जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक डीजीपी दिलबाग सिंह ने रविवार को कहा कि पुलिस ने इस साल कश्मीर में विदेशी आतंकियों का सफाया करने पर विशेष ध्यान दिया है। इस साल 40 विदेशी आतंकियों के मारे जाने से स्थानीय आतंकियों की भर्ती में भी काफी गिरावट आई है।
श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से आयोजित कश्मीर मैराथन-2022 के मौके पर डीजीपी ने संवाददाताओं से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस साल हमारा विशेष ध्यान कश्मीर घाटी में सक्रिय विभिन्न संगठनों के विदेशी आतंकियों की धर-पकड़ पर था। इस साल विभिन्न अभियानों में 40 विदेशी आतंकी मारे गए हैं जबकि कुछ अभी भी फरार हैं। सक्रिय आतंकी पुलिस और सुरक्षाबलों के राडार पर हैं। वह भी जल्द ही मारे जाएंगे। आज सभी संगठन नेतृत्व संकट का सामना कर रहे हैं क्योंकि उनका बुनियादी ढांचा काफी हद तक ध्वस्त हो गया है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में पथराव और सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों में भी काफी गिरावट आई है। डीजीपी सिंह ने कहा कि इसका श्रेय उन लोगों और युवाओं को जाता है जो हिंसा से दूर रहना पसंद करते हैं। युवाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपने करियर को आकार देना पसंद किया। पिछले तीन वर्षों में कश्मीर घाटी में पथराव समाप्त हो गया है और स्थानीय आतंकियों की भर्ती भी लगभग शून्य हो गई है।
जम्मू-कश्मीर में आईईडी हमलों के बारे में डीजीपी ने कहा कि रेडीमेड आईईडी आतंकियों के लिए कम लागत वाले हैं और उनका उद्देश्य सुरक्षाबलों को अधिकतम नुकसान पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि यह आतंकियों की नई रणनीति है। जम्मू में ऐसी खेप जब्त की गई है जिन्हें ड्रोन के जरिए एयरड्रॉप किया गया था। डीजीपी ने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल घुसपैठ में भी कमी आई है। उन्होंने कहा कि मौसम बदल रहा है और सर्दियां आ रही हैं इसलिए नियंत्रण रेखा पर बर्फ के जमने से पहले आतंकियों को इस तरफ धकेला जा सकता है।
डीजीपी ने कहा कि घाटी में शांतिपूर्ण माहौल को बाधित करने और सांप्रदायिक सद्भाव के सदियों पुराने ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने के लिए इस तरह के कृत्य किए जा रहे हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य भारत भर के लोगों को कई भारतीय राज्यों में काम कर रहे कश्मीरियों को निशाना बनाने के लिए उकसाना है।
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