सामग्री
सफेद तिल और गुड़ या चीनी
यह बिहार की प्रसिद्ध मिठाई है। मकर संक्रांति के अवसर पर इसे विशेष तौर पर बनाया जाता है। मोक्षनगरी गया का तिलकुट सबसे प्रसिद्ध है। गया का तिलकुट छूते ही टूट जाता है।
विष्णुपद मंदिर के समीपस्थ स्थानों से शुरू हुए तिलकुट की मुरीद आज पूरी दुनिया है। इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जाड़े में इसे विशेष तौर पर मंगवाते थे।
गया में निर्मित तिलकुट झारखंड, उतर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल समेत कई देशों में निर्यात होता है। प्रस्तुति : संजीव कुमार
बनाने की विधि
पहले तिल को कड़ाही में भूनेंं। जब तिल चटकने लगें, तो कुछ देर बाद कड़ाही को चूल्हे से उतार लेते हैं। भुने हुए तिल को ओखली या खल में रखकर मूसल से कूट कर थोड़ा दरदरा कर लें। एक अन्य कड़ाही में गुड़ या चीनी की गाढ़ी चाशनी बनाएं। चाशनी जब थोड़ी ठंडी हो जाए तो उसमें कूटा हुआ तिल मिलाएं। इस मिश्रण को भी कूटें। फिर छोटी-छोटी लोई बनाकर उसे कूटकर तिलकुट का आकार दे दें।
तिलकुट की सारी कारीगरी मिश्रण बनाने, आग का ध्यान रखने और मिश्रण को कूटने में है। मिश्रण और कूटने की प्रक्रिया में थोड़ी भी गड़बड़ी, इसके स्वाद को चौपट कर सकती है। गया में मिलने वाले तिलकुट की कई किस्में हैं। बाजार में मावेदार तिलकुट, खोया तिलकुट, चीनी तिलकुट और गुड़ तिलकुट मिलते हैं। पारंपरिक तरीके से इन तिलकुटों को बनाने में काफी समय और मेहनत लगती है।
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