उत्तराखंड के कैंट एरिया शहर लैंसडाउन का नाम बदला जाएगा। इस बारे में आर्मी मुख्यालय दिल्ली से स्थानीय प्रबुद्धजनों से सुझाव मांगे गए हैं। कुछ लोग इस शहर का पुराना नाम रखे जाने के पक्षधर हैं। कुछ ने इसका नाम सीडीएस विपिन रावत के नाम पर रखे जाने का भी सुझाव दिया है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कहा था कि अंग्रेज हुक्मरानों के नामों के स्थान पर नए अथवा पूर्व सांस्कृतिक नाम रखे जाएंगे। इसी क्रम में राज पथ का नाम कर्तव्य पथ भी किया गया था और नौसेना का ध्वज भी बदला गया था।
वायसराय लैंसडॉन के नाम पर बदला गया था नाम
जानकर बताते हैं कि सन 1886 में गढ़वाल रेजीमेंट की स्थापना हुई। पांच मई 1887 को ले. कर्नल मेरविंग के नेतृत्व में अल्मोड़ा में बनी पहली गढ़वाल रेजीमेंट की पलटन चार नवंबर 1887 को लैंसडाउन पहुंची थी उस वक्त स्थानीय लोग इस क्षेत्र को “कालौं का डांडा” या कालोडांडा कहते थे। 21 सितंबर 1890 तत्कालीन वायसराय लार्ड लैंसडौन के नाम पर लैंसडाउन रखा दिया गया था। आजादी के बाद स्थानीय लोग भी इसका नाम बदलने की मांग करते रहे हैं और इसका पुराना नाम ही रखे जाने के सुझाव देते रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक हिमाचल में डलहौजी सहित कई अन्य नगरों का नाम भी बदला जाएगा, जहां कैंट एरिया है और भारतीय सेना उनकी देखभाल करती है। केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट का कहना है कि देश, काल और परिस्थितियों को देखकर ऐसे प्रस्तावों पर विचार किया जाता है। ऐसे प्रस्ताव मांगे गए हैं, जिनके नाम अंग्रेजी हुक्मरानों से जुड़े हुए हैं।
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