक की आबादी पर इसका कितना दबाव पड़ेगा। वर्ष 2024 तक सार्वजनिक तौर पर मंदिर में रामलला के दर्शन की उम्मीद की जा सकती है। अभी अष्टकोणीय गर्भगृह में कार्य प्रगति पर है। यहां 500 विशाल पत्थर बिछाए जा चुके हैं।
मंदिर के पहले तल में कुल 160 पिलर होंगे, जबकि मंदिर के दूसरे तल में करीब 82 पिलर होंगे। श्रीराम मंदिर में कुल 12 दरवाजे होंगे। ये दरवाजे सागौन की लकड़ी के बनेंगे। नक्काशी के लिए राजस्थान स्थित सिरोही के पिंडवाड़ा कस्बे से पत्थर आ रहे हैं। वहीं, कार्यशाला से भी पत्थर लाए जा रहे हैं। मंदिर आंदोलन के समय से ही कार्यशाला में भरतपुर से पत्थर आते थे। सोमपुरा में लंबे समय तक पत्थरों पर नक्काशी हुई है।
मंदिर निर्माण कार्य के प्रोजेक्ट मैनेजर जगदीश आपड़े ने बताया कि प्रधानमंत्री ने निरीक्षण के दौरान ग्रेनाइट पत्थरों के इस्तेमाल के बारे में पूछा था तो उन्हें बताया गया कि ग्रेनाइट के होते हुए पानी की एक बूंद भी अवशोषित नहीं होगी। इसके चलते एक हजार साल तक मंदिर के गर्भगृह को कोई नुकसान नहीं होगा। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि एक हजार साल तक यह मंदिर टिकने वाला है तो यह सबसे उत्तम कार्य हुआ है।
दीपोत्सव का विश्व रिकार्ड
अयोध्या में राम की पैड़ी पर दीपोत्सव के छठे संस्करण में 15 लाख 76 हजार दीप प्रज्ज्वलित कर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया। गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस कीर्तिमान का प्रमाण-पत्र सौंपा गया। प्रधानमंत्री ने इस विश्व कीर्तिमान के लिए मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए कहा कि भारत ने आधुनिक काल तक अनेक अन्धकार भरे युगों का सामना किया है। बड़ी-बड़ी सभ्यताओं के सूर्य अस्त हो गए, लेकिन हमारे दीप जलते रहे, क्योंकि हमने दीप जलाना नहीं छोड़ा, हमने विश्वास बढ़ाना नहीं छोड़ा। भारत ने प्रगति के प्रशस्त पथ पर अपने पराक्रम का प्रकाश अतीत में भी बिखेरा है, भविष्य में भी बिखेरेगा।
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